सिनेमाघरों का साथ छोड़, ओटीटी प्लेटफॉर्म की ओर भागते फिल्म निर्माता, संकट के दौर में सिनेमा

विश्व भर में फैली महामारी कोविड-19 नामक कोरोना वायरस ने दुनिया को यह एहसास दिला दिया, कि प्रकृति के आगे मनुष्य छोटा है। मनुष्य ने यह सोच लिया था कि वह प्रकृति पर विजय प्राप्त कर लेगा, लेकिन कुदरत ने मनुष्य के दोगले पन पर विराम चिन्ह लगा दिया है। आज पूरा विश्व बंद पड़ा है । व्यापार जगत ठप्प है। कहीं  भी किसी भी चीज का उत्पादन नहीं हो रहा है। हर एक इंडस्ट्री पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। चाहे वह फिल्म इंडस्ट्री ही क्यों न हो।

कोविड 19 ने ‌ मानव जीवन को फ्रिज (रोक) कर दिया है। अब यह रुका हुआ संसार कब विकास की गति पकड़ेगा,  इसके बारे में अभी कुछ कहा नहीं जा सकता है। लॉक डॉउन ने फिल्मी जगत को सदमे में डाल दिया है ।  बीते 3 महीने से देश भर में लगे लॉक डॉउन ने फिल्म और सीरियलों की शूटिंग से लेकर फिल्मों की रिलीज को भी रोक दिया है। क्योंकि सिनेमाघरों तो बंद पड़े हैं, और ऐसे में फिल्मों को रिलीज नहीं किया जा सकता है। लेकिन डिजिटल मीडिया के इस दौर में वेब सीरीज की तरह ही फिल्मों को भी ओटीटी प्लेटफॉर्म पर लॉन्च करने की योजना बनाई जा रही है। अब ऐसे में निर्माताओं के ऊपर सबकुछ है कि वह सिनेमाघरों के मालिकों की दुख – भरी कहानी सुनते हैं या फिर ओटीटी प्लेटफॉर्म फिल्में रिलीज करके पर खुद और उस ओटीटी प्लेटफॉर्म की जेब  भरते हैं।

फिल्म निर्माताओं का ओटीटी प्लेटफॉर्म की ओर जाना या आकर्षित होना, सिनेमा जगत के लिए अच्छे संकेत नहीं है। लॉक डॉउन के इस बुरे दौर में फिल्म निर्माताओं के लिए यह सबसे बड़ा चैलेंज होगा कि वह अपने फिल्मों को सिनेमाघरों के खुलने तक रख पाते हैं या फिर ओटीटी प्लेटफॉर्म पर बेचकर जेब भरना चाहते हैं। अगर ऐसा हुआ तो सिनेमा का भविष्य खतरे में है। कुछ फिल्मों के निर्माताओं ने तो ऐलान कर दिया है कि वे अपनी फिल्म ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज करेगें। भारतीय सिनेमा जगत दो खेमों में बट चुका है। पहला खेमा जो सिनेमाघरों के पक्ष में है। और दूसरा खेमा जो ओटीटी प्लेटफॉर्म के पक्ष में है।

कोविड 19 ने ‌ पूरे विश्व को आर्थिक नुकसान पहुंचाया है। चीन में पनपा यह वायरस आज विश्व भर के लिए ख़तरे की घंटी बन चुका है। भारत में तो 15 मार्च से ही सिनेमाघरों में ताला लगा हुआ है। लॉक डॉउन ने सब को घर पर रहने को मजबूर किया हुआ है। लाखो लोगो की अब तक जाने जा चुकी हैं, जिनकी जान बची है उनकी नौकरी पर खतरा मड़रा रहा है। सिनेमा घरों के बंद होने की वजह से फिल्म निर्माता ओटीटी प्लेटफॉर्म से हांथ मिला रहे हैं। ऐसे में टीवी चैनलों, मल्टीप्लैक्स व सिंगल सिनेमाघर मालिकों पर आर्थिक संकट गहराता जा रहा है।

15 मार्च से ही भारतीयों ने सिनेमाघरों का दर्शन नहीं किया है। निर्माता और सिनेमाघर के मालिक आपस में लंबी बहस करने में लगे हुए हैं। सिनेमाघरों के मालिक अपनी रोजी रोटी के लिए फिल्म निर्मातओं से गुजारिश कर रहे हैं कि से ओटीटी की तरफ ना भागें। छोटी बजट की फिल्मों से लेकर बड़ी बजट के फिल्मों के निर्माताओं के माथे पर सिकन साफ दिख रही है। अभी तक सरकार की तरफ से यह साफ नहीं किया गया है कि कब से सिनेमाघरों को खोला जाएगा।

सिनेमाघरों को छोड़ डिजिटल प्लेटफॉर्म की ओर भागते फिल्म निर्माता

जैसे हमने आपको पहले ही बताया है कि इस समय बॉलीवुड दो खेमों में बट चुका है। एक खेमा सिनेमाघरों के पक्ष में तो दूसरा डिजिटल प्लेटफॉर्म  यानी ओटीटी प्लेटफॉर्म के पक्ष में। कुछ निर्माताओं ने तो ऐलान भी कर दिया है कि उनकी फिल्म ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज होने जा रही हैं। खबर है कि स्टारर रणवीर सिंह की फिल्म ’83’ से लेकर राधे’ व ‘लक्ष्मी बम’ जैसी बड़े कलाकारों की फिल्में ओटीटी प्लेटफार्म पर रिलीज होंगी। यह खबर सिनेमाघरों के मालिकों के लिए किसी सदमे से कम नहीं है। सिनेमाघरों के मालिकों ने फिल्म निर्माताओ, कलाकारों व तकनीशियनों से आग्रह किया है कि वो सरकार के आदेश का इंतजार करे अपनी फिल्मों को ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज ना करें। सिनमेघरो के मालिकों की तरफ से कहा गया है कि वह सरकार के आदेशानुसार जल्द से जल्द पूरी सुरक्षा के साथ सिनेमाघरों को खोलने के लिए तैयार हैं।

अमिताभ बच्चन और आयुश्मान खुराना की फिल्म  ‘गुलाबो सिताबो’ के निर्माता ने ऐलान कर दिया है कि उनकी फिल्म अमैजॉन प्राइम पर 12 जून को रिलीज होने वाली है। गुलाबो सिताबो’ का ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज होना  फिल्मी जगत के लिए किसी भारी नुकसान से कम नहीं है।

आयनॉक्स, पीवीआर और कार्नीवल मल्टीप्लैक्स जैसे बड़े – बड़े सिनेमाघरों के मालिकों की तरफ से फिल्मों को ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज को लेकर जोर शोर से विरोध किया गया है। लेकिन अब निर्माता कहां सुनने वाले हैं। जहां दर्शक एक साथ बैठ कर साथ फिल्में देखते थे वहीं अब सब अपने अपने मोबाइल पर ही फिल्म देखेगे। मोबाइल और लैपटॉप पर फिल्म देखना और सिनेमाघरों में फिल्म देखना दोनों में  बहुत अंतर है।

भारतीय सिनेमा को उचाइयों तक पहुंचाने में मल्टीप्लैक्स सिनेमाघरों का अहम योगदान रहा है। ऐसे में उन्होंने को दलीलें दी हैं, वो कहीं न कहीं सही हैं। फिल्म निर्माताओं को सोचना होगा कि आज से 10 साल पहले जब ओटीटी प्लेटफॉर्म चलन में नहीं था, तब केवल सिनेमाघर ही उनकी फिल्मों को दर्शकों तक पहुंचाते थे। लेकिन आज इंटरनेट ने सब कुछ बदलकर रख दिया है।

फिल्मों में अच्छा खासा पैसा लगाने वाले निर्माता तर्क दे रहे हैं कि कोई भी उन्हें ओटीटी प्लेटफॉर्म पर फिल्म रिलीज करने से नहीं रोक सकता। उधर छोटे निर्माताओं का कहना है कि ओटीटी प्लेटफॉर्म पर फिल्में रिलीज करना बिल्कुल सही है क्योंकि यही सिनेमाघर के मालिक हमारी छोटी फिल्मों को अपने सिनेमाघरों में नहीं प्रदर्शित किया करते थे।

सिनेमा के लिए आगे का रास्ता कैसा रहेगा इस पर अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी। ओटीटी प्लेटफॉर्म पर फिल्में रिलीज करना किस हद तक उचित है या नहीं इसका परिणाम जल्द ही हमारे सामने होगा। ओटीटी प्लेटफॉर्म सभी छोटी- बड़ी फिल्मों को जगह देगा कि नहीं, अभी तक इस बारे में किसी की प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। वैसे ओटीटी प्लेटफॉर्म उन्हीं फिल्मों को प्राथमिकता देगा जिनके दर्शक अलग अलग देशों में हैं।

ऐसे में छोटे फिल्म निर्माताओं के सामने यह बड़ा प्रश्न है कि वे सिनेमाघरों के मालिकों का सपोर्ट करे या फिर ओटीटी प्लेटफॉर्म का। लॉकडॉउन ने सब कुछ बदल कर रख दिया है। अब आगे आने वाला सिनेमा हम अपने दोस्तों के साथ सिनेमाघर में देख पाएंगे या नहीं यह फिल्म निर्माताओं के ऊपर है।

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