घर में नकारात्मकता कम करने के लिए हिंदू धर्म के लोग वास्तु का पालन करते है, पर आज हम आपको कुछ छोटी छोटी बातों के बारे में बताएँगे जिसे पालन करना आपके लिए आसान भी होगी और यह नकारात्मकता कम भी करेगी।
वर्षों से हमारे घर में मंदिर की स्थापना होती आ रही है। हमारे पूर्वज ने भी बनाया था, हम भी बना रहे है और यह आगे भी होता रहेगा। मंदिर के घर में होने से घर का माहौल अच्छा एवं सुख शांति से संपूर्ण होता है। मंदिर में सुबह शाम दिया भी जलाना चाहिए।
कई पंडितो के अनुसार हमें मंदिर बनाते वक़्त सही संख्या का ज्ञान होना चाहिए। उज्जैन के इंद्रेश्वर महादेव मंदिर के पुजारी और ज्योति का ज्ञान रखने वाले पंडित सुनील नागर ने इसके बारे में विस्तार में बताया।
कहा गया की गणेश जी की पूरे घर में मूर्तियाँ सम रूप में ही होनी चाहिए। इसका अर्थ है की मूर्तियाँ की संख्या “इवन” होनी चाहिए जैसे दो, चार या छह। इस से घर में गणेश जी की कृपा बनी रहती है।
घर के मंदिर में आपके अंगूठे के पहले भाग से बड़ा शिवलिंग नही होना चाहिए। अतः ज़्यादा बड़ा शिवलिंग ना रखे। यदि शिवलिंग बड़ा हुआ तो मूर्ति का तेज भी ज़्यादा होगा और इससे आपके घर में हानि पहुँच सकती है। इसलिए ध्यान रहे कि शिवलिंग आपके अंगूठे के पहले भाग से बड़ा ना हो। छोटे शिवलिंग से भी घर में सुख एवं शांति बनी रहेगी और घर के सदस्यों को अक्षय का पुण्य मिलता रहेगा। यदि घर में शिवलिंग है तो उन पर रोज़ ताम्बे के लोटे से गंगा जल या साधारण जल अवश्य चढ़ाए।
भगवान विष्णु और उनके सभी अवतारों के पूजा में शंक की ज़रूरत पड़ती है, पर शिवजी के पूजा के समय शंक का प्रयोग नही होना चाहिए। इसके अतिरिक्त घर में केवल एक ही शंक होना चाहिए। एक से अधिक शंक का होना अच्छा नही माना जाता। यह शुभ नही होता। एक और महत्वपूर्ण बात यह है की कभी भी शंक से शिवलिंग पर जल या दूध ना चढ़ाए।
बहुत सरल किंतु बहुत महत्वपूर्ण बात, घर में कभी भी टूटे या खंडित मूर्तियों को ना रखे। उनके टूटने या खंडित होने पर उन्हें गंगा नदी में प्रवाहित करें। घर में टूटे या खंडित मूर्ति को रखने से घर दूषित हो जाता है।वह मूर्ति पूर्ण रूप से अपना असर नही दिखती। यदि हम खंडित मूर्ति की पूजा करते है तो हमें एकाग्रता नही मिलती और पूजा भी अधूरा माना जाता है। हमें टूटी हुई मूर्ति की पूजा करने से पूरा फल नही मिलता।
एक बात स्मरण रहे की शिवजी के अतिरिक्त किसी और देवी एवं देवता की पूजा के मूर्ति का बिलकुल ठीक होना ही उचित और अनिवार्य है। शिवलिंग निराकार ही होता है इसलिए यह शुभ भी है।
जब भी कोई पूजा करे तो दीपक जलते रहना चाहिए। यदि हवा या किसी कारण दीपक बुझ जाए तो उसे उसी समय फिर जलाए। बिना दीपक जलाए पूजा करना व्यर्थ है।
सबसे अधिक महत्वपूर्ण यह है की जब आप पूजा करे तो पूरे दिल से करे। अगर आपका मन भटक रहा है तो उस पूजा का कोई लाभ नही क्योंकि ईश्वर की पूजा सच्चे मन और श्रद्धा से ही की जाती है। buy viagra online