पुराने ज़माने कि फिल्मो की बात हीं कुछ निराली थी। चाहे वो कहानी को लेकर हो, संगीत को लेकर हो या फिर निर्देशन को हीं लेकर क्यों ना हो। वह हर चीज में अव्वल नंबर पर रहती थी। उस समय के अभिनताओं का जादू भी कुछ ऐसा हीं निराला था। उनमे से कुछ यादगार हस्ती भी रहे हैं जैसे ऋषि कपूर , सुनील दत्त , राजेश खन्ना, प्रेम चोपड़ा, धर्मेंद्र इत्यादि। परन्तु, आज हम इसी सूची में से एक, एक ऐसे अभिनेता की बात करने जा रहे हैं जिन्होंने अपने दुश्मनों के पसीने छुड़ा दिए। जी हाँ, हम बात कर रहे हैं दिलीप कुमार उर्फ़ ‘ट्रेजेडी किंग’ की। बहुत कम लोग यह बात जानते होंगे कि उस सुपरस्टार का असली नाम “मुहम्मद युसूफ खान” था। लेकिन आज हम बात करने जा रहे हैं कि ऐसा क्या हो गया कि उनके पसीने छूट गए!!
दिलीप कुमार का जीवन
खाली फ़िल्मी दुनिया के लिए हीं उनका नाम दिलीप कुमार हैं। उनका जन्म 11 दिसंबर, 1922 पाकिस्तान के एक शहर पेशावर मे हुआ था। वह एक एक्टर, प्रोडूसर और यहाँ तक कि संसद के सदस्य भी हैं। उनको बचपन से हीं फिल्मो मे काम करने का बहुत शौक था। इसीलिए वह पाकिस्तान से भारत आ गए थे। यहाँ आकर कुछ समय मे हीं बॉलीवुड मे उन्होंने अपना सिक्का जमा लिया था। इस बात से तो आप सब भी इंकार नहीं कर सकते कि उन्होंने सफलता हासिल करने के साथ-साथ अपनी जगह आज हमारे दिलो मे भी बना ली हैं।
कैसे छूटे पसीने??
यह बात आज से बहुत साल पहले (1961) की हैं। उस समय वह गंगा जमुना फ़िल्म की शूटिंग कर रहे थे। एक दिन उसी फ़िल्म की शूटिंग के दौरान उन्हें सेट पर ढेर सारे गोल-गोल चक्कर लगाने पड़ गए। दरसल, उस समय उस फ़िल्म के क्लाइमेक्स (अंतिम पार्ट) की शूटिंग की जा रही थी। और उनको उस सीन में मरते हुए दिखाया गया था। अब जब कोई इंसान मर रहा होता हैं तो उसकी हालात बहुत गंभीर होती हैं। उसके पसीने छूट रहे होते हैं, सांस फूल रही होती हैं, वह कुछ बोलने के लायक नहीं रहता इत्यादि।
दिलीप कुमार साहब जी की हमेशा से आदत थी कि वह कोई भी सीन करते तो उसे पूरे दिलो जान से करते थे। वह उसको इस तरीके से अपना लेते थे कि जनता जब उसको देखे तब उन्हें लगे की यह तो असलियत में हो रहा हैं। बस इसी वजह से उन्होंने अपने आप को उस सीन में ढालने के लिए सेट के गोल-गोल चक्कर लगाना शुरू कर दिए। पर अंत में उनको यह बहुत भरी पड़ गया था।
कहाँ की बात ये हैं? उसके बाद क्या हुआ?
यह बात मेहबूब स्टूडियो की हैं। वहीँ पर गंगा जमुना फ़िल्म की शूटिंग करी जा रही थी। जब वह चक्कर लगाने गए, उससे पहले हीं उन्होंने कैमरामैन को समझा दिया था की मैं भाग कर आऊंगा तुम शॉट तैयार रखना। वह उस सीन के लिए तब तक दौड़ते रहे जब तक उनके पसीने नहीं छूट गए। फिर वह दौड़ कर आए और फ़िल्म का सीन शूट हो गया।
लेकिन कहानी यहाँ पर खत्म नहीं हुई। अभी तो असली क्लाइमेक्स बाकी हैं। कैमरामैन से गलती से शुरुआत के कुछ सीन छूट गए थे। जब दिलीप कुमार साहब को यह बात पता चली तब वह बाहर चले गए। कैमरामैन को लगा की वह उनसे बहुत नाराज़ हो गए।इसी कारण वह बिना बोले कुछ बाहर चले गए। उनको मानाने के लिए वह उनके पीछे पीछे गए और वहां का नज़ारा देख कर वह हैरान रह गए।
उन्होंने देखा की दिलीप साहब ने फिर से भागना शुरू कर दिया था। लेकिन इस बार उनकी भागते-भागते हालात बहुत ख़राब हो गयी थी। उनको चक्कर आने लगे थे और उनसे सांस भी नहीं ली जा रही थी। तभी वह वापस आए और सीन शूट कर लिया गया।
उस समय मूवी का सीन तो बहुत हीं अच्छा शूट हुआ। लेकिन सबके पसीने छुड़ाने वाले दिलीप साहब के उस दिन खुद हीं पसीने छूट गए थे। срочный займ на карту онлайн
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