भीलवाड़ा जिला भारत का पहला ऐसा जिला था जो कि कोरोना वायरस संक्रमण का हॉटस्पॉट बना था| इस जिले से तेजी से कोरोना वायरस के मामले सामने आए हैं। इस जिले में कोरोना वायरस काफी फैल चुका था, और यहाँ के डॉक्टरों को भी कोरोना वायरस हो गया था।
तेजी से कार्रवाई
भीलवाड़ा जिले में कोरोना वायरस के प्रसार के मद्देनजर, क्षेत्रीय सरकार ने तत्काल कार्रवाई की और इस जिले में कर्फ्यू लगा दिया। इसने जिले की सीमा को भी सील कर दिया।
राजस्थान सरकार ने इस जिले में 16,000 स्वास्थ्य कर्मचारियों की एक टीम भेजी, और ये स्वास्थ्य कार्यकर्ता भीलवाड़ा जिले के हर घर में गए और स्क्रीनिंग शुरू की। स्क्रीनिंग के दौरान, 18,000 लोगों में ठंड और फ्लू के लक्षण पाए गए। फिर इन लोगों का कोरोनावायरस के लिए परीक्षण किया गया था, और उन लोगों के लिए तुरंत उपचार शुरू किया गया था।
इस जिले में लॉकडाउन के समय से ही कर्फ्यू लगा दिया गया था, और लोगों को तब तक बाहर निकलने की अनुमति नहीं दी गई जब तक कि आवश्यक कार्य नहीं किया गया। लेकिन तब भी कोरोनावायरस के मामलों में कमी नहीं आ रही थी। उसके बाद, इस जिले में कर्फ्यू को और कड़ा कर दिया गया और लोगों को किसी भी परिस्थिति में घर से बाहर नहीं निकलने दिया गया। इस दौरान लोगों के घरों में जाकर उनकी स्क्रीनिंग की गई। राज्य सरकार के इस मॉडल ने अच्छे से काम किया और इस जिले से अब कोरोना वायरस का एक भी केस सामने नहीं आया है।
भीलवाड़ा जिले में 26 लोग संक्रमित पाए गए और दो लोगों की मौत कोरोना से हुई। वहीं, 30 मार्च के बाद से इस जिले से कोरोना के कोई नये मामले सामने नहीं आए हैं। भीलवाड़ा मॉडल की कैबिनेट सचिव राजीव गौबा ने भी काफी प्रशंसा की।
आने वाले समय में इस मॉडल को देश के अन्य हिस्सों में भी अपनाया जा सकता है। क्योंकि कई शहर ऐसे हैं जहां कोरोना वायरस के मामले काफी ज्यादा हैं। ऐसे में भीलवाड़ा मॉडल को इन जगहों पर लागू करना बेहद जरूरी हो गया है।
इस आर्टिकल के संबंध में आपके विचारों का हमें इंतजार रहेगा| आप पोस्ट पर अपने विचार कमैंट सेक्शन में शेयर कर सकते हैं|
Leave a Reply