हम रोज सुबह जब कॉलेज या ऑफिस जाते हैं और लोगों से मिलते हैं तो अक्सर हम उनसे हाथ मिलाया करते थे । जी हां मिलाया करते थे। लेकिन अब यह हाथ मिलाकर अभिवादन करने का सिलसिला कोरोना के इस काल में खत्म हो गया है। कब शुरू होगा? शायद जब कोरोनावायरस का खात्मा होगा तभी हाथ मिलाने का सिलसिला शुरू हो सकता है। लेकिन क्या आपको पता है दुनिया में पहली बार हाथ कब और किस लिए हाथ मिलाया गया?
जाहिर है महामारी कोविड-19 ने इस प्रश्न को आपके मन में जरूर उठाया होगा की हैंडशेक यानी हाथ मिलाने की शुरुआत कब और किसने की, क्यों कि तरह-तरह के प्रश्न आपके मन में उठ रहे होंगे। चलिए आज आपको इतिहास की सैर कराते हैं। चलिए आज इतिहास के उन पन्नों को खोलते हैं, जिन पन्नों में हैंडशेक यानी हाथ मिलाने का इतिहास दर्ज है।
नमस्ते भारत!
हैंडशेक यानी एक दूसरे से हाथ मिलाने का चलन है, (इस महामारी के दौर के लिए कह ले जो हाथ मिलाने का चलन था) वह लगभग हज़ारों साल पुराना है। लेकिन कोरोना वायरस ने इसे एक झटके में खत्म कर दिया है। हालंकि पूरी दुनिया इस समय भारत के पथ पर ही चल रही है। हमारे हिंदुस्तान में हम हाथ मिलाने की बजाय नमस्ते करते हैं। आज भारत की नमस्ते वाली संस्कृति को पूरा विश्व सराह रहा है।
जो हाथ मिलाने का सिल – सिला रहा है। उसके इतिहास को लेकर अस्पष्टताएं हैं। इतिहास लिखने वाले इतिहासकारों ने अपने – अपने अध्ययन और शोध के अनुसार कई अलग – अलग थ्योरी दी हैं। हिस्ट्री डॉट कॉम के मुताबिक अगर हैंडशेक की बात की जाए तो हैंडशेक शांति का इरादा जताने के मकसद से शुरू हुआ था। अपना राइट हैंड (दाहिना हाथ) इस लिए मिलाते हैं ताकि यह जाहिर हो सके कि सामने वाले बन्दे के पास कोई हथियार तो नहीं है। हिस्ट्री डॉट कॉम के मुताबिक हैंडशेक के पीछे की वजह यही है।
हिस्ट्री डॉट कॉम के इतर दूसरी थ्योरी कहती है कि हैंडशेक का सिलसिला वचनबद्धता या संकल्प जैसे इरादों को ज़ाहिर करने के लिहाज़ से शुरू हुआ होगा। यानी दो लोगों के बीच मजबूत सम्बन्ध को दर्शाना। जाने माने इतिहासकार वॉल्टर बकर्ट कहते हैं कि बिना बात के अगर किसी से किसी भी तरह का समझौता करना हो तो हैंडशेक करके जल्दी व स्पष्टता के साथ इस तरह से कोई समझौता ज़ाहिर हो सकता है।
शुरुआत! (प्राचीन इतिहास)
हिस्ट्री.कॉम के मुताबिक हैंडशेक यानी हाथ मिलाने की शुरुआत लगभग 9वीं सदी ईसा पूर्व ही हांथ मिलाने का सिल सिला शुरू हो चुका था। इसका सबूत एक नक्काशी यानी एक पत्थर की मूर्ति (जिसे गढ़ा गया हो) से मिलता है। इस मूर्ति में एसायरियन राजा और बेबीलोन के राजा को हाथ मिलाते हुए उकेरा गया है। इसके अलावा और भी कई ऐसी रचनाएं हैं जो दर्शाती हैं कि हैंडशेक की शुरुआत 9वीं सदी ईसा पूर्व ही हो चुकी थी। वहीं पांचवीं और चौथी ईसा पूर्व की बात करें तो इस शताब्दी के समय के भी ऐसे कई कलाएं और चित्र हैं जिसमे हाथ मिलाने के प्रतीक मिलते हैं।
रोमन काल में तो मुद्राओं (सिक्कों में) में भी हाथ मिलाए जाने के प्रतीक चित्रित मिलते हैं। शुरुआती इतिहास में हैंडशेक मिलाने का कुछ इसी प्रकार ही चित्रण किया गया है।
आधुनिक इतिहास
आधुनिक युग के इतिहास की बात करें तो आधुनिक युग में हाथ मिलाने का इतिहास ज्यादा पुराना नहीं है। आधुनिक इतिहास की माने तो 17 वीं शताब्दी में लोग अभिवादन के लिए एक दूसरे से हाथ मिलाना ज्यादा उचित समझते थे। और 18 वीं शताब्दी तक आते आते तो हैंडशेक प्रचलित हो चुका था। इस समय तक तो बाकायदा गाइडलाइन्स और मैनुअल्स बनने लगे थे।
कोरोना काल में हैंडशेक का नया इतिहास
महामारी कोविड 19 नामक कोरोना वायरस के काल में हैंडशेक का सदियों पुराना चलन खतरे में दिख रहा है। अभी तो फ़िलहाल हर जगह नमस्ते ही चल रहा है (भारत की संस्कृति) । अब कब तक यह चलन फिर से शुरू होता है इसे लेकर अभी कुछ भी नहीं कहा जा सकता है। क्योंकि कोरोना का संक्रमण लगातार फैलता ही चला जा रहा है। विश्व के लिए कोरोना एक खतरे की घंटी बन चुका है। महाशक्ति अमेरिका भी इस वायरस के आगे हार मान चुका है। अभी तक इसकी वैक्सीन नहीं बनाई जा सकी है। लेकिन हमारे वैज्ञानिक रात- दिन इस महामारी की वैक्सीन बनाने में लगे हुए हैं।
इस महामारी से बचने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग ही सही उपाय है। सामाजिक दूरी रख के हम इस महामारी की चैन को तोड़ सकते हैं। इसीलिए महामारी के इस दौर में किसी से हाथ न मिलाएं, लोगों से दूरी बनाकर रखे, सुरक्षित रहें! उम्मीद है कि जल्द ही इस महामारी से निजाद पा लिया जायेगा। और एक फिर से हैंडशेक की प्रथा शुरू हो जाएगी।
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