वृंदावन के प्रसिद्ध, प्रेम मंदिर की होली क्यों है खास

श्री कृष्ण का नाम मन में आते ही हमारा हृदय प्रेम भावना से पुलकित हो उठता है। श्री कृष्ण से जुड़ी सभी चीजें श्रद्धालुओं को आकर्षित करते हैं। और श्रीकृष्ण से जुडी सबसे पावन भूमि वृंदावन नाम सुनते ही श्रद्धालुओं का मन पुलकित हो जाता है। वृंदावन वह स्थान है, जहां कृष्ण ने अपने बचपन में बाल लीलाएं की थी।

यह स्थान मथुरा से 14 किलोमीटर दूर स्थित है और यह श्री कृष्ण की यादों के साथ-साथ अपने बहुत सारे मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है।यहां पर बांके बिहारी का मंदिर, श्री गरुड़ गोविंद जी का मंदिर, राधा वल्लभ मंदिर, श्री बलराम मंदिर, जैसे अनेकों तीर्थ स्थल हैं जिसमें श्रद्धालुओं का पूरे साल आना जाना लगा रहता है। श्री कृष्ण की लीला स्थल होने के कारण इसका वर्णन विष्णु पुराण, श्रीमद्भागवत और कालिदास के लेख में भी मिलता है।

क्या आपको पता है कि जो आज का वर्तमान वृंदावन है वह असलियत में प्राचीन वृंदावन नहीं है? पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जो प्राचीन वृंदावन है, वह गोवर्धन पर्वत के निकट था। इन मान्यताओं की पुष्टि सूरदास जी ने अपने लेखों में भी किया है।

वृंदावन को बृज का हृदय कहा जाता है और वहां की अलौकिक लीलाओं की कथा सुनकर मन भक्ति और श्रद्धा से नतमस्तक हो जाता है। इस स्थान को सुख और समृद्धि का आश्रय बताया गया है इसीलिए प्राचीन काल से यह भक्तों की श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है। मंदिरों के साथ-साथ वृंदावन का निधिवन भी बहुत प्रसिद्ध है।

निधिवन और कृष्ण की रासलीला

वृंदावन का निधिवन रहस्यमई और चमत्कारी जगहों में से एक मानी जाती हैं। यहां मान्यता है कि हर रात श्री कृष्ण, गोपियों के साथ यहां रास लीला रचाते हैं और इसी कारणवश शाम की आरती के बाद निधिवन को बंद कर दिया जाता है। जो मनुष्य रासलीला देखने की कोशिश करता है; वह या तो पागल हो जाता है या उसकी मृत्यु हो जाती है। निधिवन के पेड़ काफी अजीब है क्योंकि इन पेड़ों की शाखाएं साधारण पेड़ के विपरित ऊपर नहीं, परंतु नीचे की ओर बढ़ती है। कहा जाता है कि निधिवन के तुलसी के पेड़ रात में गोपियां बन जाती हैं और राधा कृष्ण के साथ रासलीला करती हैं।

वृंदावन के प्रसिद्ध, प्रेम मंदिर की होली

 

यूं तो होली का त्यौहार पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है, परंतु जो रौनक वृंदावन के प्रेम मंदिर के होली में होती है वह शायद ही कहीं और हो। यहां की होली पूरे विश्व में मशहूर है और यहां, होली का त्यौहार बसंत पंचमी से ही शुरू हो जाता है। ब्रज के हर शहर में विभिन्न तरह की होली मनाई जाती है, जैसे फूलों की होली, लठमार होली और भी अनेक प्रकार की होली।

वृंदावन में होली का सबसे ज्यादा मजा प्रेम मंदिर में आता है। यहां देश-विदेश से श्रद्धालु होली खेलने आते हैं। मंदिर में फूलों की होली खेली जाती है। इस अवसर पर राधा कृष्ण को फूलों के रंगों से श्रृंगार किया जाता है और इसके बाद फूलों और प्राकृतिक रंग से होली खेली जाती है। यह प्रसिद्ध प्रेम मंदिर, 11 सालों में बनकर तैयार हुआ। इस मंदिर को बनाने की घोषणा साल 2001 में हुई थी। प्रेम मंदिर का निर्माण कृपालु जी महाराज ने 54 एकड़ जमीन पर करवाया था। कहा जाता है कि इसके निर्माण-कार्य में करीब 1000 मजदूरों को लगाया गया था। सन् 2012 में इसका निर्माण पूरा हो गया था। 125 फीट की ऊंचाई के अलावा यह मंदिर 122 फीट लंबा और 115 फीट चौड़ा भी है। इस मंदिर की मुख्य रचना संगमरमर के पत्थर से बनी हुई है।

वहां के पुजारी जी बताते हैं कि इटली से आए 30 हजार टन संगमरमर पर इस सवा सौ फुट ऊंचे मंदिर की सूरत दी गई है। इस मंदिर में कुल 94 स्तंभ है, जिन्हें राधा कृष्ण की विभिन्न लीलाओं से सजाया गया है। मंदिर के परिसर में कृष्णा की लीलाओं को झांकियों के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है। यह झांकियां इतनी खूबसूरत है कि देखने वाले को मंत्रमुग्ध कर देती है जैसे मानो स्वयं हम अपनी आंखों से कृष्ण की अद्भुत लीलाएं देख रहे हो।

श्री कृष्ण के बालपन की शरारत और रासलीला को आज भी बृजवासी अपने जहन में याद रखते हैं और यही खास बात है कि यहां का हर त्यौहार, जो श्री कृष्ण जुड़ा हुआ है, वह बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।

आपको यह आर्टिकल कैसा लगा, हमें अपनी राय कमेंट सेक्शन में जरूर बताएं और ऐसे ही धार्मिक आर्टिकल पढ़ने के लिए K4 Feed के साथ जुड़े रहे। срочный займ на карту


Posted

in

by

Tags:

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *