जब मधुबाला ने दिलीप कुमार को घसीटा अदालत में

कुछ 64-65 वर्ष पहले, राम दरयानी की फ़िल्म ‘तराना’ (1957) के लिए दिलीप कुमार और मधुबाला को चुना गया। जिस दिन से ये मिले, मानो  कोई गुल खिल गए।

मधुबाला का जन्म 14 फ़रवरी,1933 को हुआ था। इस दिन को प्रेमियों का दिन अर्थात वैलेंटायन डे कहा जाता है। मधुबाला का मिज़ाज अत्यंत लड़कपन सा था। कहा जाता है की इनके फ़िल्म में लता मंगेशकर द्वारा गीत-“ नैन मिले नैन हुए बावरे,चैन कहा मोहे सजन साँवरे” इनके प्रेम की ही एक झलक है।

मधुबाला ने दिलीप कुमार के लिए उनके मेकअप रूम में प्रेम पत्र भेजा था जिसमें यह लिखा था कि – “अगर आपको मुझसे मोहोब्बत का इकरार हो तो इस गुलाब को क़ुबूल फ़रमाए”। दिलीप कुमार ने हँसी ख़ुशी उस गुलाब के फूल को स्वीकार किया।

मधुबाला

मधुबाला की उम्र केवल 17 साल की थी और वह इस कच्ची उम्र में ही प्रेम में दीवानी हो  चुकी थी । इनके पिता कठोर थे और हर समय उन पर नज़र रखते थे । परंतु दिलीप कुमार भी कम नही थे। वे एक दिन भी मधुबाला से मिले बिना नही रह पाते जिसके कारण अपना शूट छोड़ कर वे मधुबाला के शूट पर चले जाते थे ।

दिलीप कुमार की बड़ी बहन मधुबाला के घर चुनरी लेकर भी गयी थी । परन्तु विवाह का प्रस्ताव रखने पर बात बहुत बिगड़ गयी थी। दिलीप कुमार के मन में मधुबाला के पिता के प्रति कड़वाहट आ गयी थी। मधुबाला के पिता का उनकी बेटी के शूटिंग में दख़ल देना उनके डिरेक्टर को पसंद नही आता था।

दिलीप कुमार और मधुबाला अपने अन्य फ़िल्म “मुग़ल-ए-आज़म” के शूट पर थे और जिस दिन इनके अत्यंत रोमांटिक सीन शूट होने थे,उस दिन किसी को 25 हज़ार रुपय दिए गए ताकि वह व्यक्ति मधुबाला के पिता को तीन पत्ती के खेल में व्यस्त रख सके।

मधुबाला और दिलीप कुमार (फ़िल्म “मुग़ल-ए-आज़म”)

मधुबाला और दिलीप कुमार को 1956 में “ नया दौर ” में कास्ट किया जाने वाला था। पहले के दस दिन आराम से बीते पर जैसे ही आउट्डॉर शूटिंग की बात आई, मधुबाला के पिता ने सहमति नही दी। दिलीप कुमार इस पूरे समस्या में अपने निदेशक के पक्ष में थे। उन्हें लग रहा था कि मधुबाला के पिता उनके कारण सहमती नही दे रहे। दूसरी ओर मधुबाला के परिवार ने कहा कि मधुबाला के दिल में छेद होने के कारण वे उसे बाहर नही भेजना चाहते थे।

वैजयंती माला और दिलीप कुमार

फ़िल्म के निदेशक ने अख़बार पर ख़बर डलवाई की अब मधुबाला के स्थान पर वैजयंती माला काम करेंगी। अख़बार में मधुबाला पर एक कट का निशान लगाया गया और उसके पास वैजयंती माला लिखा गया,इसके कारण मधुबाला के पिता आग बबूला हो उठे और उन्होंने एक अख़बार में मधुबाला के सारे फ़िल्मों के नाम लिखवा कर “ नया दौर ” पर वैसा ही कट करवाया। उन्होंने फ़िल्म की शूटिंग को रोकने के लिए केस भी किया जिसकी सुनवायी के लिए दिलीप कुमार को गवाही के लिए बुलाया गया। कई सवालों के साथ उनसे यह भी पूछा गया की वे मधुबाला से प्रेम करते है या नही, इस पर उन्होंने कहा की – “ हाँ मै मधु से प्यार करता हूँ और उसे हमेशा प्यार करता रहूँगा”।

दिलीप कुमार की इस गवाही के बाद दोनों की प्रेम कहानी में कभी न मिटने वाली दूरी पैदा हो गई। मधुबाला और दिलीप के बीछ ऐसी विडंबना हुई की वे ‘मुग़ल-ए-आज़म’ की शूटिंग तो करते थे परंतु हर सीन के बाद मुँह फेर लेते थे। पर एक सीन आया जहाँ सलीम अनारकली को ग़ुस्से में एक तमाचा मारते है,उस सीन में दिलीप कुमार ने मधुबाला को ऐसा करारा तमाचा मारा के सब हक्के बकके रह गए। मधुबाला को भी होश संभालने में समय लगा।

न जाने उनके प्रेम को किसकी नज़र लगी की वह घृणा में बदल गया।आगे चल कर दिलीप कुमार ने सायरा बानू से शादी करली और मधुबाला ने किशोर कुमार से परंतु बीमार होने के कारण इनकी मृत्यु 1969 में ही हो गई था जब यह सिर्फ़ 36 वर्ष की थी। займы на карту


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