लता जी ने इस गाने को अश्लील बताकर किया गाने से इंकार, फिर रिकॉर्डिंग के लिए ऐसे मानी

भारत रत्न लता मंगेशकर हिंदी सिनेमा की एक लोकप्रिय पार्श्वगायिका हैं। उनके गायन की मधुरता के कारण उन्हें भारत की ‘स्वर कोकिला’ के नाम से भी जाना जाता है। हर कोई उनकी आवाज का दीवाना है। उनकी जादुई आवाज के दीवाने भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में हैं। लता जी ने 6 दशकों तक हिंदी सिनेमा को समृद्ध किया।

लता जी ने तीस हजार से अधिक फ़िल्मी और गैर फ़िल्मी गानों में अपनी आवाज दी है।लता जी ने इतने गानों में अपनी आवाज दी है कि उनका नाम गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज़ है। उनके कई गाने हैं, जिन्हे एवरग्रीन कहा जा सकता है। उनकी आवाज ने कभी किसी के आँखों में आंसू भर दिए, तो कभी सरहद पर खड़े  प्रहरियों का मनोबल बढ़ाया।

लता जी को सुरों की साम्राज्ञी कहा जाता है। वे बचपन से ही संगीत के प्रति समर्पित रहीं हैं। गायन की कला उन्हें विरासत में मिली थी। पिता दीनानाथ मंगेशकर स्वयं रंगमंच के प्रतिष्ठित कलाकार एवं गायक थे। लता जी की बहन आशा भोंसले भी हिंदी सिनेमा एक लोकप्रिय गायिका हैं। आज हम लता जी से जुड़ा एक किस्सा आप सभी के साथ शेयर करेंगे।

साल 1987 में राकेश कुमार के निर्देशन में एक फिल्म आयी थी ‘दिल तुझको दिया’। इस फिल्म में कुमार गौरव, लीला चिटनिस, अरुणा रानी, अमरीश पुरी जैसे कई दिग्गज कलाकारों ने अभिनय किया था। इस फिल्म के गानों को आवाज लता जी ने दी थी, और संगीत दिया था राजेश रोशन ने।

इस फिल्म का एक गाना जिसके बोल थे “वादा न तोड़,  वादा न तोड़,  मेरी चढ़ती जवानी तड़पे…..”। इस गाने के बोल को अश्लील बताकर लता जी ने इस गाने को गाने से मना कर दिया। इतना ही नहीं वे स्टूडियो से निकलकर जाने लगीं। तब राजेश जी ने उन्हें रोका और कहा कि आप मुझे भी कुछ बोलने का मौका देंगी।

फिर राजेश जी ने लता जी को उनके पिता के फिल्म में गाये एक गाने “सखी री मेरा मन उलझे तन डोले” की याद दिलाई। यह गाना फिल्म चित्रलेखा का था। इस पर लता जी ने जवाब दिया कि हाँ उन्हें ये गाना याद है। तब राजेश जी ने कहा कि आपको जवानी शब्द से ग़लतफ़हमी हो सकती है। लेकिन इस गाने का भाव भी उसी गाने की तरह है। इस तरह रोशन जी के कहने पर लता जी मान गयीं, और गाने की रिकॉर्डिंग पूरी हो पायी।

हिंदी सिनेमा में लता जी को इतना बड़ा मुकाम यूँ ही नहीं हासिल हुआ है। इसके पीछे उनके संघर्ष की लम्बी दास्ताँ है। पिता की मृत्यु के पश्चात् उन्हें पैसों की काफी किल्ल्त रहती है। पिता की मृत्यु के समय वे मात्र 13 वर्ष की थीं। ये बात बहुत कम ही लोगों को पता है कि लता जी ने फिल्मों में अभिनय भी किया है। उन्होंने कई हिंदी और मराठी फिल्मों में काम किया है। लता जी को अभिनय करना पसंद नहीं था। लेकिन घर की मजबूरियों को देखते हुए उन्होंने फिल्मों में अभिनय करने का निश्चय किया। उनकी पहली फिल्म थी साल 1942 की ‘पहिली मंगलागौर’। इसके बाद लता जी ने कई फिल्मों में अभिनय किया।

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