हमारा ब्रह्मांड, हमारी कल्पना से कई गुना बड़ा है और इसमें आज भी इतनी चीजें हैं जो इंसानों के लिए आज भी एक बहुत बड़ा रहस्य है। यह अनेक पदार्थों से मिलकर बना है और इनमें से कुछ पदार्थ ऐसे भी हैं, जिनके बारे में वैज्ञानिक आज भी लगातार रिसर्च कर रहे हैं। ब्रह्मांड का 80% हिस्सा ऐसे पदार्थों से बना है जिसका वैज्ञानिक पता नहीं लगा पाए हैं और वह इसे “डार्क मैटर” कहते हैं।
अगर आपकी अंतरिक्ष और उससे जुड़े कई रहस्यो में दिलचस्पी है तो आपने डार्क मैटर का नाम अवश्य सुना होगा।
आज हम अपने इस आर्टिकल की मदद से इस डार्क मैटर के रहस्य के बारे में बात करेंगे।
डार्क मैटर
डार्क मैटर के बारे में वैज्ञानिक प्रमाणित रुप से अधिक कुछ नहीं जानते लेकिन कुछ शोधों में पता चला है कि यह हिस्सा उर्जा या रोशनी से बनने वाले प्रतिबिंब नहीं बनाता। परंतु, वैज्ञानिकों का यह कहना है कि तारों की गति से इनकी स्थिति का पता लगाया जा सकता है। कुछ अन्य रिसर्च में पता चला कि डार्क मैटर की मात्रा और वॉल्यूम दिखाई देने वाले ब्रह्मांड से कहीं ज्यादा है। सबसे पहले डार्क मैटर के बारे में प्रूफ देने वाले कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिक फीटज इव्हिस्की थे।
उन्होंने सबसे पहले डार्क मैटर शब्द का प्रयोग 1932 में किया था। 1930 के दशक में वैज्ञानिकों ने कहा था कि गैलेक्सी में खुद को बांधे रखने के लिए जितना मैटर चाहिए उसका केवल एक ही प्रतिशत उसके तारों में होता है और इसीलिए बाकी डार्क मैटर होना जरूरी है इस खोज से डार्क मैटर के बारे में लोगो को बताया और उस से जुड़े रिसर्च के लिए मार्ग उजागर किया ।
गैलेक्सी की खोज करते हुए वैज्ञानिकों को डार्क मैटर के बारे में पता चला परंतु शुरुआत में वह इसके बारे में जानकारी नहीं जुटा सके। इसके बाद येल यूनिवर्सिटी के कुछ वैज्ञानिकों ने ड्रैगनफ्लाई 44 नामक गैलेक्सी की खोज की जो पूरी तरह डार्क मैटर से भरी हुई थी। उन्हें यह पता चला कि जो दिखाई देता था, वह सतह पर केंद्रित था, लेकिन उसकी गति तारों के मुकाबले कई गुना तेज थी। इसके बाद वह वैज्ञानि निष्कर्ष पर पहुंचे कि गैलेक्सी में एक जगह पर ऐसा कोई पदार्थ है जो दिखाई नहीं देता और उसे ही डार्क मैटर नाम दिया।
1990 के दशक में जब विज्ञान के क्षेत्र में उन्नति होने लगी तो फिर से डार्क मैटर पर वैज्ञानिकों ने रिसर्च करना शुरू कर दिया। 90 के दशक के बाद वैज्ञानिकों ने यह देखा कि ब्रह्मांड फैल रहा, परंतु जब इसका फैलना रुकेगा, तब इसके घनत्व के कारण इसका सिकुड़ना शुरू हो जाएगा।
21वीं सदी में आधुनिक उपकरणों के साथ डार्क मैटर की पहचान करना वैज्ञानिकों के लिए बहुत ही आसान हो गया। परंतु यह सभी रिसर्च के बावजूद वैज्ञानिक आज तक डार्क मैटर का रहस्य नहीं जान सके। वैज्ञानिक बस इतना जानते हैं की डार्क मैटर गैलेक्सी और उसमें मौजूद सभी वस्तु को जोड़े रखने का काम करता है।
भविष्य और डार्क मैटर
जिस तेजी और आधुनिकता से आज का विज्ञान तरक्की कर रहा है, इस बात में कोई संदेश नहीं है कि वैज्ञानिक जल्द ही डार्क मैटर का रहस्य सुलझा लेंगे। वैज्ञानिक यह जान पाएंगे कि डार्क मैटर क्या है और इसने कैसे पूरे ब्रह्मांड को कवर कर रखा है। वह यह भी जान पाएंगे कि डार्क मैटर काला होने के साथ-साथ अदृश्य क्यो है, और उसमें एनर्जी कहां से आती है और अगर उसमें ऊर्जा है तो वह अपनी ऊर्जा रिफ्लेक्ट क्यों नहीं करता? इन सभी सवालों के जवाब तभी मिल पाएंगे पर तब तक के लिए हमें मौजूदा रिसर्च को ही आगे बढ़ाना होगा। बहुत से वैज्ञानिक डार्क मैटर पर अपनी-अपनी थ्योरीज देते है। परंतु बिना प्रमाण के किसी भी थ्योरी की पुष्टि करना सही नहीं है और तब के लिए डार्क मैटर एक सवाल बनकर ही रह जाएगा।
आशा करती हूं कि आर्टिकल आपको पसंद आया होगा। अपनी राय कमेंट सेक्शन में जरूर बताएं और K4 Feed के साथ जुड़े रहे और इस आर्टिकल को शेयर करना ना भूले। займ онлайн