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क्या होती है Bitcoin की हार्ड लिमिट, क्यों दुनिया में बस 2.1 करोड़ बिटकॉइन ही बनाए जा सकते हैं, जानते हैं?

क्या बिटकॉइन माइनिंग की कोई लिमिट तय होती है?

बिटकॉइन माइनिंग

दुनिया भर में जब बिटकॉइन आया तो उसके साथ ही बिटकॉइन माइनिंग की लिमिट तय की जा चुकी थी. दुनिया भर में केवल 21 मिलियन बिटकॉइन ही माइन किया जा सकता है. इस लिमिट का 83 फ़ीसदी हिस्सा पहले ही माइन किया जा चुका है 

क्रिप्टो करेंसी बिटकॉइन 2009 में अस्तित्व में आई उस वक्त क्रिप्टोकरंसी बिटकॉइन की कीमत काफी कम थी लेकिन आज इसकी कीमत भारतीय रुपयों में 54 लाख के भी ऊपर हैं. बिटकॉइन की कीमत तो घटती-बढ़ती रही लेकिन, बिटकॉइन माइनिंग की लिमिट ज्यों की त्यों ही है.

बिटकॉइन निर्माता सातोषी नाकामोतो ने जब बिटकॉइन बनाया उस के साथ बिटकॉइन माइनिंग की 21 मिलियन की लिमिट तय कर दी थी यानी दुनिया में 21 मिलियन से ज्यादा बिटकॉन माइन नहीं किए जा सकेंगे. नाकामोतो ने माइनिंग पर यह लिमिट क्यों लगाई यह अभी साफ नहीं है.

दुनिया में अब तक कितने बिटकॉइन माइन किए जा चुके हैं?

दुनिया भर में अब तक 18.78 मिलियन बिटकॉइन माइन किए जा चुके हैं यानी जो लिमिट नाकामोतो ने बिटकॉइन माइनिंग तय की थी उसका 83 फ़ीसदी हिस्सा माइन किया जा चुका है. मतलब अब सिर्फ 2 मिलियन बिटकॉइन ही माइनिंग के लिए बचा है.अगर ऐसा ही रहा तो आने वाले एक दशक में 97 फ़ीसदी हिस्सा बिटकॉइन का माइन किया जा चुका होगा और बाकी तीन फ़ीसदी हिस्सा अगली एक शताब्दी में माइन हो पाएगा. जब बिटकॉइन जनरेट किए जाते हैं तो हर 4 साल में उस रेट का 50 फ़ीसदी हिस्सा घटा दिया जाता है जिसे “हाविंग” कहा जाता है इसी कारण माइनिंग की प्रक्रिया धीरे होने लगती है.

बिटकॉइन माइनिंग की लिमिट का क्या फायदा है

जो चीज कम है उसकी कीमतें ज्यादा होगी जैसे सोना, सोने की कीमतें भारत में ज्यादा है क्योंकि सोना भारत में कम है इसी तरह बिटकॉइन माइनिंग की लिमिट तय है तो माइनिंग कीमतें स्थिर रहेंगी और लिमिट में सप्लाई होगी. जब लोगों के बीच बिटकॉइन कि मांग बढ़ेगी तो इसकी कीमतों में भी बढ़ोतरी होगी.

बिटकॉइन माइनिंग की लिमिट को बदला जा सकता है

हां, बिटकॉइन माइनिंग की लिमिट को बदला जा सकता है लेकिन इसके लिए बहुत लोगों की अनुमति होनी अनिवार्य है. जब बिटकॉइन के सभी निवेशक इसकी लिमिट को बढ़ाने के लिए तैयार हो जाएं तो ऐसा किया जा सकता है लेकिन यह करना काफी मुश्किल काम है क्योंकि अगर बिटकॉइन की लिमिट बढ़ेगी तो उसकी कीमतों में कमी आएगी, तो शायद ही कोई निवेशक अपना नुकसान चाहेगा.

बिटकॉइन लॉन्च होने के बाद इसकी कीमतों में उछाल आया है. 2009 में एक ब्लॉक की माइनिंग से 50 बिटकॉइन जनरेट होते थे तब इसकी कीमतें काफी कम थी लेकिन अब इसकी कीमतें पहले से कहीं अधिक हो चुकी है.हाविंग की पहली प्रक्रिया 2012 में हुई तब 50 बिटकॉइन में से 25 बिटकॉइन जनरेट होने लगे और इसकी कीमतें बढ़ने लगी, फिर 2016 में 12.5 बिटकॉइन जनरेट होने लगे और 2020 में 6.25 बिटकॉइन जनरेट हुए. इसी के साथ बिटकॉइन की कीमतें बढ़ने लगी. बिटकॉइन की माइनिंग जितनी कठिन हुई उसकी कीमतों में उतना ही उछाल आया.


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