आज हम श्रृंगेरी का शारदंबा मंदिर के निर्माण और इस मंदिर से जुड़ी जानकारी के बारे में चर्चा करेंगे। वैसे यह मंदिर कर्नाटक के चिकमंगलूर जिले में तुंगा नदी के किनारे स्थित है। हिंदू धर्म के लिए आस्था का घर कहे जाने वाले शारदंबा मंदिर लगभग 1100 साल पुराना है। इस मंदिर का निर्माण आदि शंकराचार्य द्वारा 8 वीं शताब्दी में बनाया गया था। इस मंदिर की ख़ास बात यह है कि जब आदि शंकराचार्य ने इस मंदिर में देवी – देवताओं की स्थापना की थी, तब इस मंदिर में चंदन की लकड़ी से बनी मूर्ति को स्थापित किया गया था। लेकिन चौदहवीं शताब्दी में चंदन की मूर्ति की जगह पर सोने की मूर्ति से इसे बदल दिया गया। साथ ही इस मंदिर में भगवान शिव का शिवलिंग भी स्थापित है।
हमेशा से हिंदू धर्म के लिए प्रेरणा का स्रोत रहा यह मंदिर बहुत ही खूबसूरत और भव्य हैं। हजारों की संख्या में श्रद्धालु अपनी आस्था लेकर इस मंदिर पर पधारते हैं। इस मंदिर में मां शारदंबा देवी विराजमान है। खासकर बसंत पंचमी के दिन यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ लगती है, क्योंकि वसंत पंचमी को यहां विशेष पर्व के रूप में मनाया जाता है।
ऐसी मान्यता है कि मां शारदंबा, मां सरस्वती का ही अवतार है। बताया जाता है कि मां शारदंबा की पूजा करने से ब्रह्मा, विष्णु, महेश, पार्वती और समस्त देवी देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है। बताया जाता है कि शंकराचार्य श्रृंगेरी इस स्थान पर घोर तपस्या करके देवी देवताओं से आशीर्वाद प्राप्त किया था। अगर आप आस्था में विश्वास रखते हैं तो जरूर कर्नाटक में स्थित मां शारदंबा के इस मंदिर का दर्शन कर देवी देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।
हिंदू धर्म में लोग अपने भगवान, देवी-देवताओं की पूजा करने के लिए देश के हर कोने-कोने में जाते हैं। हिंदू धर्म में देवी देवताओं में आस्था रखने वाले लोग अपने भगवान के दर्शन प्राप्त के लिए उनके दरबार तक जाते हैं खासकर ऐसा सभी धर्मों में होता है लेकिन हिंदू धर्म में पूजा-पाठ, मंत्र-जाप का जो विधान है, वह आपको ईश्वर से मिलाता है। मां शरदांबा से आशीर्वाद के रूप में पढ़ने लिखने वाले बच्चे विद्या संस्कार और बुद्धि का वरदान मांगते हैं । इस मंदिर के दर्शन करने जब आप जाएंगे तो यहां पर पूजा करने का जो विधि – विधान है, वह एकदम अलग है। आपके लिए यह एक नया अनुभव होगा अगर आप मां शारदंबा के इस मंदिर का दर्शन करना चाहते हैं।