“कहते हैं कि हर बड़ी चीज की शुरुआत, एक छोटी चीज से ही होती है। अगर बनाते समय वह मजबूत हो, तो आगे वह ईमारत टिकी रहती हैं।”
यह कहावत खाली चीज़ो मे ही नहीं बल्कि कई देशों में भी लगती है। अब हमारे भारत को ही देख लीजिए। हमारा देश आज अपनी तरक्की पर है। भले ही देश को कई सालों बाद आजादी मिली थी। लेकिन उसके बावजूद भी वह पहले के मुकाबले बहुत ही मजबूत है। अगर हम अन्य देशों की बात करें तो कहीं ना कहीं उनकी शुरुआत भी बहुत छोटे से ही हुई है। इसी के संदर्भ में आज हम आपके सामने सिंगापुर देश की बात करने आए हैं।
सिंगापुर: एक मिसाल!
यह देश आज बहुत तरक्की कर रहा है। पहले वो ऐसा नहीं था, ना ही इतनी बड़ी-बड़ी इमारतें थी और ना ही इतने अमीर लोग थे। वो भी एक छोटा सा ही देश था, जिसको विदेशी सेना ने हमले कर-कर के बर्बाद कर दिया था। परंतु, आज अगर आप उस शहर की तरफ पलट कर देखें, तो शायद आप हैरान रह जाएंगे। आपको बता दें कि सिंगापुर भी ब्रिटिश सेना की हुकूमत में ही था।
सिंगापुर में हुकूमत का समय
जिस प्रकार भारत, अंग्रेजों के कब्ज़े मे कई सालों तक रहा था। उसी प्रकार सिंगापुर का भी वही हाल था। जिस समय सिंगापुर, ब्रिटेन की हुकूमत में था। उस समय उस पर कब्जा पाने के लिए जपान ने बुरी तरीके से इस देश पर हमला बोल दिया था। इसके बाद ब्रिटिश सेना हार गई थी और सिंगापुर की हुकूमत जापान के पास आ गई थी। इसके बाद अमरीका ने सिंगापुर पर हमला बोल दिया था। यह हमला पहले के मुकाबले 4 गुना ज्यादा खतरनाक था क्योंकि इसमें भारी गोले बरसाए गए थे। इससे उस राष्ट्र के लोगो और जमीन को भी बहुत नुकसान पहुंचा था।
यही वह समय था जब लोगों में आजादी की अलख जगी थी। हालात उनके बस के बाहर होते जा रहे थे और लोगों ने संगठन बनाना शुरू कर दिए थे। वह चाहते थे कि अब वो एक आजाद नागरिक की तरह अपने देश में खुलकर सांस ले सकें। तब सिंगापुर के इतिहास में एक ऐसे आदमी का नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया, जिसने सब कुछ बदल कर रख दिया। वही एक ऐसा इंसान था जिसने सिंगापुर की जनता को आजादी दिलवाई।
आम जनता के लिए हीरो: ली कुआन यी
भले ही ली क्वान चीनी परिवार से नाता रखते थे। उसके बावजूद भी उनके मन में सिंगापुर के लोगों के प्रति दया की भावना थी। जब वह अपनी पढ़ाई पूरी कर रहे थे, उस बीच उन्होंने एक चीज तो जान ली थी। उनको यह समझ में आ गया था कि सिंगापुर के लोगों को इन हमलों की वजह से बहुत कुछ झेलना पड़ता है। उन्होंने उसी समय अपने मन में यह बात ठान ली थी कि वह जल्द ही सिंगापुर के लोगों को आजादी दिलाने के लिए कुछ ना कुछ करेंगे। उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की और सिंगापुर के लोगों को आजादी के लिए प्रेरित करते हुए एक वकील के रूप में नजर आए।
आजादी के अंतर्गत एक जरूरी स्थापना: पीएपी
ट्रेड यूनियन के वकील के रूप में वह सिंगापुर की जनता को आजादी दिलाने के लिए नज़र आए थे । उस समय उन्होंने एक पार्टी की स्थापना की थी जिसका नाम पीपुल्स एक्शन पार्टी था। कुछ सालों तक सब ऐसे ही चलता रहा। लेकिन तक़रीबन 40 साल बाद वो सचिव के रूप में बहुमत से इलेक्शन जीत गए। आखिरकार उन्होंने अंग्रेजी सेना के हाथों से अपने देश को बचा ही लिया। परन्तु, अभी भी वह देश पूरे तरीके से आजाद नहीं हुआ था। यह काम 1965 में जाकर हुआ था, जब इस देश को पूर्ण रूप से स्वतंत्रता हासिल हो गई थी। इसके लिए उन्होंने इस राष्ट्र को मलेशिया के गठबंधनो से आजाद करवाया था।
स्वतंत्र देश परंतु झोपड़ी में रहने वाले लोग
हालांकि, यह देश आज़ाद हो गया था। लेकिन इसका मतलब यह नहीं था कि वह विकास तक पहुंच गया था। अभी भी उसको तरक्की छूने के लिए बहुत समय की जरूरत थी। इसका कारण यह था कि वहां के लोग ज्यादा अमीर नहीं थे और इसी वजह से वह अपना निवास झोपड़ियों में करते थे। परंतु, इतनी बुरी हालत होने के बावजूद भी 1980 के बीच के समय में यह देश इन सबको पीछे छोड़ कर एक नया रिकॉर्ड बनाते हुए उभरकर आया। उसने साबित कर दिया कि सिंगापुर के लोग किसी से भी कम नहीं है।
बड़ी इमारतों को खड़ा करने का सही समय
जिस काम के लिए हमारा देश आज भी आगे नहीं बढ़ पा रहा है। उस काम को उन्होंने कर दिखाया था। वहां के पूर्व प्रधानमंत्री ली कुआन ने पहले ही देश की आबादी के ऊपर रोक लगा दी थी। उनका मानना यह था कि अगर वह तरक्की करना चाहते हैं। तो उनको दो बच्चों तक ही देश की जनता को सीमित करना होगा, तभी कुछ हो सकता है। इसके अलावा उन्होंने बड़ी-बड़ी सड़कों और ब्रिजों का निर्माण करवाना शुरू कर दिया था। अगर बात करें भ्रष्टाचार की तो सिंगापुर भ्रष्टाचार के मामले में भी बहुत ही कम है। इसका कारण सिर्फ और सिर्फ वहां का कड़ा कानून है, जो की सरकार ने लोगों के ऊपर लगा रखा है। इसी वजह से उनकी हिम्मत भी नहीं होती है कि वह ऐसे गलत काम करें।
सिंगापुर की एक नई पहचान
जब यह देश अपनी तरक्की पर था, उस समय सरकार ने एक बहुत ही उम्दा कदम उठाते हुए जनता की पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान दिया था। उन्होंने पहले ही दो बच्चों पर परिवार को सीमित कर दिया था। वहीं दूसरी तरफ इतना महत्वपूर्ण कदम उठाकर उन्होंने देश कि तरक्की की राह पर एक बड़ा कदम रखा था। उनका यह मानना था कि अगर वह देश तरक्की छू सकता है, तो सिर्फ और सिर्फ उसकी पढ़ी-लिखी जनता की मदद से ही । यही कारण है कि सिर्फ देश भर मे ही नहीं। बल्कि उनकी सेवाएं, उनकी इमारतें और उनके काम करने के तरीके पूरी दुनिया भर में मशहूर है। hairy women
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