नटवरलाल मोवि की शुरुआत,बख़्शी को देने के लिए पैसे नही थे
फ़िल्म ‘नटवरलाल’ के बारे में अपने सुना ही होगा। पर इस फ़िल्म की शूटिंग के लिए कुछ भी सोचा नही गया था। स्क्रिप्ट और स्क्रीन्प्ले तय भी नही हुए थे।
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नटवरलाल के पहले फ़िल्म ‘राम बलराम’ की बात चल रही थी। इस फ़िल्म के लिए अमिताभ बच्चन और धर्मेन्द्र को चुना गया। जब तरीक की बात होने लगी तो धर्मेन्द्र के दिए गए तरीक वो किसी और प्रोडकशन के साथ क्लेश को रहा था। इसलिए फ़िल्म ‘राम बलराम’ को दो तीन महीने के लिए टाल दिया गया। पर फ़िल्म के प्रडूसर टोनी और टीटो के दिमाग़ में आया कि समय बर्बाद नही करें और किसी और फ़िल्म पर काम करना शुरू करें और फ़िल्म नटवरलाल की बात शुरू हुई। टोनी और टीटो ने राकेश कुमार को डिरेक्टर के रूप में चुना क्योंकि वे चाहते थे की अमिताभ बच्चन इस फ़िल्म में काम करें और राकेश की अमिताभ से काफ़ी बनती थी।
राकेश कुमार ने अमिताभ बच्चन के साथ पहले भी ‘ख़ून पसीना’ में काम किया था जो बहुत अच्छी रही।
नटवरलाल फ़िल्म के लिए कास्ट तय था। अमिताभ बच्चन इसमें काम करने के लिए मान गए थे। पर जैसा कि हमने कहा कि स्क्रिप्ट और स्क्रीन्प्ले तय नही हुआ था तो शुरू करना मुश्किल था। फ़िल्म की शूटिंग कश्मीर में करने का सोचा था और फ़िल्म के बारे में कुछ सीन तय थे इसलिए यह सोचा गया कि गाने से ही शूटिंग की शुरुआत होगी। गाने के बोल के लिए टोनी, टीटो, राजेश और राकेश, आनंद बख़्शी के घर पहुँचे। उनसे जब यह कहा गया कि तीन हफ़्ते में इन्हें छह गाने चाहिए तो आनंद बख़्शी ने साफ मना कर दिया। आनंद ने कहा कि वे बाक़ी प्रडूसर के साथ भी काम कर रहे है और अभी ये नही कर पाएँगे। तो इस पर प्रडूसर ने कहा कि उन्हें सारे गाने साथ में नही चाहिए और जैसे जैसे गाना बने वे इन्हें देते रहे।
उस समय स्टूडीओ की बुकिंग जल्दी से नही होती थी और किसी को पता नही था कि कब बख़्शी उन्हें गाने देंगे। इसी कारण से स्टूडीओ को जैसे तैसे राजेश ने बुक कराया। अचानक एक दिन छह बजे शाम को बख़्शी राजेश रोशन के घर पहुँचे। हाथ में सीग्रेट था तो उन्होंने उसे जलाया और कुछ गुनगुनाने लगे। ठीक से सुनने पर राजेश ने सुना ‘परदेसिया ये सच है पिया, सब कहते है तूने मेरा दिल ले लिया’। जिस धुन में बख़्शी गा रहे थे राजेश को बड़ा पसंद आया।
ठीक 15 मिनट में बख़्शी ने राजेश को पूरा गाना सुनाया और अगले 15 मिनीट में राजेश ने इस गाने को बहुत अच्छा धुन दे दिया और बन गया फ़िल्म का सबसे हिट गाना।
राजेश ने सोचा कि एक गाना अमिताभ का बच्चों के साथ होना भी अनिवार्य है। पर वे चाहते थे की अमिताभ ख़ुद अपनी आवाज़ दे इस गाने के लिए क्योंकि तब ही सही भाव आएगा।
आप यक़ीन नही करेंगे पर उसी दिन, वही बैठ कर बख़्शी ने ‘मेरे पास आओ’ गाना लिख लिया। इस गाने को महबूब स्टूडीओ में रेकॉर्ड किया गया।
आपको बता दे कि इससे पहले अमिताभ ने फ़िल्म ‘कभी कभी’ में केवल कुछ पंक्तिया पढ़ी थी जिसके बाद गाना शुरू होता है। तो अमिताभ का यह पहला गाना था जो उन्हें ख़ुद गाना था। अमिताभ को इस गाने के लिए बहुत प्रशंसा मिली और उनसे और भी गाने को कहा गया।
आश्चर्य की बात यह है कि अमिताभ के काम के शुरुआत में उन्हें रेडीओ में काम नही दिया गया था क्योंकि उनकी आवाज़ भारी है। पर इनके पहले गाने को बहुत पसंद किया गया और यह हिट भी रहा।
एक और बात सामने आई कि गाने सब बन गए थे पर फ़िल्म के बजट के कारण टोनी और टीटो बख़्शी को पैसे नही दे पा रहे थे और बख़्शी ने कभी उनसे पैसे माँगे भी नही। बाद में धीरे धीरे उन्हें उनके पैसे दिए गए।
फ़िल्म को ठग नटवरलाल से धमकी भी मिली क्योंकि उन्हें पसंद नही आया कि उनके नाम पर यह फ़िल्म बनायी गई। उन्होंने लीगल नोटिस भेज कर नाम बदलवाया और इस फ़िल्म का नाम ‘मिस्टर नटवरलाल’ रखा गया। पर यह ख़बर भी आई कि फ़िल्म का नाम बदल दिया गया क्योंकि ‘नटवरलाल’ नाम का फ़िल्म किसी ने पहले से रेजिस्टर करा लिया था। लेकिन इस पर भी कुछ प्रडूसर ने कहा की केवल एक मिस्टर लगाने से नाम बदल नही जाता। तो फ़िल्म का नाम फिर बदलकर ‘अमिताभ बच्चन इन एंड मिस्टर नटवरलाल’ रखा और आज भी सेन्सर सर्टिफ़िकेट पर यही लिखा है।
1987 में जब ठग नटवरलाल को गिरफ़्तार किया गया और उनसे पूछा गया कि उन्होंने यह फ़िल्म देखी है उन्होंने कहा कि – “ नही। जब में ख़ुद असली हीरो हूँ तो नक़ली हीरो को क्यों देखू?”
फ़िल्म सूपरहिट भी हुई और लोगों को बहुत पसंद आयी। आज भी लोग ‘परदेसिया’ गाना बड़े शौक़ से गाते है।