रेखा ने अपनी फ़िल्म उमराव जान के लिए एक रूपया भी नहीं लिया

रेखा की पहचान आज सिल्‍क की साड़ी, आंखों में मोटा काजल, सुर्ख लाल लिपस्टिक, बिंदी ,मांग में सिंदूर और लंबी चोटी और उसमें लगा गजरा बन चुका है। आज भी ये जहाँ जाती हैं इनके चाहने वालों की भीड़ हो जाती है।

रेखा की पहली फ़िल्म ‘सावन भादो’ थी । यह फ़िल्म बॉक्स ऑफ़िस में काफ़ी हिट रही । इनकी दूसरी फ़िल्म ‘प्राण जाए पर वचन न जाए’ में इन्होंने न्यूड सीन किया था जहाँ इन्हें बिना वस्त्र के तालाब में नहाने उतरना था। इस फ़िल्म में इनका रोल एक तवायफ का था। जब इस फ़िल्म के पोस्टर छपे तो बहुत हल चल मच गयी थी परंतु रेखा का यह अवतार देखने के लिए सीनेमाघर भर जाते थे।

उस समय कोई नही कह सकता था कि आगे चल कर रेखा एक बहुत विख्यात अभिनेत्री बनेगी। रेखा के अद्भुत अदाकारा बनने के पीछे डिरेक्टर ऋषिकेश मुखर्जी का बहुत बड़ा हाथ रहा। नामक हराम, आलाप और ख़ूबसूरत जैसे फ़िल्मों में रेखा के डिरेक्टर यही थे। कहा गया कि इन फ़िल्मों में “रेखा के भीतर छिपी एक ख़ूबसूरत औरत नहीं, बल्कि एक ख़ूबसूरत कलाकार नज़र आयी”।

1981 में आई फ़िल्म – उमराव जान ने रेखा को मानो एक नई पहचान ही दे दी हो। यह फ़िल्म , 1857 में लिखी गई मिर्ज़ा हादी रुसवा की किताब – ‘उमराव जान अदा’ पर आधारित है। इसी किरदार को डिरेक्टर मुज़फ़्फ़र अली ने रेखा का चेहरा दिया और उसे पर्दे पर जीवन भी दिया ।

राज कुमार केसवानी ने बताया की मुज़फ़्फ़र अली अपनी पत्नी के साथ रेखा के घर उनकी माँ से फ़िल्म के बारे में बात करने गए थे । उन्होंने कहा की वह रेखा को उमराव जान का किरदार देना चाहते है पर उन्हें फ़ीस नही दे पाएँगे । रेखा की माँ ने रेखा से कहा कि उसे मुज़फ़्फ़र अली की फ़िल्म उमराव जान में काम करना है। रेखा जब मुज़फ़्फ़र अली के घर फ़िल्म की कहानी जान ने के लिए पहुँची। मज़्ज़ाफिर अली ने कहानी विस्तार में बताया और फिर कहा की – “मै तुम्हें फ़ीस तो नही दे पाउँगा लेकिन इस फ़िल्म से तुम्हें अमर कर दूँगा।”

कहानी सुन कर रेखा कई दिनो तक कहानी में ही खोई रहीं। जब रेखा ने इस फ़िल्म के संगीतकार ख्याम साहब से इस फ़िल्म के लिए कुछ शेर और संगीत सुने तो वह बहुत प्रभावित हुई । इस फ़िल्म की शूटिंग लखनऊ में हुई।

इस फ़िल्म ने हिंदी सिनेमा में इतिहास रच दिया है। आज तक उमराव जान जैसी ना कोई फ़िल्म बन पाई है और ना ही आगे बन पाएगी । सिर्फ़ इतना ही नही बल्कि इस फ़िल्म ने रेखा को सर्वश्रेष्ठ अदाकारा का राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार भी दिलाया। इसके अतिरिक्त आशा भोसले को सर्वश्रेष्‍ठ प्‍लेबैक सिंगर, ख्‍याम को सर्वश्रेष्‍ठ म्‍यूजिक डायरेक्‍टर और मंजूर को सर्वश्रेष्‍ठ आर्ट डायरेक्‍टर का राष्ट्रीय फ‍िल्‍म पुरस्‍कार भी मिला। आज भी रेखा और उमराव जान का नाम साथ ही लिया जाता है ।

इस फ़िल्म के गाने जैसे – “दिल चीज़ क्या है आप मेरी जान लीजिए, इन आँखों की मस्ती के, झूला किन्ने डाला और ये क्या जगह है दोस्तों” आज भी लोगों के दिलो दिमाग़ में है। быстрые займы онлайн


Posted

in

by

Tags:

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *