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सूर्य नमस्कार

January 21, 2021
in अपना इलाज
सूर्य नमस्कार
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जीवन में कामयाबी के लिए अच्छी सेहत बहुत जरुरी होती है। मैं केवल तभी उन्नति कर सकता हूं यदि मैं आध्यात्मिक और शारीरिक रुप से उत्तम महसूस करता हूं। क्योंकि वर्तमान में सब कुछ हमेशा शीघ्रता से और थोड़े समय में पूरा करने की आवश्यकता होती है इसलिए निम्नलिखित कारणों से ये आसान भौतिक अभ्यास हमारे लिए सर्वोत्तम हैं:

  1. इनके लिए कम समय की आवश्यकता होती है
  2. इनका अभ्यास करना आसान है
  3. इन्हें करना मजेदार है
  4. आपके शरीर को लचीला बनाते हैं

योग आसन करने के लिए, आपको एक साफ चटाई की आवश्यकता होती है, यदि संभव हो, कमरे में खिड़की हो जहां से आप सुबह में पूर्व की ओर और शाम को पश्चिम की ओर देख सकें। कमरा स्वच्छ और बढ़िया हवादार होता है।

हालांकि, अभ्यास के दौरान, खुष्क और ठंडे कमरे में खड़े न हों। योग का मतलब है मिलन और आसन का मतलब है मुद्रा।

प्रारंभ: आंखे बंद करके सीधे खड़े हो जायें और सूर्य की दिशा में हाथ जोड़ लें तथा प्रकाश, शक्ति और प्राण शक्ति के दाता का स्वागत कीजिए। अब अभ्यास शुरु करें। मुद्राओं को धीरे-धीरे, बिना किसी तेज हरकत के और आसानी से करें। जब भी आपको दर्द महसूस होता है, वापिस अपनी मुद्रा में आ जायें और 10-15 सेकेंड्स का विश्राम लें।

इस अद्भुत ऊर्जा देने वाले अभ्यास का अर्थ और भाव: सूर्य नमस्कार (सन सैल्यूट) कहा जाता है। मैं सूर्य को नमस्कार करता हूं जो हमारे ग्रह पर सभी चीजों को बढ़ने और समृद्ध होने की अनुमति देता है। यह जीवन का हमारा प्रकाश और शक्ति है। इस प्रकार इसका अभ्यास करने के कारण यह शक्ति हमारी प्रत्येक कोशिका में बहती है। इस तरह का अभ्यास हमारे मन और तन को स्वस्थ रखता है। नियमित रुप से सुबह 6 बार और शाम को 6 बार अभ्यास करने पर, आप ज्यादा स्थिर, चुस्त और सुंदर बन सकते हैं। पूरा शरीर पवित्र ओज की शक्ति से परिपूर्ण हो जाता है। सभी मांस-पेशियां मजबूत हो जाती है, जोड़ लचीले, रीढ़ की हड्डी दृढ़ हो जाती है और साथ ही साथ, आंतरिक अंगों की मालिश भी हो जाती है। यह सामान्य तौर पर जिमनास्टिक्स और खेल की बजाय योग आसनों से ज्यादा लाभ मिलता है।

सूर्य नमस्कार के सामंजस्यपूर्ण अभ्यास में बारह आसन हैं। उन्हें तनाव या प्रयास के बिना आसानी से और सरलता से किया जाना चाहिए। आसनों का चक 1-2 मिनट का होना चाहिए और समय के साथ धीरे-धीरे तीन पूर्ण चक्रों से छ: तक बढ़ाया जाना चाहिए।

धीरे-धीरे शुरूआत कीजिए, अपने शरीर को जबरदस्ती कसना और खींचना नहीं चाहिए। अपने शरीर की सुनें। अगर आपको थकान महसूस होती है, तो लेट जायें, अपनी आंखे बंद करें और मौनता का आनंद लें। अगर, आराम करने के बाद, आपके पास समय है और मन करता है, चक्र पूरा करें और अभ्यास को फिर से दोहराएं। यदि आपने लंबे समय से कोई योग मुद्रा या अन्य अभ्यास नहीं किए हैं, तो इन्हें धीरे-धीरे करना उत्तम रहता है। योग के अभ्यासों से आपको पसीना नहीं चाहिए, सांस भारी नहीं होनी चाहिए या अचानक हरकत नहीं करनी चाहिए। व्यायाम को नियमित और आसान बनाएं और फिर आप देखेंगे कि आपकी स्थिति धीरे-धीरे बढ़ रही है।

प्राणायाम बीमारी फैलाने वाली गंदगी को हमारे शरीर से बाहर निकालने के लिए पहले इसमें ऑक्सीजन मिलाना होता है, पर्याप्त ऑक्सीजन के बगैर शरीर अंदर की गंदगी को बाहर नहीं निकाल सकता है। जब आप श्वास बाहर छोड़ते हैं तो आप अपने खून से बहुत सारी गंदगी और टॉक्सिन्स /जहरीले पदार्थ बाहर निकालते हैं, सर्दी, खांसी, बंद नाक, बंद कान को ठीक करने के लिए प्राणायम से बेहतर तरीका कोई नहीं है यह 15 मिनट्स का आसान श्वास संबंधी व्यायाम है जिसे सुबह और शाम और खाली पेट एवं हमेशा बाहर जैसे कि पार्क, बालकनी, छत, आंगन जो भी आपको सबसे अच्छी जगह लगे वहां पर करना चाहिए। हरे-भरे पेड़-पौधों से भरा वातावरण हो तो और भी बेहतर रहता है।

  • आपकी पीठ एकदम सीधी होनी चाहिए।
  • आप या तो सुखआसन में या कुर्सी पर बैठे।
  • इसे करते हुए ढीले-ढाले कपड़े पहने।
  • पूरी प्रक्रिया के दौरान अपनी आंखे बंद रखें।
  • आपके हाथ की मुद्रा इस प्रकार होनी चाहिए।
  1. अपनी नाक के दाएं छिद्र को अंगूठे से बंद करें और जितनी गहराई से हो सके बाएं से श्वास छोड़ें।
    अब दोनों छिद्रों को बंद करें और 7 सेकेंड तक श्वास को रोके रखें।
  2. दाएं छिद्र से अंगूठा हटायें और धीरे-धीरे जितना हो सके उतना गहरा श्वास भरें

दोबारा दोनों छिद्रों को बंद करें और 7 सेकेंड तक श्वास को रोके रखें। 3. बाएं छिद्र से उंगली हटायें और धीरे-धीरे श्वास छोड़ें।
यह आधा चक्र पूरा करता है, यह आसान है – श्वास छोड़ें – रुकें – श्वास भरिए – रुकें – श्वास छोड़ें। चक्र को पूरा करने के लिए नाक के बाएं छिद्र से शुरु करते हुए प्रक्रिया को दोहरायें।

  1. अपनी नाक के बाएं छिद्र को उंगली से बंद करें और जितनी गहराई से हो सके दायें से श्वास छोड़ें।
    अब दोनों छिद्रों को बंद करें और 7 सेकेंड तक श्वास को रोके रखें।
  2. बाएं छिद्र से उंगली हटायें और धीरे-धीरे जितना हो सके उतना गहरा श्वास भरें

दोबारा दोनों छिद्रों को बंद करें और 7 सेकेंड तक श्वास को रोके रखें। 3. दाएं छिद्र से अंगूठा हटायें और धीरे-धीरे श्वास छोड़ें। अब दो बार सामान्य रुप से श्वास लीजिए, इसके बाद 1 चक्र पूरा जाता है।

एक बार में प्राणायाम के लगभग 10 चक्रों को पूरा करें, इसमें लगभग 15 मिनट्स लगते हैं। यदि आप बीमार हैं तो दिन में कम से कम दो बार प्राणायाम करें और सामान्य स्थिति में दिन में एक बार करें।

सूर्य नमस्कार के आसन एवं वर्णन

सूर्य नमस्कार के दौरान धीरे-धीरे और निश्चित लय में सांस लेने की सलाह दी जाती है:

1. जब आप अपनी रीढ़ को तानते हैं, तनकर खड़े होते हैं या हाथों को ऊपर उठाते हैं तो आपको आसान और गहरी श्वास लेनी चाहिए

2. झुकते समय, शरीर को हिलाते या कमर को मोड़ते समय, आपको आराम से श्वास छोड़ना चाहिए। यह अभ्यास को आसान बनाता है और प्राण (जीवन ऊर्जा) प्रवाह को सभी कोशिकाओं में प्रवेश करने देता है। हर आसन को लगभग 5-10 सेंकेंड्स तक रखें

महत्वपूर्ण बात

यदि आपको कोई शारीरिक बीमारी है, तो कृपया इनमें से किसी भी अभ्यास को करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह लें।

1. प्रणाम आसन (Salutation position)

पैरों और टांगों को एकसाथ मिलाकर सीधे खड़े हो जायें। हाथों को सीने के सामने जोड़ लें। आराम से, गहरी और शांति से श्वास भरना शुरु करें और सूर्य का स्वागत करें। प्रभु को उनके तेज और जीवन शक्ति का धन्यवाद करें। 10 सेकेंड्स तक इसी आसन में रहें। सुबह चेहरा सूर्य के उगने की दिशा में हो। शाम को चेहरा सूर्य के अस्त होने की दिशा में हो।

2. हस्तउत्तानासन (Raised arms)

श्वास भरिए और भुजाओं को उठायें। उन्हें आसानी से सिर के पीछे तक, जितना हो सके, तानें। दबाव डाले बगैर आसानी से वापिस आयें।
3. हस्तपाद आसन (Touch the feet):
श्वास छोड़ें और बिना जोर लगाये आगे की ओर झुकिए, हथेलियों से फर्श को छुएं। सावधान रहें – धीरे-धीरे आगे की ओर आपकी कमर में खिंचाव महसूस होने तक झुकते रहे। इस तरह आप आराम कर सकते हैं और 10 सेकेंड्स तक मुद्रा में बने रह सकते हैं। जो इससे आगे जाने में सक्षम हैं, हथेलियों को 5 सेकेंड्स तक फर्श तक टिकाकर रखें। घुटनों को सीधा रखें और सिर को आराम से झुकाए रखें। 3 सेकेंड्स तक इसी मुद्रा में रहें।

4. अश्व संचालन आसन (Equestrian position)

दोबारा श्वास लेते हुए, बायें पैर को जमीन पर छूते हुए पीछे की ओर फैलाएं। दायें पैर उचित सहारा देते हुए दाहिनी टांग को आगे झुकाएं और हाथों के बीच में ऊनी कंबल पर सपाट रखें। उसी समय पीठ और छाती को तानें। ध्यान रखें कि बहुत ज्यादा न खींचे या अत्यधिक जोर न लगायें! आपको सिर और गर्दन को धीरे से ऊपर की ओर उठाना चाहिए और 3 सेकेंड्स इस इसी स्थिति में रहना चाहिए।

5. पर्वतासन (Mountain position)

श्वास छोड़िए, दाएं पैर को उठायें और इसे वापिस बायें पैर के बगल में रखें। पैर कूल्हों की चौड़ाई तक और हाथ कंधों की चौड़ाई तक हों। साथ-साथ कूल्हों और कमर को उठायें और हाथों को फर्श की ओर दबायें। एड़ियों को फर्श की ओर दबायें, और उसी समय, पिछले पैर को खींचे। अब, इस आसन में, गर्दन और सिर को आराम से झुका रहने दें और आराम करें। 3-5 मिनट्स तक इसी आसन में बने रहें जब तक कि पूरा श्वास बाहर न निकल जाये। चित्र को देखें और आप देखेंगे कि शरीर कुदरती तौर पर हाथों और पैरों के बीच त्रिकोण आकार में आ गया है।

6. अष्टांग नमस्कार (Humility position)

अब, आराम से दोनों घुटनों को जमीन पर लाएं, छाती और ठुड्डी के भी हल्के से जमीन को छूने तक धीरे-धीरे अपने शरीर को आगे ही ओर खिसकाएं। इस आसन को अष्टांग आसन भी कहा जाता है, क्योंकि शरीर के आठ अंग – दोनों हाथ, ठुड्डी, छाती, दोनो घुटने और अगूंठे जमीन को छूते हैं। 3-5 मिनट्स तक इसी आसन में बने रहें। कूल्हे, कमर और पेट ऊपर उठा हुआ हो।

7 भुजंग आसन (Cobra position)

अब फिर से श्वास लीजिए। अपने पैरों को जमीन पर टिकाएं और अपनी हथेलियों को अपने कंधों के समान्तर रखें। कुहनियों को अपने शरीर के पास रखें और अपनी छाती और दबाव के लिए सिर को ऊपर की ओर जहां तक हो सके अपने हाथों को इस्तेमाल किए बगैर उठाएं। हाथों को केवल सहारे के लिए इस्तेमाल किया जाता है। अपने कंधों को आसानी से झुकाएं और कंधे वाले को फैलाये। यह गर्दन और सिर को स्वतंत्र रखें। कमर के ऊपरी हिस्से भी आसानी से फैले और खुले होने चाहिए। ___अब सिर को आसानी से जितना हो सके पीछे लेकर जायें। बहुत ज्यादा खींचने का प्रयास न करें। ऊपरी हिस्सा ऐसा दिखता हो मानों कोबरा डंक मारने वाला हो, 3-5 सेकेंड तक इसी मुद्रा में रहें।

8. पर्वतासन (Mountain position)

पांचवे आसन को दोहराये, श्वास छोड़ते हुए, बाएं पैर और कूल्हे को उठायें और हाथों को जमीन पर टिकाएं, टखनों और पैरों के पिछले हिस्से को ऊपर की ओर उठायें। अब आप एक त्रिकोण, या पर्वत, की आकृति में है, 3-5 सेकेंड तक इसी मुद्रा में रहें।

9. अश्वसंचालन आसन (Equestrian position)

पैरों की स्थिति को बदलते हुए चौथे आसन को दोहरायें, श्वास लीजिए और बाये पैर को आगे की ओर लाते हुए दोनों हाथों के बीच में रखें। अब दाएं पैर को पीछे की ओर खीचें और घुटने को जमीन पर टिकायें, बायां पैर इस तरह झुका होना चाहिए कि पंजा फर्श पर पूरी तरह टिका रहे। अब अपनी रीढ़ की हड्डी और छाती को एक कोण पर आसानी से खींचे। यह गुर्राते हुए भेड़िये जैसी आकृति होती है, ऊपर की ओर देखें और सिर और गर्दन को आराम से ऊपर की और खींचे। 3-5 सेकेंड तक इसी मुद्रा में रहें।

10. हस्तपाद आसन (Touch the feet)

तीसरे आसन को दोहरायें। अब श्वास छोड़ते हुए, बायें पैर को फिर से आगे की ओर लायें और तलवे को तब तक ऊपर उठायें जब तक दोनों पैर और पूरी रीढ़ की हड्डी तन न जाये। इस आसन को ध्यान से करें क्योंकि आपको आसानी से लूम्बेगो हो सकता है। केवल उतना ही झुकें जितना आप झुक सकते हैं। अभ्यास में जबरदस्ती नहीं करनी चाहिए, यदि आसानी हो, सिर, हाथों और पीठ की एक रेखा बनायें, दोनों हाथ जमीन पर टिके हों। घुटनों को ढीला छोड़ें और उन्हें तभी मोड़ें यदि आप सहजता से ऐसा कर पाते हैं। इस आसन में पीठ जहां तक संभव सीधी होनी चाहिए। कुहनियों और कंधों को ढीला छोड़ें। (3-5 सेकेंड्स तक इसी मुद्रा में रहें)

11. हस्तउत्थान आसन (Raised arms)

दूसरे आसन को दोहरायें, श्वास छोड़िए और हाथों को एक साथ ऊपर की ओर उठायें। मूवमेंट को गर्दन से न बनने दें। हाथों को सिर के ऊपर ले जाते समय छाती को ऊपर की ओर खींचे। आराम से और स्थिर होकर श्वास लीजिए।

12. प्रणाम आसन (Greeting position)

पहले आसन को दोहरायें, अपने हाथों को नीचे “नमस्कार” स्थिति में लाते हुए श्वास छोड़ें। भारत में इस तरह से स्वागत करने का मतलब होता है “मैं आपका आपकी आत्मा के नाम पर स्वागत करता हूं”। आराम से सीधे खड़े हों, दोनों पैर को एक साथ, लगभग कूल्हों की चौड़ाई तक रखें। इस आसन में आराम कीजिए और सूर्य के आकार और चमक के बारे में सोचें। यह सूर्य नमस्कार के पूरे चक्र को पूर्ण करता है।

जिन्होंने इस अभ्यास को अभी-अभी शुरु किया है, उन्हें पहले 14 दिनों तक केवल एक चक्र करना चाहिए उसके बाद धीरे-धीरे 6 चक्रों तक बढ़ाना है।

3 मिनट की आराम की स्थिति के साथ खत्म करना महत्वपूर्ण होता है। पीठ के बल आराम से लेट जायें और आंखे बंद कर लें। हाथे को शरीर के बगल में रखें। मन और तन को आराम करने दें। hairy woman

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