1. अश्विनी
इसकी क्रमांक संख्या एक है। इस नक्षत्र के प्रभाव में जन्म लेने वाले जातक देखने में सुन्दर होते हैं। यह कार्य में निपुण होते हैं तथा लोकप्रिय होते हैं। यह धनी होते हैं और साधारणतया भाग्यवान होते हैं। ये चतुर होते हैं तथा इनकी बुद्धि तीक्षण होती है। ये शान्त स्वभाव परन्तु होशियार होते हैं। ये कुछ खर्चीले होते हैं। ये अपने इरादे के पक्के व दृढ़ होते हैं। ये उन व्यक्तियों के बड़े आज्ञाकार होते हैं जिन्हें ये प्यार करते हैं। ये अच्छे सलाहकार होते है और उत्तम मित्र सिद्ध होते हैं।? ये प्रत्येक कार्य सोच-विचार कर करते हैं। इनके पास अथाह धन होता है। परन्तु इन्हें धन का लाभ कम ही होता है। कई बार इनके कारण परिवार में कठिनाईयां घेरा डाल लेती है। ये कई विषयों के ज्ञाता होते हैं तथा इनकी गुप्त विद्या, ज्योतिष आदि में अधिक रूचि होती है।
इस नक्षत्र की स्त्रियां सुन्दर होती हैं। इनकी आंखें सुन्दर होती हैं और व्यक्तित्व आकर्षक होता है। इनकी वाणी अति मधुर होती है तथा इनको अपने निकट ले आने की अथाह शक्ति होती है। ये दिल की साफ, स्पष्ट एवं कामुक होती हैं। ये प्रत्येक का मान-सम्मान करती हैं तथा व्यवहार कुशल होती है।
2. भरणी
इस नक्षत्र का क्रमांक 2 है। इसके प्रभावाधीन जन्म. लेने वाले जातक की आखें चमकदार, मस्तक बड़ा, औसत कद होता है। कईयों का कद लम्बा भी होता है। इनका रंग गेहूँआ लम्बी गर्दन तथा मुख भी कुछ लम्बा होता है। इनका सिर आमतौर पर बड़ा होता है। स्त्री जातक बहुत सुन्दर होती है। तथा खदा जब हस्न देता है. नज़ाकत आ ही जाती है इन पर खूब ठीक बैठता है।
ये जातक बुद्धिमान एवं ज्ञानी होते हैं। जीवन से इन्हें अत्यधिक लगाव एवं प्रेम होता है, इनके विचार उतम होते हैं। ये सत्यवादी, दृढ़ प्रतिज्ञ, सुखी एवं धनी होते हैं। ये शौकीन मिजाज के होते हैं। ये कार्य अपने मतानुसार ही करते हैं इसी कारण वह कई बार असफल भी हो जाते हैं। ये छोटी-छोटी बातों पर परिजनों से बिगड़ जाते हैं परन्तु जल्द ही सब कुछ भूल भी जाते हैं। किसी के अधीन कार्य करना इन्हें पसन्द नहीं होता। ये दूसरों पर हर समय अनुशासन करने की भावना रखते हैं तथा अपनी आज्ञा का पालन कराते हैं। इनके जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं।
3. कृतिका
इन नक्षत्र का क्रमांक 3 है। इसके प्रभावाधीन जन्म लेने वाले जातक सुगठित शरीर के होते हैं। इनकी आयु लम्बी एवं स्वास्थ्य अच्छा होता है। ये घमण्डी, खाने-पीने के लोभी, क्रोधी, दुःखी तथा गुस्सैल होते हैं। ये उन्नतिशील, मान-सम्मान प्राप्त करने वाले, उपकारी, दयालु तथा सामाजिक कार्य करने वाले होते हैं। ये बुद्धिमान, एवं सूझबान होते हैं परन्तु किसी कार्य को लम्बे समय तक करने में असमर्थ रहते हैं और इसी भीतर अन्य कार्य की ओर लग जाते हैं। ये जो सोचते हैं, वही करते हैं और ये अच्छे सलाहकार होते हैं । ये गलत ढंगों से मान-सम्मान प्राप्त करना नहीं चाहते तथा सही मार्ग अपनाते हैं। ये अच्छे प्रबन्धक होते हैं तथा उत्तम लीडर होते हैं। आरम्भिक अवस्था में काफी उतार-चढ़ाव आते हैं तथा कई परिवर्तन होते हैं।
इस नक्षत्र की स्त्रियां प्रायः जिद्धी, घमण्डी होती हैं और किसी की बात कम ही सहन करती हैं। घर तथा बाहर इनका वंही स्वभाव बन जाता है। ये कम विद्या ग्रहण करती हैं परन्तु आमतौर पर कई हालात में यह अच्छी विद्या, प्राप्त करती हैं। यह अधिकारी भी बन जाती है। कृतिका नक्षत्र अनुशासन प्रेमी बनाता है।
4. रोहिणी
इस नक्षत्र का क्रमांक 4 है। इसके प्रभावाधीन जन्म लेने वाले जातक का व्यक्तित्व आकर्षक होता है। आकर्षक आख हाता
हैं। इनका शरीर पतला परन्त कई बार स्थल तथा कद औसत होता है। ये सुन्दर होते हैं। इनके पट्टे सगठित होते हैं। स्त्री ‘जातक कोमल एवं अति सुन्दर होती है। ये जातक शीघ्र उत्तेजित हो जाते हैं। इनकों क्रोध जल्दी आता है और फिर जल्दी शान्त नहीं होता। ये अपना निर्माण कम ही बदलते हैं। ये दसरों के दोष भी निकालते रहते हैं। य आधकतर अपने मन के पीछे लगे रहते हैं और अपनी बुद्धि से कम काम लेते हैं। ये अपने प्यार की खातिर सब कुछ करने को तत्पर रहत ह एव विरोधियों का खून लेते हैं।
यह सत्य को पहचानते हैं और झूठ के पीछे नहीं जाते। इनके जीवन में उतार-चढाव अधिक आते हैं। ये किसी भी कार्य का कम ही अग्रिम योजना बनाते हैं। स्त्री जातक सन्दर परिधान की शौकीन होती है एवं इनका व्यवहार अच्छा होता है। इनका हृदय दुर्बल ही होता है परन्तु फिर भी ये दिखावा अच्छा करती है। ये जल्दी भड़क भी पड़ती है तथा कई कठिनाईयां खड़ी कर लेती है। फिर भी ये क्रियात्मक, बात को छुपा कर रखने वाली, स्वभाव की कुछ प्रचण्ड होती है। स्वभाव में ऐसा परिवर्तन उनको उकसाने से होता है। साधारणतयः रोहिणी नक्षत्र वाले जातक बलवान, मधुरभाषी, उत्तम वक्ता, सत्यवादी, सुन्दर एवं आज्ञाकारी होते हैं। ये दानी, उदार तथा शान्त स्वभाव के स्वामी होते हैं।
5. मृगशिरा
इस नक्षत्र का क्रमांक 5 है। इसका स्वामी ग्रह । मंगल है। इस नक्षत्र में जन्म लेते जातक की बचपन में सेहत ढीली . रहती है। फिर भी इनका शरीर सुन्दर एवं सुगठित होता है। इनका रंग साफ एवं भुजा कुछ लम्बी होती है। इनकी टांगे आमतौर पर पतली होती हैं। स्त्री जातक पतली व सुन्दर होती है। इनका व्यक्तित्व बड़ा सुन्दर होता है। तथा वे कुछ लम्बी होती हैं।
मृगशिरा नक्षत्र वाले जातक चंचल, चतुर, धैर्यवान, कुछ स्वार्थी एवं घमण्डी होते हैं। ये मन में ईर्ष्या की भावना रखने वाले व धीरेधीरे काम करने वाले होते हैं। धन स्वयंमेव आता है। यात्रा भ्रमण में ये विशेष रुचि रखते हैं। प्रत्येक वस्तु एवं व्यक्ति को ये शंका की दृष्टि से देखते हैं। कार्य व्यवहार के उचित व सही होते हैं, इसी लिए ये कई बार धोखा भी खा जाते हैं। ये सादा जीवन पसन्द करते हैं। ये कई बार अशान्त हो जाते हैं और छोटी-छोटी बातों से चिढ़ने लगते हैं। ये सहायक एवं साहसिक जो जन्मजात से होते हैं। इनका जीवन का प्रथमार्द्ध उतार-चढ़ाव वाला होता है। ये किसी कार्य को निरन्तर अथवा लगातार जारी नहीं रख सकते। ये अच्छे आर्थिक सलाहकार भी होते हैं। इनमें प्रत्येक कार्य को करने की पूर्ण शक्ति होती है परन्त इन्हें जीवन में कठिनाईयां भी झेलनी पड़ती है। इसी कारण ये कई बार चिन्ता में रहने लगते हैं। और जीवन के अन्धेरे पक्ष की ओर देखने लगते हैं। इन्हें सन्तान और मित्रों से लाभ मिलता है।
स्त्री जातक विवाहोपरान्त भी अपने-आप को किसी-न-किसी कार्य में लगाए रहती है। ये इन्जीनियर, टी.वी, कम्प्यूटर में भी कार्य करती है।
6. भाद्री
इस नक्षत्र का क्रमांक 6 और इसका स्वामी राहू है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक मोटे और आमतौर पर पतले देखे गए हैं। इनकी आखें कुछ मोटी तथा नाक कुछ बड़ी होती है। स्त्री जातक सुन्दर होती है। ये कृतन्ध-गौरव वाले, झूठे तथा आमतौर पर पापी एवं धनहीन होते हैं। इन पर भरोसा नहीं किया जा सकता तथा ये आमतौर पर विश्वासपात्र नहीं होते। ये दूसरों के धन पर मौज करने वाले होते हैं। ये अंहकारी, पापबुद्धि, कृतघ्न, निर्धन होते हैं। ये प्रदर्शन प्रिय होते हैं और सदैव नीच बिचारों में ग्रस्त रहते हैं। इसलिए ये विश्वसनीय नहीं होते।
ये घमण्डी और अपने आप में ही रहने वाले, होते हैं, इनका स्वभाव कछ तेज़ व उग्र होता है। ये बड़े चुस्त होते हैं और दूसरों को तुरन्त मांप लेते हैं। ये नाशुक्रे भी होते हैं। ये जातक दीर्घायु वाले होते हैं परन्त इनकी सन्तान कम ही होती है। ये साहित्य क्षेत्र में रुचि कम रखते हैं परन्तु वह देखा गया है कि इनका दिमाग प्रायेक क्षेत्र में काफी तेज़ चलता है। परेशानियां इनके जीवन में आती रहती हैं। ये स्वयं भी कठिनाईयों के कल्पित हवाई किले बनाते रहते हैं और इस तरह दुखी . होते हैं। इन्जीनियरिंग कार्यों में ये जातक अधिक रुचि रखने वाले होते हैं।
7. पुनर्वसु
इस नक्षत्र का क्रमांक 7 है और इसका स्वामी गुरु है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक सुन्दर होते हैं। उनका मुखडा कुछ लम्बा एवं मस्तक बड़ा होता है। मुँह व सिर पर अथवा सिर के पृष्ठभाग पर कई बार कोई निशान भी होता है। इनकी शक्ल भोली सी होती है और चेहरे पर निराशा झलकती है।
ये जातक शान्त, सुखी एवं लोगों में भी लोकप्रिय होतें हैं, इनमें बड़ी नम्रता होती है परन्तु वह बड़े होशियार और चुस्त होते हैं। यह काफी अच्छे-अच्छे दाव-पेच जानने वाले होते हैं। ये जातक सज्जन व साहसी होते हैं। ये पत्र तथा मित्रादि से मुक्त होते हैं। आमतौर पर यह शान्त होते हैं परन्तु यदि इन्हें भड़काया अथवा उकसाया जाए तो ये नियंत्रण में नहीं रहते। इन्हें ईश्वर में पूर्ण विश्वास होता है और ये धार्मिक रुचि रखते हैं। ये सच्चाई पसन्द होते हैं और दूसरों की सहायता के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। ये अनुशासन प्रिय होते हैं। इनका जीवन सादा व सामान्य होता है। ये भक्त, कुशाग्र बुद्धि और साहित्यानुरागी होते हैं। ये स्वार्थी भी होते है तथा रोग व काम-वासना में ग्रस्त रहते हैं। इनका जीवन आनन्दमय तथा धार्मिक रहता है। किसी विशेष स्थिति में ये शराब एवं नशीली दवाओं आदि का सेवन भी करने लगते हैं। फिर भी प्रायः इनका जीवन सुखी होता है।
स्त्री जातक को सुन्दर पति प्राप्त होता है। ये सभी कार्यों में समान रुप से सफलता प्राप्त करते है।
8. पुष्प
इस नक्षत्र का क्रमांक 8 है और इसका स्वामी शनि है। इनका रंग साफ होता है। परन्तु आमतौर पर रंग अधिक कोरा नहीं होता। इनके चेहरे पर कोई निशान अथवा तिल आदि का भी निशान होता है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक शीघ्र क्रोध मे आ जाते हैं। परन्तु ये सुन्दर व सुखी होते हैं।
ये धर्म परायण, धनवान, पंडित, ज्ञानी और शान्त स्वभाव के होते हैं। ये मितव्ययी, संयमी, दूरदर्शी, समझदार व आत्मनिर्भर होते हैं। ये शान्त चित वे धैर्यवान होते हैं। ये अतध्यानी, विचारशील होते हैं व प्रत्येक कार्यों में बुद्धि से काम लेते हैं। ये ध्यानपूर्वक चलने व कार्य करने वाले होते हैं। कई बार यह ठीक निर्णय न लेने के कारण कठिनाई में भी फंस जाते हैं । ये स्वार्थी होते हैं। वे दोस्तों, मित्रों की बरी संग फंस जाते हैं। ये सुखी होते हैं और यह स्वतन्त्र विचार रखते हैं। ये बुद्धिमान तथा धनवान होते हैं। ये बहुत चतुर होते हैं। ये कटम्ब प्रेमी होते हैं और प्रत्येक वस्तु अपने गृह की ओर ही खींचते हैं।
स्त्री जातक शर्मीली होती है तथा खुल कर बात कम ही करती है। गृहस्थ जीवन में कई कठिनाईयां आती हैं। एक मत के अनुसार पण्य नक्षत्र में जन्म लेने वाली स्त्री जातक अति होशियार, चुस्त-चालाक होती है और वह अपने पति को अंगुलियों पर नचाती है। पुण्य नक्षत्र वाले, कवि, लेखक, वकील तथा प्रशासनिक कार्यों में रुचि रखते हैं।
9. अश्लेषा
इस नक्षत्र का क्रमांक 9 है और इसका स्वामी बुध है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक क्रूर स्वभाव, सर्वभक्षी, धूर्त, दुष्ट व स्वार्थी होते हैं। ये जातक जल्दी-जल्दी चलते हैं तथा तुरन्त पहचाने जाते हैं। ये कई बुरे कार्य करने लग जाते हैं परन्तु साधारणतयाः ये स्वस्थ व खुशमिजाज होते हैं। ये कुछ कम आज्ञाकारी भी होते हैं।
अश्लेषा नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातकों का स्वभाव व्यापारियों जैसा होता है। इनकी बुद्धि तीक्षण होती है तथा ग्रहण करने की शक्ति प्रबल होती है। ये कुशल, चतुर, प्रवीण व समझदार होते हैं। ये अनेक कार्यों में माहिर होते हैं। इनका व्यवहार उचित एवं न्यायपूर्ण होता है। ये बहुत बोलने वाले, नकलची, स्वांगी भी होते हैं। ये आभारी कम ही होते हैं। ऊपर के ये बड़े भोले व आज्ञाकार लगते हैं परन्तु भीतर से ऐसे नहीं होते वरन् चालाक होते हैं। ये बातूनी भी होते हैं और अन्य लोगों को भी खूब हंसाते हैं। ये देखा जाए तो बातों की कमाई खाते हैं। ये अति भोगी तथा कामी होने पर भी औषधि व्यापार से धन संचय करते हैं।
स्त्री जातक बड़ी शर्मीली होती है। इनका चरित्र बढ़िया होता है। परिगन व सम्बन्धी इनका अच्छा आदर करते हैं। ये गृहकार्यों में बहत दक्ष होती हैं। इन्हें गृहस्थ चलाने का पूर्ण ज्ञान होता है।
10. मघा
इस नक्षत्र का क्रमांक 10 है तथा इसका स्वामी केत है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातकों का आमतौर पर कद औसत दर्जा होता है। इनकी गर्दन कुछ ऊंची तथा शरीर पर लाने तथा बाल काफी होते हैं। इनके हाथों अथवा कन्धों के निकट तिल भी होता है। स्त्री जातक बहुत सुन्दर होती है।
मघा नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक देखने में भोले-भाले लगते हैं परन्तु ये महत्वाकांक्षी होते हैं। ये उद्यमी, समाज के अगुआ, धनवान और साहसी होते हैं। ये बहुत नौकर चाकरों वाले, भोगी व पिता के आज्ञाकार होते हैं। ये शान्तमय जीवन पसन्द करते हैं। अच्छी व सुन्दर वस्तुओं के शौकीन होते हैं, तथा फूलों वाले बगीचे में बैठकर आनन्द लेना अति पसन्द करते हैं। ये स्पष्टवादी, खरी बात कहने वाले, व्यवहार, कुश्ल, कुछ झगड़ालू, अपनी सुरक्षा के सम्बन्ध में चौकस. दृढ़, प्रतिभाशाली, साहसी, बहादुर, विलासी एवं इन्द्रियों के गुलाम होते हैं, फिर भी ये पंरिश्रम एवं चतुराई में बड़े-बड़े कार्य संपादित कर लेते हैं। मनोदशा अथवा स्वभाव चिड़चिड़ा परन्तु उत्साही होता है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले परिश्रमी, उद्यमी तथा परोपकारी होते हैं।
स्त्री जातक उद्यमी व चतुर होती है। वे साहसी और प्रतिभाशाली होती हैं। स्त्री जातक ससुराल में कलह-कलेश का कारण बन जाती है।
11. पूर्वाफल्गुनी
इस नक्षत्र का क्रमांक 11 है और इसका स्वामी शुक्र है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातकों का शरीर सुगठित तथा व्यक्तित्व बढ़िया होता है। इनका रंग साफ तथा ये नाक की विशेषता के कारण तुरन्त पहचाने जाते हैं।
ये ज्ञानी, पंडित, विद्वान, गम्भीर, सुखी, जनता में लोकप्रिय, स्त्रियों के प्रिय व रसिया एवं धनी होते हैं। ये मधुरभाषी, साहसी व चालाक भी होते हैं। ये अपव्ययी, सुन्दर व्यक्तित्व के मालिक, स्त्री के प्रति विशेषं झुकाव रखने वाले होते हैं इनमें पूर्ण योग्यता व कुशलता होती है। ये सज्जन, उदार व दानी होते हैं। पूर्वाफल्गुनी नक्षत्र वाले व्यक्ति, मुक्त हृदय होते हैं। ये हर किसी से प्रेम करने वाले होते हैं। ये सावधान, चौकस तथा अनुमान लगाने में दक्ष होते हैं। ये चुस्त, होशियार, मिलनसार, धीर-गम्भीर तो होते ही हैं। ये कई बार अस्थिर मन व विचारों से पीड़ित रहते हैं।
स्त्री जातक सुन्दर होती है। वे अच्छी विद्या प्राप्त करती हैं। उनकी विज्ञान में बहुत रुचि होती है इन्हें वाहन सुख प्राप्त होता है। पूर्वाफल्गुनी नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक मान-सम्मान पाते हैं। भ्रमण, तीर्थात्न तथा संगीत में इनकी विशेष रुचि होती है।
12. उतराफल्गुनी
इस नक्षत्र का क्रमांक 12 है और इसका स्वामी सूर्य है। साधारणतया ये जातक लम्बे एवं मोटे होते हैं। इनकी नाक कुछ लम्बी होती है। इनके गले की दाई ओर काला तिल भी देखा गया है। स्त्री जातक का भी रंग साफ होता है। साधारणतया चेहरे पर तिल पाया जाता है।
उतराफल्गुनी में जन्म लेने वाले जातक लोगों में लोकप्रिय होते हैं। ये योद्धा, शूरवीर, शस्त्र विद्या में प्रवीण एवं पधुरभाषी होते हैं। वे कामुक व सुन्दर व्यक्तित्व के मालिक होते हैं। ये आज्ञाकार, मन के सच्चे परन्तु शीघ्र भड़क पड़ते हैं। ये उपद्रवी, ऊँचे उठने के इच्छुक, शेखीखोर, स्वप्रशंसक, धौंस जताने व देने वाले होते हैं। ये आशावादी, उदार, विनीत, नास्तिक, होशियार, मुक्तिपूर्ण, बुद्धिजीवी तथा ध्यानपूर्वक कार्य करने वाले होते हैं। ये पुरुषार्थी होते हैं एवं विद्या द्वारा धनोपार्जन करते हैं परन्तु फिर भी इनका गृहस्थ जीवन गृह-क्लेश, व्यर्थ की मुक्द्दमेबाजी तथा मानसिक तनाव से पीड़ित रहता है। इस नक्षत्र की स्त्री जातक गृहस्थी चलाने में होशियार होती है। इस नक्षत्र वाले दिमागी तथा वौद्धिक होते हैं।
13. हस्त
इस नक्षत्र का क्रमांक 13 है और इसका स्वामी चन्द्रमा है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक शरीरिक पदा से पुष्ट एवं लम्बे होते हैं। इनका रंग साफ होता है तथा शरीर की अपेक्षाकृत हाथ कुछ छोटे होते हैं।
ये जातक दानी, बहादुर व अनुशासन प्रेमी होते हैं। ये मद्यपी, कामातुर, बन्धु-हीन, निरंकुश, चोर और परस्त्री-गामी होतें हैं। इनका जीवन प्रायः कलह-पूर्ण बना रहता है। ये जातक जालिम प्रवृति के होते हैं। ये बड़े ढीठ व बेअदव तथा बेगरम होते हैं। इनका पारिवारिक जीवन दुखी, पत्नी रुग्णा तथा मन अशान्त रहता है। ये शान्त स्वभाव भी होते हैं तथा हंसी से दूसरों को आकर्षित करने वाले तथा दूसरों की सहायता करने वाले होते हैं। ये शत्रुनाशक, शिकार के प्रेमी तथा नौकरी में उच्च पद पाने में समर्थ रहते हैं। इनके जीवन में उतारचढ़ाव बहुत आते हैं। एक समय तो ये शिखर पर पहुँच जाते हैं तथा दूसरे समय कई बार ये कहीं के भी नहीं रहते। स्त्री जातक बड़ी शर्मीली होती है। वे किसी की दास बनकर रहना पसन्द नहीं करती और अधिकार प्राप्त करने की इच्छा रखती हैं। इन्हें जीवन में आलोचना का भी सामना करना पड़ता है।
14. चित्रा
इस नक्षत्र का क्रमांक 14 है और इसका स्वामी मंगल है। जिन व्यक्तियों का इस नक्षत्र में जन्म होता है इनका व्यक्तित्व आकर्षक होता है। इनके नैन-नक्श तीखे विशेषकर आंखें आकर्षक होती हैं। इनका स्वास्थ्य अच्छा रहता है। अपने व्यक्तित्व एवं बोलचाल से ये अनायास पहचाने जाते हैं।
चित्रा नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक संतोषी, धनवान एवं देवता सदश होते हैं। ये देवी-देवताओं, गुरुओं पीरों, के भक्त होते हैं। ये प्रसन्न चित रहते हैं तथा इनका स्वभाव मधुर होता है। ये अपने जन्म स्थल से दूर रहते हैं। ये चतुर, उत्साही, निडर, साहसी, बहादुर व व्यंग्य पसंद एवं रुचि रखते हैं। इनके स्वभाव में उताबलापन तथा व्यवहार रोषपूर्ण होता है। ये जातक अनेक स्त्रियों से सम्बन्ध रखने वाले होते हैं। ये आशावादी, उत्साही, विद्याप्रेमी, औषधि व लेखन के अर्थोपार्जन करने वाले होते हैं। ये अपने मन की बात किसी को नहीं बताते। स्त्री जातक आमतौर पर विज्ञान में अधिक रुचि लेती है।
15. स्वाती
इस नक्षत्र का क्रमांक 15 है और इसका स्वामी राहू है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातकों का कद औसत दर्जा होता है। इनका रंग साफ होता है तथा गेहूँआ झलक देता है। ये जब स्थूल होते है परन्तु व्यक्तित्व अच्छा होता है। स्त्रियां इनकी ओर अधिक आकर्षित होती हैं। ये टखनों से भी पहचाने जाते हैं।
स्वाती नक्षत्र में जन्मे जातक कृपालु, धर्मात्मा, भक्त, सुशील, लोकप्रिय एवं परमात्मा को मानने वाले होते हैं। ये चुस्त होते हैं। ये सहानुभूति रखने वाले, उचित समय पर उचित, सही बात करने वाले होते हैं ये बौद्धिक, सहज ज्ञान रखने वाले, अनुबोधक एवं न्यायपूर्ण होते हैं। बौद्धिक कार्यों से लाभ और वश प्राप्त करते हैं। प्रायः शिक्षा अधूरी भी रह जाती है। ये परिवर्तनशील, संवेदनशील, चंचल, त्यागी, तपस्वी व साधक होते हैं। ये होशियार एवं मुक्तिमुक्त होते हैं। इनका स्वभाव अच्छा होता है तथा इनमें पूर्ण आत्मविश्वास होता है। ये अच्छे प्रबन्धक भी होते हैं। ये जातक साधारणतया शांतिप्रिय, कानून को मानने वाले तथा अच्छे नागरिक होते हैं। स्त्री जातक गृहस्थ जीवन से संतुष्ट नहीं होते स्त्री जातक नौकरी में सफल होती है। देश से बाहर ‘किस्मत चमकती है।
16. विशाखा
इस नक्षत्र का क्रमांक 16 हैं तथा इसका स्वामी गुरु है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातकों का चेहरा गोल व रंग । साफ होता है। इनका व्यक्तित्व आकर्षक होता है, ये कुछ मोटे होते हैं परन्तु साधारणतया लम्बे एवं पतले होते हैं।
ये जातक नेता, प्रधान, कवि, पण्डित, अच्छे कर्म करने वाले । तथा साधारणजनों द्वारा सम्मान प्राप्त होते हैं। ये ईमानदार होते हैं।
प्रयत्नशील रहते हैं. तथा दानी भी होते हैं। ये परमात्मा को मानने वाले होते हैं। ये इर्ष्यालु भी होते हैं. तथा स्वभाव में प्रायः कड़वाहट भी आ जाती है। ये आज्ञाकार होते हैं इनके विचार स्वतन्त्र होते हैं।ये चिन्तनप्रिय होते हैं तथा नम्र, सम्य, प्रत्येक से प्रेम करने वाले होते हैं। उनकी बुद्धि तीक्षण होती है। ये पुरातनपंथी, स्पष्टवादी, निष्कपट एवं सम्मानित होते हैं। ये जातक उग्रपंथी भी देखे गए है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक कंजूस, धनी, चालाक, लोभी व वेश्यागामी होते हैं। ये जन्म स्थल से दूर रहते हैं। जुआ, सट्टा तथा लौटरी में भी पड़ जाते हैं तथा हानि उठाते हैं। कई बार ऐसे कार्यों में अकस्मात् लाभ होने से यह इनमें पड़े रहते हैं। ये धर्म की उपेक्षा करते हैं ये अहंकारी, शत्रु-हन्ता, कलह-कलेश से भरपूर जीवन में भी स्त्री-पक्ष से धन लाभ पाते हैं
ये अच्छे वक्ता होते हैं तथा अच्छी विद्या प्राप्त करने में सफल रहते हैं। इनमें कुछ सीखने की प्रवल इच्छा होती है।
17. अनुराधा
इस नक्षत्र का क्रमांक 17 है और इसका स्वामी शनि है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातकों का कद औसत दर्जा का एवं चेहरा गोल व सुन्दर होता है। इनकी आंखें छोटी परन्तु चमकदार होती हैं। साधारणतया इनकी भवों पर बाल बहुत होते हैं। कई बार यदि ग्रह स्थिति जन्म समय कुछ प्रतिकूल हों तो शक्ल-सूरत इतनी अच्छी भी नहीं होती।
ये जातक बहनों-भाईयों के कार्य करने वाले तथा सहयोगियों की सहायता करने वाले होते है। ये विदेशों में भ्रमण करते हैं। ईश्वर भीरु एवं ड्यूटी पाबन्द होते हैं। ये दयालु, मिलनसार, यशस्वी, सुन्दर व्यक्तित्व के धनी होते हैं। इनको स्त्री पक्ष से लाभ प्राप्त होता है। ये पुरूषार्थी होते है तथा प्रसन्नचित रहते हैं। यह प्रशंसा के लोभी होते है। ये स्वार्थ पूर्ति हेतु छल-प्रवंचना भी करते हैं। इनकी मनोवृति अस्थिर होती है। तथा विपरीत सैक्स के प्रति आकर्षण रखते हैं।
ये धनवान, सम्मान, उच्च पद वाले होते हैं। ये बडों से आदर लेते हैं। ये जातक दृढ़ इरादे वाले, क्रियाशील, उद्यमी एवं प्रभावशाली होते हैं। इनका स्वभाव प्रभुतापूर्ण होता है। ये कुछ रूखें, नीरस, उपद्रवी . . तथा समय पर हिंसक भी होते हैं। ये अत्याचारी भी देखे गए हैं और इनमें प्रतिशेष की भावना भी होती है कहा गया है ये झूठे, बेईमान भी हो सकते हैं। ये अनैतिक कार्य करने से भी नहीं झिझकते जहां इनका अपना स्वार्थ हो, फिर भी ये उत्साही एवं क्रियात्मक होते हैं। इनमें अन्वेषण की बड़ी शक्ति होती है। इस नक्षत्र की स्त्रियां प्रायः अति चालाक होती हैं।
18. ज्येष्ठा
इस नक्षत्र का क्रमांक 18 है और इसका स्वामी बुध है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातकों का रंग गेहुंआ एवं कद औसत दर्जा परन्तु साधारणतया छोटा होता है। इनके दांत कुछ बाहर को निकलने हुत अथवा दांतों के भीतर अन्तर काफी होता है।
ये जातक बहुत मित्रों वाले, नेता, प्रधान तथा कवि होते हैं। ये दानी, ज्ञानी, पंडित, धर्मात्मा तथा लोगों द्वारा पूजित होते हैं। इन्हें लोगों द्वारा मान-सम्मान तथा आदर मिलता है। ये अध्यनशील, कार्य करने में होशियार, उदार, क्रोधी, कठोर व बुद्धिमान होते हैं। ये समाज में अच्छा स्थान पाते हैं तथा अगुवा होते हैं। ये सन्तान की ओर से भाग्यशाली परन्तु गृहस्थ के सुख से साधारणतया वंचित रहते हैं। ये पत्नी-पक्ष से पीड़ित व व्यवसाय में अस्थिर रहते हैं।
इस नक्षत्र के जातक हंसी मज़ाक करने वाले, विदूषक, निडर, कोरी बात कहने वाले, सूझवान होते हैं। ये अथक कार्यकर्ता, सत्यवादी, तथा बात को विस्तारपूर्वक करने वाले होते हैं। ये चिड़चिड़े स्वभाव भी हो जाते हैं। ये जातक नाम एवं सम्मान वाले होते हैं। यदि बुरी संगत में फंस जाएं तो सभी कुछ ही बदल जाता है। स्त्री जातंक का गृहस्थ प्रायः अशान्त सा होता है परन्तु यह सहायक, नर्सिंग आदि से धन अर्जित करती है।
19. मूल
इस नक्षत्र का क्रमांक 19 है और इसका स्वामी केत है। इस नक्षत्र में जन्म जातकों का शारीरिक गठन अच्छा होता है। इनकी आंखें कुछ छोटी परन्तु बढ़िया व चमकदार होती हैं। परिवार में ये प्रायः सबसे व्यक्तित्व वाले होते हैं परन्तु ये किसी पुरानी बीमारी से पीड़ित भी रहते हैं।
ये जातक सुखी, धन तथा बाहन वाले होते हैं। ये उपद्रवी, हिंसक परन्तु बलवान होते हैं। ये अहंकारी, धनी, धूर्त, चतुर, ईर्ष्यालु, प्रकृति, आडम्बरकारी तथा प्रकृति प्रेमी होते हैं। ये समझदार, सूझवान, ज्ञानी एवं पंडित होते हैं। ये घमण्डी होते हैं। शत्रुओं पर विजय प्राप्त करते हैं। ये टिक कर कार्य करने वाले, कठोर स्वभाव वाले होते हैं। इसी कारण परिजनों, मित्रों आदि के साथ इनकी कम ही बनती है। ये परोपकारी होते हैं ये किसी भलाई के बदले कुछ भी न चाहने वाले होते हैं। इनका मन स्थिर होता है एवं ये अनुशासनप्रिय होते हैं। मूल नक्षत्र वाले जातक ड्यूटी पर खरे उतरते हैं। ये उदार, दानी, ईमानदार, मानमर्यादा वाले तथा नियंत्रण अथवा कमान करने में प्रभावशाली होते हैं।
मूल नक्षत्र के जातक दूसरों का आदर करते हैं। यद्यपि बाहर से कठोर लगते हैं परन्तु वे ऐसे होते नहीं हैं, वे भीतर से अथवा हृदय से अति कोमल होते हैं। ये मिलनसार, हंसमुख, कानून का पालन करने वाले तथा बहमी भी होते हैं। भूल को क्षमा कर देना भी इन्हीं, का काम है। ये समाज सेवक भी देखे गए हैं। ये विचारशील तथा अंर्तज्ञानी होते हैं। ये विलासी और ऐश्वर्यप्रसत भी होते हैं। ये बड़े खोजी होते हैं। अतज्ञान परमात्मा की इनके लिए अद्धितीय देन है, ये सहज ही जो कह दे वह सत्य होता है। स्त्री जातक दयालू तथा सझवान होती है। गृहस्थ जीवन प्रायः अशांत रहता है। ये सफल सरकारी कर्मचारी व अधिकारी होते है। ये इन्जीनियर, ज्योतिषी, डॉक्टर व फल-विक्रेता होते हैं। इनके जीवन में आकस्मिक दुर्घटना की प्रबल शंका रहती है।
20. पूर्वाषाढ़ा
इस नक्षत्र का क्रमांक 20 है और इसका स्वामी शुक्र है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक लम्बे एवं पतले हैं। इनकी .भुजाएं लम्बी तथा दाँत चमकीले व आकर्षक होते हैं। इनकी आखें सुन्दर होती हैं और रंग आमतौर पर गोरा होता है। इनका व्यक्तित्व सुन्दर, प्रभावशाली एवं आकर्षक होता है।
ये धनी, सम्पन्न, भाग्यवान, लोगों में लोकप्रिय तथा सब कार्यों में ‘चतुर होते हैं। ये मन के अच्छे, सच्चे परन्तु घमण्डी होते हैं। ये उपकारी होते हैं तथा इनका व्यवहार लोगों के साथ नम्रतापूर्ण होता है। यह गरीबों व जरूरतमंदों के सदैव सहायक होते हैं। ये बहुत अच्छे मित्र होते हैं। परन्तु साथ ही ये बहुत बुरे शत्रु भी होते हैं। साधारणतया ये लोक-प्रिय, हितैषी, आस्तिक,कार्य-दक्ष तथा शरणागतं होते हैं। धन की कमी होने पर भी इनका कोई कार्य रूकता नहीं हैं।
ये उदार चित, मुक्तहृदय, नम्र, सहानुभुति भाव रखने वाले, संयमी, आशावादी, स्नेही, हंसमुख तथा कोमल हृदय होते हैं। गृह सुख मिलता है तथा गृह युक्त होता है। प्रेम सम्बन्धों के कारण कई बार परेशानी भी होती है।
21. उतराषाढ़ा
इस नक्षत्र का क्रमांक 21 है तथा इसका स्वामी सूर्य है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक सुन्दर होते हैं तथा उनका व्यक्तित्व बढ़िया होता है। इनका कद लम्बा, साधारणतया कद औसत ही होता है। इसका शारीरिक गठन अच्छा, सिर बड़ा, अंगुलियां प्रायः बड़ी तथा आखें चमकीली व सुन्दर होती है। ये जातक लम्बे शरीर वाले भी होते हैं।
ये जातक सुखी, शूरवीर, विजेता, नम्र, एवं बहुत मित्रों वाले होते हैं। ये शान्त, विनम्र, धार्मिक होते हैं। इनकी सुसाइटी उतम होती है तथा इनका आहार-व्यवहार उतम होता है। ये अच्छे व्यक्तित्व के कारण सुसाइटी में आन पहचाने जाते हैं। ये ऊँचे विचारों वाले होते हैं। ये दयावान एवं जनहतैषी होते हैं। ये मज़ाकिया स्वभाव भी कहे जा सकते हैं। ये सभी कार्य सलीके अथवा ढंग के साथ करते हैं। तथा यह दूर दृष्टिी रखते हैं। ये कुशलं नीतीवान, समझदार, दूरदर्शी व सूझवान होते हैं। ये कम खर्चीले तथा किसी के दवाव में न आने वाले होते हैं। ये प्रत्येक बात को तर्क की कसौटी पर परखते हैं। ये प्रसन्नचित रहते हैं। तथा इनका आचरण अच्छा होता है। ये सन्तान प्रेमी व वैचारिक होते हैं। इन जातकों को अनायास धन लाभ होता है।
स्त्री जातक विनम्र होती है। यह अच्छी पढ़ी-लिखी होती है तथा नौकरी अच्छा पद पसन्द करती है। पत्नी-पति स्वभाव के अन्तर के कारण कई बार पारिवारिक जीवन अशान्त हो जाता है।
22. श्रवण
इस नक्षत्र का क्रमांक 22 है। इसका स्वामी चन्द्र है। उतराषाढ़ा नक्षत्र से अगला नक्षत्र साधारणतया अभिजित आता है। जिसका क्रमांक गिनती से 22 आता है। परन्तु फल कथन से प्रायः 27 नक्षत्र लिए जाते हैं। अतः श्रवण का क्रमांक 22 आता है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक औसत कद के होते हैं। उनका कद छोटा हो जाता है। इनका व्यक्तित्व सुन्दर होता है। प्रायः चेहरे पर तिल भी देखा गया है।
ये जातक सर्वगुणसम्मान होते हैं। इसमें अत्यधिक गुण होते हैं। ये कार्य कुशल, यशस्वी, धर्म परायण, सुन्दर, बुद्धिमान, कला तथा विज्ञान में प्रवीण होते हैं। ये बहुत उन्नतिशील तथा जन्म स्थल से दूर रहने वाले होते हैं। ये धार्मिक कार्यों के बढ़-चढ़ कर भाग लेने वाले, चतुर, धनी तथा व्यापारिक बुद्धि वाले होते हैं। ये अनुशासन प्रिय तथा भ्रमणशील होते हैं। ये अच्छी संगत वाले शत्रु नाशक तथा शास्त्रों के जानकार होते हैं। इनमें जीवन जीने की प्रवल चाहत होती है। ये संयमी, शान्त धैर्यवान, सचेत, अच्छे सलाहकार, विचारशील प्रयत्न करते रहते हैं। ये सच्चाई पसन्द तथा ज्ञानी होते है।
इनकी वाणी मधुर होती है तथा प्रत्येक कार्य सही ढंग से करते हैं। इनको पत्नी अच्छी मिलती है परन्तु फिर भी वे कई भटक जाते हैं। ये संगीत के शौकीन, प्रशासनिक कार्यों में विशेष सफल होते हैं।
स्त्री जातक सुशील, उदार हृदय तथा सौभाग्य शालिनी होती है। ललित कलाओं में विशेष रुचि होती है। तथा वह सुखी प्रतिमा की धनी होती है। गृहस्थ जीवन अच्छा होता है। पति व्रत, लोकप्रिय तथा प्रतिप्रिय होती है। ससुराल इन पर गर्व करता है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले अभिनय व संगीत के भी शौकीन होते हैं।
23. धनिष्ठा
इस नक्षत्र का क्रमांक 2 3 है। इसका स्वामी मंगल होता है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातकों का रंग साफ एवं गेहूँआ होता है। इनका शरीर पतला, कद लम्बा परन्तु कई बार औसत दर्जा का तथा अंगुलियां कुछ लम्बी होती हैं।
ये संगीत प्रेमी तथा जनहतैषी व पालक होते हैं। ये धनवान, साहसी, शक्तिशाली होते हैं परन्तु ये देखने में भोले-भाले लगते हैं। इनकी विचारधारा आशावादी होती है। ये प्रत्येक कार्य को जल्दबाजी में निपटाते हैं। इनमें स्वाभिमान बहुत होता है तथा साहस असीम होता है। यह दृढ़ इच्छा प्रभावशाली, सावधान, बहादुर, हौसलामंद, स्वार्थी, प्रतिशोध भाव रखने वाले, हिंसक, उपद्रवी, खर्चीले, ऊँचे उठने के इच्छुक, लोभी किंन्तु उदार व धनी होते हैं। इस नक्षत्र के प्रधान पद में जन्म लेने वाले जातक झगड़े को टालने वाले तथा शान्तिप्रिय होते हैं। दूसरे, तीसरे तथा चतुर्थपद में जन्म लेने वाले जातक ऐसे स्वभाव के नहीं होते, वे झगड़ालू होते हैं। ये शीघ्र क्रोध में आ जाते हैं। ये सच्चे प्रेमी तथा चंचल होते है। इनके मित्र परिवर्तनशील होते हैं। वे कई संस्थाएं तथा क्लब बनाते हैं।
ये लेखन-प्रकाशन कार्य में पूर्ण समर्थ होते हैं। ये लोभी एवं क्रोधी होते हैं तथा धन की इन्हें चिन्ता लगी रहती है। क्रोध के कारण इन्हें धन हानि का सामना भी करना पड़ता है।
स्त्री जातक गृह प्रबन्ध में पूर्ण कुशल होते है। ये धैर्यशील और पति को प्रिय होती हैं। ये अभिमानी, स्पष्ट वक्ता तथा संगीत में रुचि रखती है। ये भी लोभी एवं क्रोधी होती है और इसी कारण बेचैन रहती है। इस नक्षत्र की स्त्रियां कला एवं लेखन में विशेष रुचि लेती है।
24. शतभिषा
इस नक्षत्र का क्रमांक 24 है तथा इसका स्वामी राहू है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातकों का व्यक्तित्व आकर्षण होता है। इनका कद औसत एवं रंग साफ होता है। इनका आमतौर पर सिर बड़ा, मस्तक चौड़ा, आकर्षक आखें तथा शरीर स्निग्ध होता है। आयु के बढ़ने के साथ-साथ पेट बाहर को निकला आता है। इनका व्यक्तित्व राजसी होता है।
ये जातक कृपालू व विदेशों में रहने की इच्छा रखने वाले होते हैं तथा विलासी होते हैं। ये क्रोधी, झगड़ालू, परस्त्री-गामी और जैसे लिखा है विदेश-गामी होते हैं। इनकी आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं होती। ये बुरा से बुरा कार्य करने को तैयार रहते हैं तथा सामाजिक . संस्कारों तथा विधि-विधान को न मानने वाले होते हैं। ये असत्य सिद्धान्तों को अपनाने वाले होते हैं और धोखें से दूसरों का धन-माल हड़प कर जाते हैं। ये असंतोषी होते हैं तथा अपने लाभ के लिए दूसरों को कष्ट देते हैं।
शतभिषा नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातकों में अंच्छे बुरे गुण मिले-जले होते हैं। ये बद्धिमान, सच्चे प्रत्येक के प्रिय एवं उतम व्यवहार करने वाले भी होते हैं। ये ईमानदार भी होते हैं। इनके विचार स्वतन्त्र, मौलिक होते हैं। वे धैर्यवान भी होते हैं। परन्तु ये आलसी तथा एकाकी कार्य करने को प्राथमिकता देते हैं। ये संगीत में विशेष रुचि रखते हैं।
इस नक्षत्र की स्त्रियां चतुर,साहसी, धर्म भीरू, बातूनी, शत्रु हन्ता, ईश्वर भक्त, स्पष्टवादी तथा परिवार में आदरणीय होती है। ये प्रायः कंजूस होती है। स्त्री जातक डॉक्टर बन जाती है।
यद्यपि ये सबकी सहायता करते हैं परन्तु इनको सहयोग कम ही मिलता है।
25. पूर्वा भाद्रपद
इस नक्षत्र का क्रमांक 25 है और इसका स्वामी गुरु है। इन नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातकों का रंग गोरा होता है। इनका कद औसत एवं शरीर का गठन भी औसत होता है। इनकी गालें बड़ी मांसल होठ, तथा पैरों के टखनों से पहचाने जाते हैं।
ये साधारणतया शान्ति प्रेमी होते हैं। ये अच्छे वक्ता, धनी एवं सुखी होते हैं। ये समय को यूँ ही गंवा देने के आदि होते हैं। ये इर्ष्यालु तथा लोभी होते हैं। परन्तु ये अपने काम की ओर अधिक ध्यान रखते हैं। ये कोमल व्यवहार वाले, आशावादी, दार्शनिक, मित्रों के प्रिय,ईमानदार, विश्वासनीय तथा चंचल होते हैं। ये किसी से कम ही डरते हैं, ये सत्य बोलने वाले तथा निःस्वार्थ काम करने वाले होते हैं। ये स्वच्छता पसन्द, गुरु भक्त, तेजस्वी, विद्या प्रेमी तथा क्षमा कर देने वाले होते हैं। ऐसे जातक घूमने फिरने के शौकीन होते है। तथा ये अपने बल-बूते पर ही सब कुछ बनते हैं। लोभी तथा क्रोधी भी होते हैं। इसी कारण हानि भी उठाते हैं। ये सामाजिक व धार्मिक कार्यों में बढ़-चढ कर हिस्सा लेते हैं। ये घरेलू कार्यों में पूर्ण रुचि रखते हैं तथा धन अर्जित करने वाले होते हैं।
ये दर्शनशास्त्र, नक्षत्रज्ञान, ज्योतिष, साहित्य में रुचि लेने वाले होते है। इन्हें अलोचना करने की आदत होती है परन्तु ये प्रत्येक कार्य किस ढंग से करते हैं। लोगों से कार्य लेने में ये निपुण होते हैं। यदि लग्न पर प्रतिकूल प्रभाव हो तो ये चोर, डाकू, हत्यारे, नास्तिक, झगड़ाल, जोरू के गुलाम, कंजूस एवं चुस्त-चालाक बन जाते हैं। यदि किसी जातक का जन्म इस नक्षत्र के चौथे चरण में हुआ हो, तो ऐसे जातक उदार, मुक्तहृदय, दानी, सच्चाई पसन्द, गाने बजाने के शौकीन होते हैं।
कला दर्शनशास्त्र, साहित्य में भी रचि रखते हैं। ये कानून का पालन करने वाले होते हैं। ये दुविधा में भी फंस जाते है, फिर भी इनका स्वभाव नम्र रहता है।
स्त्री जातक अच्छी विद्या प्राप्त करती है। वे मान-सम्मान प्राप्त करती है। ये लज्जा शील मुक्त होती है। ये पति को वश में रखने वाली होती है। ये आमतौर पर लोभ तथा सन्देह के कारण बेचैन रहती है। ये उदार, तार्किक, बुद्धिमान तथा भ्रमण की शौकीन होती है। ये धार्मिक एवं सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़ कर भाग लेती है। इनका स्वभाव सुखदायी होता है।
26. उतरा भाद्रपद
इस नक्षत्र का क्रमांक 26 है तथा इसका स्वामी शनि है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातकों का व्यक्तित्व आकर्षक होता है। ये देखने में बहुत भोले-भाले लगते हैं, उनका रंग गोरा व साफ, तथा कद औसत होता है। ये जातक प्रायः लम्बे भी होते है। इनकी मुस्कान बड़ी आकर्षक होती है, इस तरह ये तुरन्त पहचाने जाते है।
ये बलवान, बहादुर, धर्मात्मा व साहसी होते हैं। ये तार्किक व बातूनी होते हैं। ये धार्मिक, परोपकारी व कर्मनिष्ट होते हैं। ये होशियार, दानी एवं सत्य पुरुष होते हैं। इनका चरित्र साफ, विचार स्वतन्त्र व मौलिक होते हैं। ये कछ घमण्डी होते है। ये दार्शनिक, कपाल, बुद्धिमान तथा सभा, सुसाइटी के प्रेमी होते है। ये गरीबों, अपाहिजों की अच्छी सहायता करते हैं। ये एकांत पसन्द करते हैं तथा ये किसी तरह की अशान्त, खलबड़ी और गड़बढ़ से बेचैन हो जाते हैं। ये सबसे समान रुप में व्यवहार करते हैं परन्तु शीघ्र बिगड़ भी जाते हैं। ये अच्छे वक्ता होते हैं और इसी गणा एवं शक्ति के कारण विरोधियों को भी जीत लेते हैं। ये अनेक विषयों के विशेषज्ञ होते हैं। इनका गृहस्थ जीवन उत्तम होते हैं। इनको पत्नी मधुर भाषा मिलती है तथा इन्हें धन की कमी नहीं होती।
स्त्री जातक धार्मिक विचारों वाली होती है। ये सुखी तथा धन धान्य मुक्त होती है। ये वाकपटु तथा लोक प्रिय होती है। तथा समाज में मान-सम्मान पाती है।
27. रेवती
इसका क्रमांक 27 है तथा इस नक्षत्र का स्वामी बुध है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातकों का कद लम्बा होता हैं। प्रायः देखा गया है। ये मझले एवं छोटे कद से भी होते हैं। इनका रंग गेहूँआ होता है तथा ये बहुत जल्दी-जल्दी चलते है। इनकी आंखें छोटी परन्तु चमकीली होती है। ये शीरर के हट्टे-कट्टे भी देखे गए हैं।
ये लोकप्रिय, बहादुर, युक्तियुक्त, डिप्लोमैटिक, विरोधी लिंग के प्रति आकर्षण रखने वाले तथा समझदार होते हैं। ये सुन्दर, स्वस्त तथा पवित्र कार्यों मे दक्ष होते हैं। ये ऐसे कार्य नहीं करते जिनको लेकर बाद में पछताना पड़े। इनकी बातें तथा व्यवहार व्यापारियों जैसा होता है तथा ये प्रत्येक चीज़ को इसी दृष्टि से देखते हैं ये धनी व सम्पन्न होते है तथा इनका घर वाहन युक्त होता है। गृह में गाने-बजाने के सभी साधन मौजूद होते हैं। ये पवित्र, सादा, सूझबूझ वाले एवं पंडित होते हैं। ये परिवर्तनशील दूसरों का प्रभाव सहज ही ग्रहण करने वाले, कोमल, हमदर्द, चतुर कुशाग्र बुद्धि, कवि, लेखक, पत्रकार, प्रतिभाशाली तथा यश्स्वी होते हैं। इनकी सन्तान सौभाग्याशाली, योग्यं व प्रतिमासम्पन्न होती है।
स्त्री जातक का ग्रहस्थ जीवन सुखद होता है। ये देखने में सुन्दर, उदार हृदय व मधुर भाषी होती है। ये पति को प्रिय होती हैं। इन्हें भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। займ на карту