‘जेल की दीवार को तोड़कर भाग जाना आसान है लेकिन प्यार और दोस्ती की दीवार को फांदना नामुमकिन है’ । शायद आपने ये डायलॉग सुना होगा। । इस डायलॉग को बोलने वाले जाने-माने अभिनेता बॉलीवुड के सुपरस्टार देव आनंद साहब जिन्होंने बॉलीवुड इंडस्ट्री को एक नई पहचान दिलाई। लेकिन उनकी पहचान भी उन्हें उनका सच्चा प्यार नहीं दिला सकी । खुद तो शादी करके बस गए लेकिन देवानंद साहब के प्यार में दीवानी 50 – 70 की दशक की जानी मानी अदाकारा रही सुरैया ने उनके बिना ही अपने प्यार के सहारे जीवन काट दिया। बड़े दिलचस्प किस्सा लगता है इस प्रेम कहानी का। आइए आपको इनकी प्रेम कहानी से रूबरू करवाता हूं ।
प्यार की शुरुआत
देव आनंद साहब 50 और 60 के दशक के सबसे हैंडसम और जाने-माने सितारे थे। कई हसीना उनकी दीवानी थी लेकिन देव साहब किसी और के दीवाने थे ।
साल था 1948, देव साहब “विद्या” फिल्म की शूटिंग कर रहे थे इस फिल्म की हीरोइन उभरती हुई अदाकारा सुरैया थी। अदाकारा का पूरा नाम था सुरैया जमाल शेख हनी, मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखती। और इधर देव साहब हिंदू थे। दोनों फिल्म की शूटिंग कर रहे थे, एक दृश्य था । गाने का सीन था गाना था ‘किनारे किनारे चले जाएंगे’ इसमें दोनों नाव पर सवार रहते हैं और नाव डूब जाती है अब आप तो समझ गए होंगे जब नांव डूबेगी तो हीरो क्या करेगा? हीरो थे आनंद साहब हमारे । वैसे यह फिल्म का दृश्य है । आनंद साहब सुरैया को बचाते हैं। बचाते फिल्म में है और असल जिंदगी में दिल भी दे बैठते हैं सुरैया जी को।
प्यार की शुरुआत इसी सीन से हो चुकी थी, रियल लाइफ में इनके। अब देव साहब अदाकारा के प्रेम में डूब गए। और शायद अदाकारा भी उनके प्रेम की दीवानी हो रही थी। बस क्या था देव साहब का नाम था, पिछले 2 साल से बॉलीवुड इंडस्ट्री में सक्रिय थे।। तो क्या उन्होंने सेट पर ही ₹3000 की अंगूठी खरीदी और सुरैया को ऐसी अंदाज में प्रपोज कर दिया। सुरैया मना क्यों करती, अरे अंदर ही अंदर वह भी तो प्यार करने लगीं थी। सुरैया जी ने हां कर दिया। अब आनंद साहब अपना भविष्य देख रहे थे कि हम सुरैया जी से शादी करेंगे घर बसाएंगे। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था । आगे बताते हैं……..
प्रेम के बीच में धर्म की दीवार
हमें अक्सर देखने को मिलता है कि या सुनने को मिलता है कि अगर कोई दो प्रेमी जोड़ा इंटर कास्ट है तो समाज या उनके घर परिवार वाले उनको नहीं कबूलते। और आज भी यही हाल है । हमने विकास तो कर लिया लेकिन मानसिक दृष्टि से नहीं कर पाए। यही हाल सुरैया और आनंद साहब का हुआ। आनंद साहब हिंदू थे और सुरैया मुस्लिम थी। सुरैया की नानी इन दोनों की प्यार की सख्त खिलाफ थी। नानी को लग रहा था कि सुरैया ने प्यार करके बहुत बड़ा अपराध कर दिया है। उनके नानी को तो यही लग रहा था।

अब उनके नानी को यह रिश्ता मंजूर ही नहीं था। उनकी नानी तो देव आनंद और सुरैया के बीच फिल्म में हुए रोमांटिक दृश्य को देखकर जलती थी। अरे इतना ही नहीं एक बार उन्होंने सुरैया को देवानंद से बात करते हुए पकड़ लिया था और उसके बाद उन्होंने उनका फोन छीन लिया। उनकी बातें करना बंद करवा दी आनंद साहब से। सुरैया जी की नानी धर्म को सबसे ऊपर रखती थी। शायद इसीलिए उन्होंने प्यार के बीच में दरार पैदा कर दी। यहां तक कि उन्होंने देवानंद साहब को सुरैया से दूर रहने के लिए कहा और धमकी दी कि अगर आज आने की कोशिश की तो जेल की रोटियां खानी पड़ेंगी, जेल भिजवा दूंगी।
अब क्या प्यार चकनाचूर हो गया। आनंद साहब और सुरैया का मिलना बंद हो गया यहां तक कि उन्होंने एक दूसरे के साथ फिल्में करना बंद कर दी। दोनों एक दूसरे से अलग हो गए। और जो अंगूठी देकर देव आनंद ने सुरैया को प्रपोज किया था सुरैया ने उस अंगूठी को समुद्र में फेंक दिया । उधर देव आनंद के लाइफ़ में अभिनेत्री कल्पना कार्तिक की एंट्री हो चुकी थी। देव साहब और कल्पना ने शादी रचा ली। जिंदगी में आगे बढ़ गए। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि सुरैया ने बिना शादी के ही अपनी जिंदगी बिता डाली।

दुनिया से अलविदा
31 जनवरी 2004 को मुंबई में सुरैया जमाल शेख ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। देवानंद साहब लंदन में थे तारीख 15 दिसंबर और साल था 2011 उनको हार्ट अटैक आया जिसकी वजह से उन्होंने भी दुनिया को अलविदा कह दिया।
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