देव साहब उन कलाकारों में से एक हैं जिनको शायद ही कोई भुला सकता हो। 50 से 60 के दशक के बीच में उन्होंने अपनी फिल्मो से बहुत नाम कमाया। वह अपने स्टाइल और बात करने के तरीके के लिए लोगो के बीच जाने जाते थे। उस ज़माने में उनके स्टाइल पर लड़किया फ़िदा थी। जिस दिन उनकी फ़िल्म आती, मानो जैसे उस दिन सन्नाटा ही छा जाता था। लोग अपना काम छोड़ कर उनकी फिल्मे देखने जाया करते थे।
नौजवान उनसे इतने प्रेरित थे की वह भी उनके स्टाइल की कॉपी किया करते थे। 50 के दशक से थोड़ा आगे आकर आज हम एक ऐसे कलाकार की बात करने जा रहे हैं जिसके कॉपी करने के अंदाज़ को देखकर देव साहब ने भी उनसे खुद यह बात कह दी की ‘हमें भी फ़िल्म दिलादो’। जी हाँ, आप बिलकुल सही समझें हैं हम बात करने जा रहे हैं किशोर भानुशाली की।
तो क्या हुआ था आखिर उस समय?
यह 90 की दशक की बात हैं, जब किशोर भानुशाली की एक नयी फ़िल्म आयी थी। फ़िल्म का नाम ‘दिल’ था। वह फ़िल्म बड़े परदे पर धमाल मचा रही थी और साथ ही साथ लोगो के दिलो पर छा गयी थी। फ़िल्म के मशहूर होने के साथ साथ वह भी मशहूर हो गए थे। लोगो में उनका नाम जानने जाने लगा था।कहा जाता हैं की वह देव साहब के हमशक्ल भी थे।इस वजह से वह बहुत जल्दी लोगो के बीच चर्चा का विषय भी बन चुके थे।इसके चलते उन्होंने बहुत नाम कमाया। नामी इंसान बनने के बाद उन्हें एक बार देव साहब से मिलने का भी मौका मिला।
जब वह एक दिन देव साहब से उनके घर पर मिलने पहुंचे तब बातों ही बातों में देव साहब ने उनसे ये कह दिया की मुझसे ज़्यादा तो तुम देवानन्द लगते हो, आज से में तुम्हे कॉपी करूँगा। बस फिर क्या था इतने में ही वह ख़ुशी से झूम उठे। ख़ुशी के मारे वह फुले नहीं समा रहे थे। यह उनकी ज़िन्दगी के सबसे बड़े दिनों में से एक था।
इसी विषय में बात आगे बढ़ाती गयी। बात आगे बढ़ते हुए देव साहब ने उनसे ऐसे ही एक सवाल पूछ लिया की इस समय आप कितनी फिल्मे कर रहे है। तो उन्होंने घबराते हुए उनकी बात का जवाब दिया की साहब 10 से 12 फिल्मे हैं कर रहा हूँ इस समय। तो इस बात पर देव साहब ने पलट कर बोला की मेरे पास तो सिर्फ दो ही फिल्मे हैं। कुछ फिल्मे मुझे भी दिला दो। इतना सुनने के बाद वह घबरा से गए। वह अपने आप को उनका शिष्य मानते थे। और गुरु की ऐसे बात सुन कर शिष्य का घबराना तो अवश्य बनता था। उन्होंने इस बात को एक प्रेणना के स्वरूप लिया और उनका आशीर्वाद लेकर वापस आ गए।
किशोर भानुशाली की फिल्मे
इस घटना के घटित होने के बाद उन्हें देव साहब के हमशक्ल के रूप में बहुत इज़्ज़त मिली। मानो जैसे की लोगो ने उन्हें इसी रूप में अपना लिया था। लेकिन जल्द ही कुछ समय बाद उन्हें ये इज़्ज़त मिलना बंद हो गयी थी क्योकि उनकी ज़िन्दगी सिर्फ उसी नाम तक सीमित रह गई थी। इस वजह से उन्हें अन्य कोई किरदार निभाने का मौका भी नहीं मिला।
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