लता मंगेशकर जी को कौन नहीं जनता होगा।उनके चाहने वाले उनको प्यार से ‘लाता दीदी ‘भी बुलाते हैं। वह अपनी आवाज़ के लिए पूरे विश्व भर में जानी जाती हैं।50 के दशक में उनकी आवाज़ का जादू हर कहीं फैला हुआ था। बच्चों से लेकर एक बुड्ढा इंसान भी उनकी आवाज़ से मग्न हो उठता था। उन्होंने हर तरीके के गानों में जान डाली हैं फिर चाहे वो प्यार भरे हो, रूठने-मानाने के हो, या फिर दोस्ती वाले ही क्यों ना हो। हर अभिनेत्री के पीछे उनकी आवाज़ रही हैं फिर चाहे वो शर्मीला टैगोर हो,जया बच्चन हो, या नरगिस दत्त हो इत्यादि। उनका जन्म 28 सितम्बर, 1923 में इंदौर, मध्य प्रदेश में हुआ था। वह कोई आलीशान मकान में नहीं बल्कि एक छोटे से घर में, जिसमे सिर्फ एक ही कमरा था उसमे पैदा हुई थी।
हर इंसान को अपने जन्मस्थल से प्यार होता हैं।उसकी यादें इंसान को दोबारा उस जगह पर जाने के लिए विवश कर ही देती हैं।
लेकिन हैरानी वाली बात तो यह हैं की लता जी अपने जन्मस्थल पर 14 साल से नहीं गयी हैं। ना जाना तो तब भी ठीक था परन्तु वह तो उस शहर में किसी समारोह या बुलावे पर भी नहीं जाती। लोगो के मन में उनके प्रति इतना प्रेम होने के बावजूद भी वह कभी वहां जाने का ख्याल अपने हृदय में भी नहीं लाती हैं।
किशोर कुमार जी भी थे मध्य प्रदेश के!!
किशोर कुमार जो की अपने गाने के स्टाइल से दुनिया भर में मशहूर हैं उनका भी जन्मस्थान मध्य प्रदेश था। उनके बारे में तो कौन नहीं जनता। वह लता मंगेशकर, मोहम्मद रफ़ी इत्यादि जैसे दिग्गज गायको की सूची में आते थे। उनके गाने के अंदाज़ से सब थिरक उठ ते। लोग उनकी आवाज़ पर नाचने को विवश हो जाते थे। उन्होंने शम्मी कपूर, राज कपूर, शशि कपूर इत्यादि जैसे बड़े-बड़े कलाकारों के पीछे अपनी आवाज़ दी हैं।
उनको अपने शहर यानि खंडवा से बेहद लगाव था। उनकी ग्रेजुएशन की पढ़ाई इंदौर से ही हुई थी। वह अपने गानों के ज़रिये अपने जन्मस्थान के प्रति हमेशा प्यार जताते थे। उनकी सबसे मशहूर लाइनों में से एक थी- ‘दूध जलेबी खाएंगे, खंडवा में बस जाएंगे’। परन्तु उनके इस सपने के ऊपर मानो किसी की नज़र लग गयी थी। जब तक वह उस शहर में रहते, तब तक उनका देहांत हो चुका था। और उनका ये सपना हमेशा के लिए अधूरा छूट गया था।
लेकिन उनकी तो दिली तमन्ना देहांत होने के वजह से अधूरी रह गयी थी और लता जी तो भगवान की कृपा से अभी तक सही सलामत हैं। तो फिर वह क्यों नहीं जाती अपने जन्मस्थान पर? ऐसा क्या हो गया था जो वह इतना नाराज़ हो गयी उस शहर से और वहां के लोगो से? क्या कुछ ऐसा हुआ था जिसे वह भूलना चाहती हैं?
कौन सी घटना हुई थी घटित जिससे पहुंची इतनी ठेस?
आज से 36 वर्ष पहले की बात हैं यानि 1983 में। तब लता जी अपने जन्मस्थान, इंदौर गयी थी। वहां किसी सार्वजनिक काम में हिस्सा लेने के लिए उनको वहां की सरकार से न्योता आया था। दरअसल, वहां पर एक इंडोर स्टेडियम का निर्माण किया जा रहा था। लेकिन उनके पास इतने पैसे नहीं थी की अकेले वह उतने बड़े स्टेडियम का निर्माण कर सके। इसीलिए उन्होंने एक छोटा सा चैरिटी (धनराशि) इक्कठा करने का समारोह रखा था। उसी में उन्होंने लता जी को भी बुलाया था। उनकी इतनी गुज़ारिश करने के बाद वह वहां चली गयी थी।
लेकिन हर अच्छे काम का विरोध करने वाले कुछ लोग तो होते ही हैं। उसी प्रकार वहां के महापौर सुरेश सेठ ने इस सार्वजनिक सरकारी सुविधा पहुंचाने वाले कार्य को रोकते हुए उसका विरोध किया था। उसी के चलते उनके आदमियों ने लता जी को काले झंडे दिखा दिए थे। भले ही काले झंडो से लता जी को ठेस पहुंचाने का कोई इरादा नहीं था। परन्तु अगर कोई ऐसा कार्य करेगा तो कही ना कहीं आपके दिल में भी ठेस पहुंचेगी ही!।
उस समय के वरिष्ठ पत्रकार ने भी इस घटना का उल्लेख करते हुए सबको यह बताया था की-
“लता मंगेशकर जी होटल श्रीमाया में ठहरी थीं। इसी होटल के बाहर सुरेश सेठ ने अपने समर्थकों के साथ उन्हें काले झंडे दिखाए थे। इस विरोध प्रदर्शन से लताजी काफी आहत हुई थीं. उस वक्त शो तो हो गया, लेकिन फिर स्वर सम्राज्ञी कभी इंदौर में किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में शामिल नहीं हुई.”।
फिर से पहुंची गहरी चोट –
1983 में उस हादसे के बाद इतनी उनको इतनी चोट पहुंच चुकी थी की वह दूसरा जख्म उठाने को राज़ी नहीं थी। लेकिन फिर से एक बार हिम्मत करके 2005 में वह अपने जन्मस्थान गयी। वहां पर उनको संत भैय्यू जी महाराज से किसी ज़रूरी काम के विषय में मुलाक़ात करनी थी।
लेकिन हालात फिर से बदल गए। हुआ यह कि जब लोगो ने सुना कि लताजी शहर वापस आ रही हैं तो मानो वो लोग ख़ुशी से झूम उठे। उनसे रहा ही नहीं गया और वह लता जी से मिलने चले आए। इसी के चलते वहां पर धक्का-मुक्की वाले हालात बन चुके थे। इतना ही कम नहीं था उसमे शामिल होने के लिए मीडिया से पत्रकार भी वहां पहुंच गए। इन सबसे इतना इतनी हल-चल मच गयी थी की लाता जी को इस बार पिछली बार से ज़्यादा गहरी ठेस पहुंची थी।
उन हालातो को दर्शाते हुए एक रिपोर्टर ने कुछ ऐसा वर्णन दिया –
यह बात सही है कि लता जी के कार्यक्रम में काफी अव्यवस्था हुई थीं. काफी लोगों के जमा होने की वजह से धक्का-मुक्की होने लगी थी. लेकिन, किसी का उद्देश्य लता जी को तकलीफ पहुंचना नहीं था. हर कोई इस स्वर कोकिला को नजदीक से देखना चाह रहा था, जिसके चलते ऐसे हालात बन गए।
और उस दिन के बाद से आज तक वह कभी अपने जन्मस्थान वापस नहीं गयी।
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