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Reference
https://www.bhaskar.com/religion/jeevan-mantra/news/gautam-buddha-story-motivational-story-in-hindi-inspirational-story-life-management-tips-story-about-happiness-126547990.html
Image Source: Pinterest
हर मनुष्य के भीतर कोई ना कोई विशेषता होती है। मनुष्य योग्यता से भरा हुआ होता है, परंतु मुश्किल केवल एक ही है कि वह उसे पहचान नहीं पाता। हर मनुष्य को अपने अंदर की योग्यता को पहचानना चाहिए, उसे उभारना चाहिए और उसे निखार कर सबके सामने लाना चाहिए। मनुष्य के अंदर योग्यता की पहचान उसे एक बेहतर जीवन जीने की तरफ प्रेरित करती है। हर मनुष्य अपने आप को सबसे उत्तम बनाने की चेष्टा करता है। परंतु, ऐसा करने में वह खुद की तुलना दूसरों से करने लगता है। खुद की तुलना दूसरों से करने का यह दुखद परिणाम हो सकता है कि मनुष्य अपनी उपलब्धियां और योग्यता पर संदेह करने लगता है। खुद पर संदेह करना मनुष्य की सबसे बड़ी कमजोरी हो सकती है क्योंकि यह मनुष्य के आत्मविश्वास को पूरी तरह से निष्क्रिय कर सकता है और उसे जीवन के कुछ अनमोल पहलुओं का आनंद लेने से रोक देता है। तुलना करने से मनुष्य के अंदर हीन भावना उत्पन्न होती है, जिसकी वजह से मनुष्य क्रोध और ईर्ष्या से भर जाता है।
आज हम अपने दर्शकों को, गौतम बुद्ध से जुड़ी एक ऐसी कहानी बताने जा रहे हैं जिसमें उन्होंने अपने योग्यता को पहचानने के बारे में बताया है।
एक समय, महात्मा बुद्ध भ्रमण करने के दौरान एक गाँव में रुके थे। वहां के लोग तथा आसपास के गाँव के लोग उनका दर्शन करने और उनसे प्रवचन सुनने आया करते थे। एक दिन महात्मा बुद्ध से एक आदमी ने सवाल किया कि इस जीवन का मूल्य क्या है? महात्मा बुद्ध ने बड़ी विनम्रता से उसे एक पत्थर दिया और कहा कि पहले वह इस पत्थर का मूल्य जान कर आए तब वे उसके प्रश्न का उत्तर देंगे और उन्होंने यह भी कहा कि उसे इस पत्थर को बेचना नहीं है, सिर्फ मूल्य ज्ञात करना है।
पत्थर लेकर वह व्यक्ति बाजार आ गया। उसने सबसे पहले, इस पत्थर का मूल्य एक संतरे वाले से पूछा, संतरे वाले ने जवाब दिया कि उसे इसका मूल्य तो नहीं पता परंतु, वह इसके बदले उस व्यक्ति को 12 संतरे दे सकता है। ऐसे ही उसने एक सब्जी वाले से पूछा और सब्जी वाले ने भी यही कहा कि उसे भी इस पत्थर का मूल्य नहीं पता परंतु, वह उसे उस पत्थर के बदले एक बोरी आलू दे सकता है।
व्यक्ति पत्थर लेकर सुनार के पास पहुंचा, सुनार ने कहा कि वह उस पत्थर के बदले, उसे हजार स्वर्ण मुद्रा दे सकता है परंतु, उस व्यक्ति ने पत्थर बेचने से मना कर दिया। इस पर सुनार ने अपना दाम बढ़ाते हुए कहा कि वह उस व्यक्ति को पत्थर के बदले मुंह मांगी कीमत देगा, फिर भी व्यक्ति ने पत्थर नहीं बेचा। व्यक्ति फिर जौहरी के पास गया, जौहरी ने बड़े ध्यान से उस पत्थर को देखा और बताया कि यह पत्थर तो अनमोल है। हैरानी के साथ वह व्यक्ति महात्मा बुद्ध के पास आया और सारी बात बताई।
महात्मा बुद्ध ने बड़ी विनम्रता से उस व्यक्ति को बताया कि:- हर व्यक्ति अपनी जानकारी अनुसार किसी भी वस्तु की योग्यता और कीमत तय करता है। मनुष्य को स्वयं की योग्यता और कीमत तय करनी चाहिए क्योंकि कोई दूसरा व्यक्ति उसकी सही कीमत नहीं बता सकता।
आपको यह कहानी कैसी लगी, हमें अपनी राय कमेंट सेक्शन में जरूर बताएं।
Ravi Krishan