ऋषि कपूर ने ‘फिल्म फेयर अवॉर्ड’ खरीदा, जब लगी थी अमिताभ बच्चन से होड़

कहावत है कि विश्वास पर ही दुनिया कायम है। विश्वास चाहे किसी व्यक्ति पर हो, स्थान पर हो या किसी वस्तु पर हो, अडिग रहना जरूरी होता है। हम अक्सर अपने आस पास ऐसी चीजें देखते और सुनते हैं, जिसपर हमें आसानी से विश्वास हो जाता है। लेकिन कुछ चीजें ऐसी भी होती हैं, जो सामने जैसी दिखाई देती हैं, वैसी होती नहीं हैं।

कई घटनाएं हमारे सामने घट जाती हैं, और हमे लगता है कि ये सच है, लेकिन कभी कभी वो झूठी भी निकल जाती हैं। हम अक्सर देखते हैं कि किसी व्यक्ति को सम्मानित किया जा रहा है। हम ये सोचते हैं कि उस व्यक्ति ने मेहनत की है इसलिए आज उसे सम्मानित किया जा रहा है, लेकिन क्या कभी हम ये सोचते हैं कि ये सम्मान खरीदा भी जा सकता है? पैसों के दम पर उस पुरस्कार को खरीदा भी सकते है। शायद हम ऐसा नहीं सोचते। लेकिन आज हम एक ऐसे ही पुरस्कार के बारे में जानेंगे, जिसे पैसों के दम पर खरीद लिया गया था, और शायद आज भी खरीदा जाता है।

फ़िल्म फेयर – एक परिचय

हमारे देश में अनेक तरह के पुरस्कार से लोगों को सम्मानित किया जाता है। हर क्षेत्र से जुड़े लोगों को अलग अलग पुरस्कार दिए जाते हैं। पद्मश्री, भारत रत्न, परमवीर चक्र, अशोक चक्र, अर्जुन अवार्ड इत्यादि अनेक पुरस्कार हैं, जो भारतीय सेना, चिकित्सा, खेल जगत, राजनीति, इत्यादि के क्षेत्र से जुड़े हुए लोग, जो अतुलनीय कार्य करते हैं, उन्हें दिया जाता है। ऐसा ही एक अवार्ड है ‘फिल्म फेयर’। फिल्म फेयर पुरस्कार भारतीय फिल्म जगत से जुड़े हुए लोग, जो संगीत, नृत्य, अभिनय, निर्देशन इत्यादि के क्षेत्र में सबसे अच्छा कार्य करते हैं, उन्हें दिया जाता है।

हम जब इस सम्मान समारोह को देखते हैं, तो हमे लगता है कि पुरस्कार पाने वाले लोगों ने मेहनत किया है, इसलिए उन्हें सम्मानित किया जा रहा है। लेकिन कभी कभी ऐसा भी होता है जब अपने प्रतिद्वंदी से आगे निकलने के होड़ में इस पुरस्कार को पैसों के दम पर खरीद लिया जाता है। इस फिल्म फेयर पुरस्कार को एक बार एक ऐसे अभिनेता ने खरीदा था, जिनकी फिल्मों के लोग दीवाने हो जाते हैं। वो अभिनेता है दिग्गज अभिनेता स्वर्गीय राज कपूर साहब के बेटे स्वर्गीय ऋषि कपूर जी। आइए जानते है पुरस्कार खरीदने की इस कहानी के बारे में।

अमिताभ बच्चन और ऋषि कपूर के बीच पुरस्कार जीतने की होड़

यह वाकया साल 1973 का है। इसी साल ऋषि कपूर ने बॉलीवुड में फिल्म ‘बॉबी’ से कदम रखा था। ऋषि कपूर के बॉलीवुड में आने से पहले महानायक अमिताभ बच्चन ने बॉलीवुड में अपने पैर जमा लिए थे। उनकी फिल्में दर्शकों को इतनी पसंद आती थी कि वह अपने आप सिनेमाघरों तक खिंचे चले आते थे। जब ऋषि कपूर की फिल्म बॉबी सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली थी, उसी समय महानायक अमिताभ बच्चन की फिल्म ‘जंजीर’ भी दर्शकों के सामने आने वाली थी। फिल्म बॉबी उस साल की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म थी। एक तरफ जहां इस फिल्म ने 5.6 करोड़ रुपए का कारोबार किया, वहीं दूसरी तरफ अमिताभ बच्चन की फिल्म जंजीर ने तीन करोड़ रुपए का कारोबार करके साल की चौथी सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फ़िल्म बनी।

अब बारी थी साल के अंत में फिल्म फेयर पुरस्कार की। ऋषि कपूर पर एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी थी पुरस्कार जीतने की, क्योंकि वो बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता राज कपूर साहब के बेटे थे। वहीं दूसरी तरफ अमिताभ बच्चन उस समय तक बॉलीवुड में एक बेहतरीन पारी खेल चुके थे। वह लोगों के दिलों में बसते थे। इसलिए उनके ऊपर भी दबाव था इस पुरस्कार को जीतने का। अमिताभ बच्चन पूरी तरह से आश्वस्त थे। उन्हें यकीन था कि उनके बेहतरीन अभिनय की वजह से इस साल का फिल्म फेयर पुरस्कार उन्हें ही मिलेगा। वहीं दूसरी तरफ ऋषि कपूर भी इस पुरस्कार को जीतना चाहते थे, लेकिन उन्हें यह डर भी था कि कहीं उनके हाथ से यह पुरस्कार चला न जाए।

जब ऋषि कपूर ने फिल्म फेयर अवॉर्ड खरीद लिया

एक दिन उन्हें एक आदमी ने प्रस्ताव दिया कि अगर ऋषि कपूर उसे तीस हजार रुपए देते हैं, तो यह फिल्म फेयर पुरस्कार उनके नाम कर दिया जाएगा। उन दिनों तीस हजार रुपए बहुत बड़ी रकम हुआ करती थी। अवॉर्ड जितने के लिए ऋषि कपूर ने बिना कुछ सोचे समझे उस आदमी की बात मान ली और उसे तीस हजार रुपए दे दिए। पुरस्कार समारोह के दिन उनके पैसों ने अपना काम दिखाया, और ऋषि कपूर को बॉबी फिल्म के लिए फिल्म फेयर पुरस्कार मिला।

इस कहानी के बारे में बहुत कम ही लोग जानते हैं। इस बात का खुलासा ऋषि कपूर ने अपनी किताब ‘खुल्लम-खुल्ला’ में किया है। इस घटना के बाद से अमिताभ और ऋषि के बीच काफी लंबे समय तक मनमुटाव चलता रहा। हालांकि कुछ समय बाद दोनों के बीच दूरियां कम होती गई। दोनों ने साथ में कई फिल्में भी की। पर्दे पर दोस्त होने के अलावा दोनों निजी ज़िंदगी में रिश्तेदार भी बन गए।

इस बात को गुजरे कई साल हो गए, लेकिन जब तक ऋषि कपूर ज़िंदा थे, वे कहा करते थे कि शायद उन्होंने वो पुरस्कार खरीदकर गलती की थी। ऋषि कपूर से जुड़ी ढेर सारी बातों को जानने के लिए बने रहें हमारे साथ। कहानी पसंद आई हो तो इसे और भी लोगों तक जरूर पहुंचाएं, और ऋषि कपूर की किताब खुल्लम खुल्ला वक्त मिलने पर जरूर पढ़े। займы на карту


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