- पुस्तक: शिखंडी और अनसुनी कहानियाँ
- लेखक: देवदत्त पट्टनायक
- अनुवाद: रमेश कपूर
- प्रकाशन: राजपाल एंड संस
विख्यात लेखक देवदत्त पट्टनायक द्वारा लिखी गई कृति “शिखंडी और कुछ अनसुनी कहानियाँ” कहानियों की पुस्तक है । देवदत्त पट्टनायक की अधिकतर कृतियां पौराणिक विषयों पर हैं। उनकी कृति में जो समाज और संस्कृति में जो यौन प्रवृतियां शामिल हैं, उनसे जुड़ी कहानियां इस संकलन में वर्णित है।
भारतीय समाज के लिए यह कोई नई बात नहीं है और ना ही यह धारणाएं पश्चिमी देशों की देन है। इसका पता हमें ग्रंथों व अन्य पौराणिक कथाओं व संकलन से चलता है । लेखक ने पुस्तक को दो भागों में विभाजित किया है लेखक ने पहले खंड के 2 अध्यायों में विशेषताओं की पहचान और असामान्य यौन प्रवृत्ति की खोज का वर्णन किया है
लेखक आगे कहते हैं कि पौराणिक कथा व ग्रंथों में कई ऐसी स्त्रियाँ व पुरुष का वर्णन है जो अपना लिंग बदल लेते हैं कई स्त्री पुरुष बन गई और कई पुरुष स्त्री। शिखंडी व मोहिनी इन्हीं के उदाहरण हैं लेकिन ऐसा नहीं है कि यह कहानियां केवल भारत तक सीमित हैं कई बाहरी देशों के इतिहास में भी ऐसी कथाओं का वर्णन है। जैसे जापान,यूरोप,चीन,इरानी,प्राचीन मिस्र इनकी कहानियों में भी ऐसे किरदारों का वर्णन मिलता है। जिसमें स्त्री पुरुष बन गई और पुरुष स्त्री पौराणिक काल में यह सब आम बात थी लेखक आगे कहता है कि ऐसा नहीं है जो प्रतिष्ठित लोग हैं उन्होंने ऐसा किया। यह कई प्रतिष्ठित परिवारों में भी हुआ है पांचाल नरेश द्रुपद की पुत्री शिखंडी ने अपना लिंग बदल शिखंडनी का रूप धारण किया तो लेखक लोगों से सवाल करता है कि जब पहले के लोग की सोच इतनी संकुचित नहीं थी तो अब क्यों है लोग असामान्य यौन को घृणा की नजर से क्यों देखते हैं लेखक देवदत्त आगे कहते हैं कि शायद हिंदू समाज में जैसे-जैसे ब्रह्मचार्य, ब्राह्मण समाज, मठ आश्रम का महत्व बढ़ता गया वैसे-वैसे लोगो की सोच असामान्य योन विशेषकर समलैंगिक के प्रति संकुचित होती चली गई।
लेखक की पुस्तक का दूसरा खंड असामान्य यौन से जुड़ी कहानियों का संग्रह है। यह कहानियां लेखक ने पौराणिक धर्म ग्रंथों से ली है इस में लेखक ने शिखंडी की कहानी काफी वर्णन किया है जो बाद में पुरुष बन जाती है और उसमें पुरुष और स्त्री दोनों के ही युग्म सम्मिलित हो जाते हैं। लेखक ने अपनी पुस्तक में एक तमिल की प्रचलित कहानी का भी वर्णन किया है। इसमें महादेव अपने भक्तों के शिशु को जन्म देने के लिए स्त्री का रूप धारण कर लेते हैं। आगे पुस्तक में विष्णु के मोहिनी रूप का भी वर्णन किया है। और भी कई कहानियां लेकर के पुस्तक में वर्णित किया है। लेखक ने इन कहानियों की पुष्टि पौराणिक ग्रंथ जैसे स्कंद पुराण, महाभारत, भगवत पुराण, वाल्मीकि रामायण आदि पुस्तकों को साक्षी मान कर की है।
प्राचीन समय में समलैंगिकता लोगों के लिए सामान्य थी लेकिन आज के नए दौर में भी लोग समलैंगिकता और असाधारण यौन को स्वीकारने के लिए तैयार नहीं है। समाज उन लोगों को उनके अधिकारों से वंचित कर रहा है जिन लोगों की सोच संकुचित है उन्हें यह किताब अवश्य ही पढ़नी चाहिए। यह पुस्तक लोगों को समलैंगिकता पर लोगों को जागरूक करने का एक माध्यम है। अनुवाद के कारण पुस्तक में कहीं-कहीं ऐसा मालूम होता है कि पुस्तक जल्दबाजी में लिखी गई है लेकिन इसमें उठाए गए प्रश्न का आधार बिल्कुल जायज है।