इंसान अपनी ज़िन्दगी मे बहुत मेहनत करता हैं। वह मेहनत इसीलिए करता हैं ताकि वह ज़िन्दगी मे हर चीज हासिल कर सके। उसमे से एक प्यारा सा घर भी होता हैं, जहाँ वह अपना परिवार बसाने की सोचता हैं। लेकिन अगर आपको हम यह कह दे कि आपको एक ऐसा घर बनाना हैं, जिससे की पर्यावरण को ज़्यादा नुकसान ना पहुँचे या आप उसकी मदद से पर्यावरण को लाभ पंहुचा सके। तो आप कहेँगे की यह तो असंभव हैं। और अगर संभव भी हैं तो शहर मे रहते हुए तो बिलकुल भी नहीं हैं ।लेकिन ऐसा नहीं हैं। इस बात को एक इंसान नें सच कर दिखाया हैं। और इसे साबित करने के लिये हम आज उसी इंसान की कहानी लाये हैं। जिसको सुन कर आप हैरान रह जाएंगे।
जिसने यह कमाल कर दिखाया हैं, उनका नाम आशम्स रवि है और उनकी उम्र 27 साल हैं । वह त्रिवेन्द्रम शहर के निवासी हैं और पेशे से एक सफल आर्किटेक्ट। उन्होंने यह बात को सच साबित कर दिया हैं कि घर को पुराने सामानो का इस्तेमाल करके बनाया जा सकते हैं। और साथ हीं साथ उन्होंने यह भी साबित कर दिया हैं की भले हीं पुरानी वस्तुओं का इस्तेमाल करके उस घर को बनाया गया हो।इसका मतलब यह नहीं की घर बेकार और अजीब सा लगेगा। वह बहुत खूबसूरत भी हो सकता हैं। उसको बनाने के लिए उन्होंने पुरानी मकानो की ईटे,प्लास्टिक की बोतले, पुराने दरवाज़े, पेंट, कांच के टुकड़े, बम्बू इत्यादि का उपयोग किया था। इसके साथ हीं उन्होंने ये भी ध्यान रखा था कि वह घर इको फ्रैंडली हो। उन्होंने कार्बन फुटप्रिंट को कम से कम रखने की कोशिश की हैं। अगर कोई अन्य इंसान होता तो उसको काफ़ी समय लग जाता क्योकि इसको बनाने मे बहुत दिमाग़ लगाया है। परन्तु, उन्होंने इस घर को उन्होंने 4 महीने के समय मे खड़ा किया हैं।
मेहनत से रखी घर की एक-एक ईट
जिस समय उन्होंने इस घर का निर्माण करने की शुरुआत की थी, उस समय उन्होंने यही ध्यान मे रखा था कि कैसे ऐसा घर बनाया जाए जिससे की पर्यावरण को कम से कम हानि पहुंचे। और उस सोच की सहायता से उन्होंने यह कमाल कर भी दिखाया हैं। यह घर एक बहुत हीं विशाल सीमा मे बना हुआ हैं, लगभग 5662.8 वर्ग फुट। हैरानी वाली बात तो यह की 90% घर रीसाइक्लिंग वाले सामान से बना हुआ हैं। काश ऐसा होता कि इस दुनिया मे सब इसी सोच को रख कर घर बनाते। तो आज पर्यावरण इतना प्रदूषित ना होता। अगर इस घर की ज़मीन का नाप लिया जाए तो यह कुछ 2500 वर्ग फ़ीट मे बैठता हैं। इतना बड़ा घर, उसमे इतनी सारी चीज़े, फिर भी सिर्फ 4 महीने!!
घर की डिज़ाइन के बारे मे
इतने विशाल घर को बनाते समय उन्होंने एक-एक बारीकी पर ध्यान दिया था। यहाँ तक की यह भी ध्यान मे रखा की घर को बनाने मे कितने मात्रा मे चीज़े लगेंगी।खाली उनका घर ज़मीन के मामले मे हीं बड़ा नहीं हैं।बल्कि इसमें ग्राउंड फ्लोर के साथ 2 फ्लोर भी हैं। और साथ हीं साथ हर फ्लोर पर 2 लेवल भी हैं।
दक्षिण भारत मे बसें ज़्यादातर घरों मे हम यह पाते हैं की उनमे पानी स्टोर करने के लिए भी जगह बनाई जाती हैं।इसको हम आम भाषा मे वॉटर हार्वेस्टिंग भी कहते हैं। इस पानी का इस्तेमाल बाद मे अन्य किसी कम के लिए कर लिया जाता हैं। और इस तकनीक का इस्तेमाल उन्होंने भी अपने घर मे किया हैं। इससे उनके घर की ज़मीने ठंडी भी रहती हैं।
उन्होंने घर की दीवारे बहुत मजबूती के साथ बनाई हैं। रक्षा करने के साथ-साथ वह दीवारे ठंडाती भी हैं। उन्होंने दीवारों पर खुबसूरत चित्र भी बनाये हैं। जिससे की वह बेहद मनमोहक और खुबसूरत लगती हैं।
उनके घर मे एक बायो डाइजेस्टर भी हैं। बायो डाइजेस्टर किसी भी प्रकार के कूड़े को (ज्यादातर प्लास्टिक)खाद मे बदलने मे मदद करता हैं। इसके पीछे उनकी प्रदुषण कम कम करने की नेक सोच थी। उन्होंने यह भी बताया कि, आए दिन घर मे फल, सब्जी या अन्य किसी भी प्रकार का कूड़ा अगर इकठ्ठा होता हैं। तो उसको वह इसकी मदद से खाद मे बदल देंगे। यह उनकी घर की दीवारों के इर्द गिर्द लगे पेड़ो को पोषण पहुंचाने मे अधिक सहायता करेगा।
पर्यावरण के हित की सोच को अपना कर आज वह एक बहुत नामी इंसान बनने के साथ-साथ एक सफल इंसान भी बन चुके हैं। इस घर को बनाने के बाद उनको और ऐसे घर बनाने के ऑफर आने लगे। उनमे से एक घर पर तो उन्होंने काम करना भी शुरु कर दिया हैं। दुनिया भर के लोगो ने उनके काम की वाह-वाही भी करी।
(Image Source: TheBetterIndia) займы онлайн на карту срочно