‘ये चांद सा रौशन चेहरा,
जुल्फों का रंग सुनहरा,
ये झील सी नीली आंखे,
कोई राज है इनमें गहरा,
तारीफ़ करूं क्या उसकी, जिसने तुम्हे बनाया’
महान दिवगंत गायक और संगीतकार मोहम्मद रफ़ी साहब की ये सदाबहार पंक्तियां आज भी लोगों के दिलों में जिंदा हैं। आज भी जब कोई अपने प्यार का इजहार करता है, तो अक्सर इन पंक्तियों का इस्तेमाल ज़रूर करता है। रफ़ी साहब तो इस दुनिया को अलविदा कह गए, लेकिन उनका संगीत आज भी लोगों को मंत्रमुग्ध कर देता है। 31 जुलाई 1980 को हमें अलविदा कहने वाले रफ़ी साहब को गुजरे हुए चार दशक हो गए, लेकिन उस नेक दिल इंसान की यादें आज भी हमारे बीच जिंदा हैं। उनसे जुड़ी हुई ऐसी अनेक यादें हैं जो लोगों को उनका दीवाना बना देती हैं। आने वाली 31 जुलाई को उनकी 40वीं पुण्यतिथि के अवसर पर हम उनकी ऐसी ही कुछ यादों से रूबरू होंगे। तो आइए जानते हैं एक नेकदिल इंसान स्वर्गीय मोहम्मद रफ़ी साहब जी की कुछ स्मृतियों के बारे में।
जब बच्चे के विद्यालय में नामांकन के लिए गाना गाया
बात उन दिनों की है जब रफ़ी साहब सफलता की ऊंचाइयों पर थे। उन दिनों उनके आसपास उनके लिए अनेक लोग काम किया करते थे। उन्हीं लोगों में से एक साधारण आदमी ने एक दिन रफ़ी साहब के सामने एक गुज़ारिश की। उसने कहा कि वह अपने बच्चे को पढ़ाना चाहता है, लेकिन किसी कारणवश उसका विद्यालय में नामांकन नहीं हो पा रहा।
अगर रफ़ी साहब उस विद्यालय में नामांकन के लिए सिफारिश कर दें, तो उसके बच्चे का नामांकन आसानी से हो जाएगा। रफ़ी साहब ने पूछा, कि क्या मेरे कहने पर उसका नामांकन हो पाएगा? उस आदमी ने जवाब दिया कि हां, आप के कहने पर मेरे बच्चे का नामांकन हो जाएगा, क्योंकि लोग उनकी बहुत इज्ज़त करते हैं।
उसके बाद रफ़ी साहब उस आदमी के साथ विद्यालय गए। जब वह वहां पहुंचे तब वहां के प्रधानाध्यापक ने रफ़ी साहब से एक गाना गाने कि गुज़ारिश की। रफ़ी साहब राजी हो गए और वह वही हारमोनियम लेकर बैठ गए और पूरे विद्यालय को गाना सुनाया। सब लोग बहुत खुश हुए। इसके बाद विद्यालय ने रफ़ी साहब की बात मानते हुए बच्चे का नामांकन स्वीकार कर लिया।
जब गाने के लिए पैसे दिए
इंसान अपनी ज़िन्दगी में जब भी कोई काम करता है, तो उसके लिए पैसे भी लेता है। कोई भी काम लोग मुफ्त में करना पसंद नहीं करते। और अपनी मेहनत के लिए पैसे लेना ग़लत भी नहीं है। लेकिन ऐसे बहुत कम लोग ही होते हैं, जो कभी कभी बिना पैसे लिए ही दूसरों का काम कर उनकी मदद कर देते हैं। रफ़ी साहब भी उन्हीं लोगों में से एक थे।
एलपी के नाम से मशहूर भारतीय संगीतकार लक्ष्मीकांत प्यारेलाल मोहम्मद रफ़ी साहब के पास गए। उन्होंने रफ़ी साहब से गाना गाने की गुज़ारिश की। इसके लिए उन्होंने रफ़ी साहब को पांच सौ रुपए भी दिए। उन्होंने एलपी से पूछा कि यह उनका पहला गाना है न? एलपी ने हामी भर दी।
इसके बाद रफ़ी साहब ने अपनी जेब से पांच सौ एक रुपए निकाले और उनको दे दिया। उन्होंने कहा कि यह पैसे वे उन्हें शगुन या आशीर्वाद के रूप में दे रहे हैं। यह उनका पहला गाना है, इसलिए शुभकामनाएं देते हुए वह बिना पैसे लिए ही उनके लिए यह गाना गाएंगे। रफ़ी साहब कि बातें सुनकर लक्ष्मीकांत प्यारेलाल आश्चर्यचकित हो गए। उनकी जिंदादिली देखकर उनके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई।
हम अक्सर देखते हैं कि लोग अपने चहेते गायक, अभिनेता, अभिनेत्री, निर्देशक, खिलाड़ी या राजनेता से मिलने या बात करने की इच्छा रखते हैं। कुछ लोग उनसे ऑटोग्राफ भी लेने की चाहत रखते हैं। कुछ लोगों का सपना पूरा भी हो जाता है और कुछ असफल भी हो जाते हैं। ऑटोग्राफ से जुड़ा एक वाकया रफ़ी साहब के साथ भी हुआ था
जब रफ़ी साहब प्रशंसकों को ऑटोग्राफ देने में शर्माते थे
बात उन दिनों की है जब गायक महेंद्र कपूर रफ़ी साहब से गायन की बारीकियां सीख रहे थे। एक दिन उन्हें, यानी रफ़ी साहब को, पंजाब में स्थित पटियाला के एक कॉलेज में गाना गाने के लिए बुलावा आया। उनके कहने पर महेंद्र कपूर भी उनके साथ पटियाला पहुंचे। वह कॉलेज सिर्फ लड़कियों के लिए था। वहां पहुंचकर रफ़ी साहब ने अपनी गायकी से लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
कार्यक्रम खत्म होने के बाद कॉलेज की लड़कियां पेन और पेपर लेकर उनके पास आईं। रफ़ी साहब कुछ समझ नहीं पाए। उन्होंने पंजाबी भाषा में महेंद्र से सादगी से पूछा, यह सब क्या है? महेंद्र कपूर ने कहा कि आप पूरे देश में पॉपुलर हो और आपको सभी लोग जानते भी हैं। यह सभी लोग आपकी गायकी को बहुत पसंद करती हैं, और आपसे ऑटोग्राफ लेना चाहती हैं। ऐसा सुनकर रफ़ी साहब ने कहा कि मैं इतना भी महान नहीं हूं। उन्होंने शर्माते हुए कहा कि, महेंद्र मेरी जगह तुम ऑटोग्राफ दे दो।
आने वाली 31 जुलाई को रफ़ी साहब के गुजरे हुए चार दशक हो जाएंगे, लेकिन आज भी उनकी यादें हमारे बीच उनकी उपस्थिति का एहसास कराती हैं। उनसे जुड़ी ऐसी अनेक कहानियों और यादों के बारे में जानने के लिए बने रहे हमारे साथ। मोहम्मद रफ़ी साहब से जुड़ी यह यादें अगर आपको पसंद आई हो, तो इसे और भी लोगों को जरूर सुनाएं। साथ ही टिप्पणी करके जरूर बताएं कि क्या आपको भी उनसे जुड़ा कोई पसंदीदा किस्सा याद है? займ на карту без отказов круглосуточно