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आप जानते हैं कैसे तय होती है किसी क्रिप्टोकरेंसी की कीमत? यहां समझें पूरा गणित

आखिर किस तरह तय की जाती क्रिप्टोकरंसी की कीमत

क्रिप्टोकरेंसी की कीमतें उसकी मांग व सप्लाई के आधार पर तय की जाती है अगर क्रिप्टो करेंसी की मांग ज्यादा होती है तो उसकी कीमतों में उछाल आता है लेकिन अगर इसकी मांग व सप्लाई कम होती है तो क्रिप्टो करेंसी की कीमतें भी कम हो जाती है. इसके अलावा कई और ऐसे फैक्टर्स भी है जो इसकी कीमतों पर असर डालते हैं.

क्रिप्टोकरेंसी 2009 में अस्तित्व में आई लेकिन उस समय यह इतनी पॉपुलर नहीं थी जितनी आज है. 2021 से क्रिप्टो करेंसी में लोगों ने काफी दिलचस्पी दिखानी शुरू की और इसकी कीमतों में उछाल आया. आज दुनिया भर में लोग क्रिप्टोकरेंसी में निवेश कर रहे हैं. क्रिप्टो करेंसी को जनरेट क्रिप्टो माइनिंग के जरिए किया जाता है.यह बहुत जटिल प्रक्रिया होती है.माइनिंग के लिए अच्छे कंप्यूटर  होना जरूरी है. जब यह समीकरण पूरा हो जाता है तो क्रिप्टो माइनर्स को इनाम के तौर पर क्रिप्टोकॉइन मिलते हैं. क्रिप्टोकॉइन सुरक्षित करने के लिए ब्लॉकचेन तकनीक अपनाई जाती है.

क्रिप्टो करेंसी किस तरह काम करती है

क्रिप्टो करेंसी किस तरह काम करती है उसे जानने से पहले हमें यह जान लेना चाहिए कि आखिर क्रिप्टोकरंसी है क्या और यह हमारी ट्रेडिशनल करेंसी से किस तरह अलग है. क्रिप्टो करेंसी एक डिजिटल मुद्रा है जिसे हम छू व देख नहीं सकते लेकिन स्टोर कर सकते हैं लेकिन हमारी ट्रेडिशनल करेंसी को हम छू व देख सकते हैं और घर में स्टोर भी कर सकते हैं.हमारी ट्रेडिशनल करेंसी पर सरकार का नियंत्रण है लेकिन क्रिप्टोकरंसी पर नहीं,क्रिप्टोकरंसी डिसेंट्रलाइज्ड होती है और इसे ज्यादातर देशों ने कानूनी वैधता भी नहीं दी है क्रिप्टो करेंसी की सप्लाई फिक्स होती है. हमारी ट्रेडिशनल करेंसी और क्रिप्टोकरंसी दोनों ही लेनदेन में काम आती है और दोनों को ही स्टोर किया जा सकता है.

क्रिप्टोकरेंसी पब्लिक लेजर

क्रिप्टोकरेंसी में जो भी ट्रेडिंग की जाती है वह खुद ब खुद ही डिसेंट्रलाइज लेजर में दर्ज हो जाती है इस लेजर का कोई अधिकारी नहीं होता यानी इसका एक्सेस किसी एक व्यक्ति या समूह के पास नहीं होता इसे जब लोग चाहे तब कहीं से भी एक्सेस कर सकते हैं और ट्रांजैक्शन को देख सकते हैं. क्रिप्टोग्राफी के कारण ही सभी ट्रांजैक्शन सुरक्षित रहती हैं.

नोड अकाउंट:

किस नेटवर्क पर कितने वॉलेट एक्टिव हैं यह नोड अकाउंट द्वारा पता चलता है इस नोड अकाउंट के जरिए हमें पता चलता है कि किस करेंसी की कीमत अधिक है और किसकी कम.अगर कोई निवेशक यह जानना चाहता है कि क्रिप्टोकरेंसी की बढ़ी हुई कीमतें सही है या नहीं तो वह नोड अकाउंट के जरिए यह जान सकता है.नोड अकाउंट से हमें यह पता लगता है कि क्रिप्टो कम्युनिटी कितनी मजबूत है और जिस क्रिप्टो कम्युनिटी के अंदर ज्यादा नोड अकाउंट होंगे वह उतनी मजबूत होगी.

किस तरह तय होती हैं क्रिप्टो करेंसी की कीमतें

किसी भी क्रिप्टोकरंसी की कीमत उसकी मांग व सप्लाई पर तय होती हैं.क्रिप्टोकरंसी की मांग कम है और सप्लाई ज्यादा तो उसकी कीमतें गिर जाती हैं  और अगर किसी क्रिप्टोकॉइन की सप्लाई कम है और मांग ज्यादा तो उसकी कीमतें बढ़ जाती हैं.

फिलहाल दुनिया भर में क्रिप्टोकरेंसी के निवेशकों की संख्या बढ़ गई है साथ  ही इसकी कीमतों में भी उछाल आया है. इसके इतने लोकप्रिय होने के कारण भी आम लोग इसमें निवेश नहीं कर पा रहे हैं अभी भी लोग डिजिटल मुद्रा में निवेश करने से डरते हैं वह अपनी ट्रेडीशनल करेंसी को ही बेहतर समझते हैं उन्हें ट्रेडिशनल करेंसी से लेनदेन आसान लगता है.

क्रिप्टो बाजार अभी नया है इसे शुरू हुए ज्यादा समय नहीं हुआ है इसलिए इसमें काफी उतार चढ़ाव होते रहते हैं यह बाजार अभी अस्थिर है व्हेल अकाउंट के कारण भी है  जिसके कारण लोग इसमें निवेश करने से घबराते हैं.


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