ज्यादातर हम यही देखते आए हैं कि जो लोग इंडस्ट्री में स्ट्रगल करके आते हैं, वह कुछ बहुत बड़ा करके दिखाते हैं। अगर वह अमीर खानदान से होता है तो उन्हें बॉलीवुड में आने का सहारा मिल जाता है। उनके माता-पिता हमेशा उनके पीछे खड़े रहते हैं। कभी-कभी ऐसा भी होता है कि किसी-किसी के माता-पिता उनका साथ नहीं देते।
परंतु, जो लोग गरीब खानदान से होते हैं। वह अक्सर बॉलीवुड में आने से पहले कहीं और नौकरी करके आए होते हैं। अब आप नवाजुद्दीन साहब को देख लीजिए वह बॉलीवुड में आने से पहले चौकीदार की नौकरी करके आए। तो वही हमारे रोबोट, रजनीकांत जी को देख लीजिए। वह बॉलीवुड में आने से पहले एक बस कंडक्टर का काम करते थे। उसी प्रकार हम आपके सामने आज एक ऐसे इंसान ही कहानी लेकर आए हैं। जिसने बड़ी मशक्कत से अपनी जिंदगी में इस पद को हासिल किया था। उनका आना भी एक हवा का झोंका था और उनका जाना भी वैसा ही था। उन्होंने भी अपनी जिंदगी में और लोगो कि तरह बहुत उतार-चढ़ाव देखे। परंतु, जाने से पहले लोगों के दिलो में अपना नाम हमेशा के लिए रोशन कर गए।
उनकी ज़िन्दगी
ओम पुरी जी का जन्म 18 अक्टूबर 1950 में अंबाला, पंजाब में हुआ था। वह एक पंजाबी खानदान से नाता रखते थे। उनके पिता का नाम राजेश पुरी था और माता का नाम तारा देवी। उनके पिता रेलवे विभाग और साथ ही साथ आर्मी के लिए भी काम करते थे।
ज़िन्दगी का दर्दनाक मोड़
सब कुछ बढ़िया चल रहा था लेकिन शायद यह बात भगवान को मंज़ूर नहीं थी। एक दिन उनके पिता पर सीमेंट चोरी करने का इलज़ाम लगा दिया गया। इसके चलते उन्हें हवालात मे डाल दिया गया था। इस अनहोनी के होने के बाद उनका परिवार बेघर हो गया था। खाने को एक वक़्त की रोटी भी नसीब नहीं होती थी। तब उन्होंने और उनके भाई मिल कर रोज़ी-रोटी कमाने की सोची।
चाय बेचीं और किया कोयला उठाने का काम
वो लोग उस समय बहुत छोटे थे और ज़्यादा पढ़े-लिखे भी नहीं थे। इसी वजह से उनको ज़्यादा अच्छी नौकरी नहीं मिली थी। उनके भाई, प्रकाश पुरी कुली का काम करते थे। और दूसरी तरफ वह चाय बनाया करते थे और पास वाले स्टेशनो से कोयला बटोरा करते थे। इससे उनका घर चलाने लायक खर्चा निकल आता था। इस बीच कभी-कभी उन लोगो को वही रेल की पटरियों पर भी सोना पड़ता था।
एक्टिंग की दुनिया मे पहला कदम
वह बहुत ही गरीब खानदान से थे। इसी वजह से वह पढ़ाई के साथ नौकरी भी किया करते थे। पढ़ाई खत्म होने के बाद वह दिल्ली आ गए थे। दिल्ली मे उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में एक्टिंग करना सीखा। उनके बहुत पुराने मित्र नसीरुद्दीन शाह ने इसमें उनकी बहुत सहायता करी थी। यहां से निकलने के बाद उन्होंने एक और ड्रामा स्कूल से अपनी पढ़ाई पूरी की और उसके बाद वह मुंबई आ गए।
पहली फ़िल्म से लेकर आखरी फ़िल्म तक का सफर
मुंबई में उन्होंने “चोर चोर छुप जा”फिल्म में काम किया था। उस फ़िल्म मे उन्होंने बाल कलाकार का अभिनय किया था। परन्तु, उनकी सबसे पहली फ़िल्म एक मराठी फिल्म थी, उसका नाम ;घासीराम कोतवाल; था। इसी के बाद उन्हें फिल्मे मिलना शुरू हो गई। उन्होंने अपनी ज़िन्दगी मे कई सारी फिल्मो में काम किया है। उनकी आखरी फ़िल्म ‘ट्यूबलाइट’ थी। परन्तु, दुखद बात तो यह थी कि यह फ़िल्म उनके मरने के बाद बड़े परदे पर आयी थी।
अंग्रेजी फिल्मो मे भी किया काम
जो इंसान एक समय में अंग्रेजी सही से बोल भी नहीं पाता था। उसने अपनी अंग्रेजी फिल्मो में भी काम किया था। मशहूर होने के बाद उन्होंने एक थिएटर भी बनवाया था। जिसमें से आज कई बड़े-बड़े कलाकार उभर के निकलते हैं। यही नहीं उन्होंने फिल्मों के साथ-साथ एक पुस्तक भी लिखी थी।जो उनकी जिंदगी के ऊपर हीं आधारित थी। वह बहुत से लोगों के लिए उनकी जिंदगी के मार्ग निर्देशक का भी काम कर चुके हैं।
मौत की भविष्यवाणी
एक दिन उन्होंने एक ऐसी भविष्यवाणी की, जो उनके जीवन में सच साबित हो गई।आपको बता दें कि उन्होंने अपनी मौत की भविष्यवाणी की थी। उन्होंने उसमे यह कहा था कि एक दिन मे भी ऐसे ही चलते-चलते चला जाऊंगा और यह कथन सच भी हुआ। 6 जनवरी, 2017 को उनको एक साइलेंट हार्ट अटैक आया था। इसके साथ ही वह दुनिया को अलविदा कह गए।
पद्मश्री से भी नवाज़ा गया
अपने काम की वजह से जीवन में उन्होने बहुत सारे खिताब भी जीते हैं। यहाँ तक कि उन्हें पद्मश्री से भी नवाजा गया था। उनके मरने के बाद भी उनको याद करते हुए, उनके सम्मान में अवार्ड दिया गया था। दुनिया मे कितने भी अच्छे कलाकार क्यों ना आ जाएं। परंतु, कुछ कलाकार ऐसे भी होते हैं जिनकी जगह कोई भी नहीं ले सकता। उनमें से एक ओमपुरी जी का भी नाम है और यह नाम हमेशा अमर रहेगा।
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