“कोई चाहत है न जरूरत है
मौत क्या इतनी खूबसूरत है
मौत की गोद मिल रही हो अगर
तो जागे रहने की क्या जरूरत है।”
इन नज़्मों और गज़लों में कितना दर्द छुपा हुआ है। मीना की ज़िन्दगी में कभी गुलज़ार साहब का नाम भी जुड़ा। मीना कुमारी ने गुलज़ार साहब को लगभग अपनी डेढ़ सौ डायरियाँ दी थी , जिन्हें गुलज़ार साहब ने मीना के जाने के बाद ‘नाज़’ के नाम से छपवाया। मीना कुमारी को ट्रेजडी क्वीन भी कहा जाता था।
1951 में फिल्म तमाशा के सेट पर मीना कुमारी की मुलाकात फिल्म निर्देशक कमाल अमरोही से हुई और बाद में यह मुलाकात इश्क में तब्दील हो गईं। फिर सालभर बाद दोनों ने निकाह के बंधन में बंधना मंजूर कर लिया। मीना कुमारी कमाल अमरोही की तीसरी पत्नी थीं।
“तलाक! तलाक! तलाक!” कह दिया कमाल अमरोही ने और खत्म हो गया मीना और कमाल अमरोही का रिश्ता।
कुछ दिनों बाद कमाल अमरोही को इस बात का अंदाजा हुआ कि उनसे बहुत बड़ी गलती हो गई है। वे मीना के पास लौटना चाहते थे और मीना भी उनके साथ ही रहना चाहती थीं लेकिन ऐसा मुमकिन नहीं था क्योंकि कमाल तो मीना को तलाक दे चुके थे। धर्म के गुरुओं के अनुसार हलाला करना पड़ेगा फिर क्या था इसके लिए कमाल ने चुना अपने दोस्त अमानुल्लाह खां (जीनत अमान के पिता) को। अमानुल्लाह ने मीना के साथ निकाह किया और फिर उन्हें तलाक दे दिया। उसके बाद कमाल अमरोही ने फिर मीना से निकाह कर लिया।
हलाला की तकलीफ मीना को अंदर ही अंदर मारे जा रही थी, इसका जिक्र उन्होनें अपनी किताब में भी किया है। ऐसा कहा जाता है कि कमाल अमरोही मानते थे कि उनकी कामयाबी की सीढ़ी मीना से होकर ही गुजरा करती है। फ़िल्म पाकीजा से मशहूर हुए थे कमाल अमरोही और ऐसा मानना है कि अगर मीना कुमारी फ़िल्म पाकीजा में काम नहीं करतीं तो कमाल अमरोही को कभी इतनी शौहरत नहीं मिलती।
कमाल और मीना का रिश्ता धीरे-धीरे खराब होता जा रहा था और कभी-कभी नौबत मार-पीट तक की भी आ जाया करती थी। उनका रिश्ता जैसे-जैसे बिगड़ रहा था वैसे-वैसे धर्मेन्द्र और मीना करीब आ रहे थे, जो कलाम अमरोही को बर्दाश्त नहीं हो पा रहा था। फिर धर्मेन्द्र और मीना अलग होने लगे और मीना को शराब का सहारा मिल गया। फ़िल्म पाकीजा में कमाल ने ये बताने की कोशिश की कि सिर्फ मीना ही नहीं वे भी मीना के दीवाने हैं।
इस फ़िल्म के गाने और डॉयलॉग कमाल ने ही लिखे थे- “आप के पाँव बहुत खूबसूरत हैं, इन्हें ज़मीन पर मत उतारिए मैले हो जायेगें।” ऐसा कहा जाता है कि ये कमाल की ख्वाहिशें थी मीना के लिए। 1972 में मीना शराब के कारण इस दुनियां से रुखसत हो गईं। उसके बाद कमाल अमरोही ने भी खुद को फ़िल्मी दुनियां से बहुत दूर कर लिया पर फिर करीबन एक साल बाद वे लौट आए।
मीना हमेशा अपनी ज़िन्दगी में मोहब्बत को तलाशती रहीं पर वे हमेशा ही तन्हा सी रहीं। मीना ने लिखा है-
“चाँद तन्हा,आसमां तन्हा
दिल मिला है कहाँ -कहाँ तन्हा
राह देखा करेगा सदियों तक
छोड़ जायेगें ये जहां तन्हा।”