परेशानियां हमारी जिंदगी का वह अभिन्न अंग हैं, जिनसे मरते दम तक छुटकारा पाना असंभव है। दुनिया में ऐसा कोई भी इंसान नहीं है जिसकी जिंदगी में परेशानियां ना हो। चाहे वह सबसे अमीर हो या फिर सबसे गरीब ही क्यों ना हो। इन परेशानियों की वजह से हम खुद को खुश नहीं रख पाते। कभी-कभी ऐसे कदम भी उठा लेते हैं, जो हमें मौत के दरवाजे तक घसीट लाते हैं। कभी हम ऐसी मानसिक पीड़ा से गुजरने लगते हैं, जिससे उबरने के लिए हमें चिकित्सकों की मदद लेनी पड़ जाती है। लेकिन इसके बावजूद परेशानियों के बीच खुद को खुश रखने के ऐसे उपाय भी हैं, जो हम अपनी निजी जिंदगी में लागू कर सकते हैं। तो आइए, एक कहानी के माध्यम से जानते हैं इन उपायों के बारे में।
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एक लोक कथा के अनुसार पुराने समय में एक गांव में एक वृद्ध व्यक्ति रहता था। वह अपनी बुद्धिमानी की वजह से पूरे गांव में प्रसिद्ध था। गांव के लोग उसका बहुत आदर करते थे। लोग उसके पास अपनी परेशानियां लेकर आते थे और वह वृद्ध व्यक्ति उन्हें उन परेशानियों को दूर करने के उपाय भी बताता था। एक दिन जब वह वृद्ध व्यक्ति अपनी अंतिम सांसे गिन रहा था, तब उसने अपने बेटे को पास बुलाया। उसने कहा कि बेटा हम सबकी जिंदगी में परेशानियां आती जाती रहती हैं। परंतु उन परेशानियों से डरकर भागने की बजाय उनका सामना करना ही एक सच्चे व्यक्तित्व को दर्शाता है। इसलिए मरने से पहले आज मैं तुम्हें चार रत्न देना चाहता हूं, जो तुम्हें परेशानियों का सामना करना और खुद को खुश रखना सिखाएंगी।
रत्न
वृद्ध ने अपने बेटे से कहा कि बेटा पहला रत्न है माफ़ी। जब हमें किसी और की वजह से कोई परेशानी होती है तब हम बदले की भावना में जलने लगते हैं। हम बदला लेने के लिए इतना सोचते हैं कि उसकी वजह से हम खुद को खुश नहीं रख पाते। माफी एक ऐसा रत्न है जिसे हम बदला लेने की जगह इस्तेमाल करें, तब हम अपने आप को खुश रख सकते हैं। इसलिए हमें बदले की भावना अपने मन में कभी नहीं लानी चाहिए।
वृद्ध ने अपने बेटे से कहा कि बेटा दूसरा रत्न है बातों को भूलकर आगे बढ़ना। हम अक्सर अपनी जिंदगी में उन बातों को याद रखते हैं, जो हमें तकलीफ देती हैं। लेकिन बीते हुए समय को याद करके खुद को तकलीफ देने से बेहतर है हम अपनी जिंदगी में आगे बढ़े और उन बातों को भूल जाए। ऐसा करके हम अपने आप को खुश रख सकते हैं।
विश्वास
वृद्ध ने तीसरा रत्न देते हुए कहा कि इस रत्न का नाम है विश्वास। हम सब अपनी जिंदगी में सफल होना चाहते हैं। इसके लिए कड़ी मेहनत भी करते हैं। लेकिन सबसे ज्यादा जरूरी है खुद पर और साथ ही भगवान पर विश्वास रखना। कहावत है न कि भगवान भी उसी की मदद करता है जो खुद की मदद करता है। इसलिए याद रहे, सफल होने के लिए विश्वास और खुद की मदद बहुत जरूरी है।
आखिरी रत्न
आखरी रत्न है वैराग्य की भावना। जब हम जन्म लेते हैं तब हम खाली हाथ आते हैं। लेकिन इस दुनिया में हमें ऐसे कई लोग, वस्तु, स्थान आदि मिलेंगे, जिनसे हमें लगाव हो जाएगा। लेकिन ध्यान रहे। कोई भी चीज स्थाई नहीं होती। एक न एक दिन उसे नष्ट होना ही है। इसलिए बेहतर यहीं है कि हमेशा वैराग्य की भावना रखे, और मन में कोई मोह ना रखें।
Anjani Pathak