कोरोना वायरस से जंग जीतने मे हमें सिर्फ एक हीं चीज रोक रही हैं, वह हैं अलग अलग देशों की जनता। लोगो की संख्या इतनी ज़्यादा हैं कि हर किसी तक पहुंच कर उसका टेस्ट करना असंभव हैं। लेकिन फिर भी हमारे देश के डॉक्टरों नें हार नहीं मानी हैं। वह दिन-रात एक करके मरीजों की सेवा कर रहे हैं। यहाँ तक की हर देश की सरकारे और पुलिस वाले भी इन सब कार्यों मे ज़्यादा से ज़्यादा सहायता करने की कोशिश कर रहे हैं।
क्यों नहीं हैं कोरोना से लड़ना आसान?
जनसंख्या सिर्फ हमारे देश के लिए हीं नहीं बल्कि हर देश के लिए एक बहुत बड़ी जंग है। इस वजह से ना केवल अस्पताल बल्कि अस्पतालों से पहुंचाई गयी सेवाएं भी कम पड़ती जा रही हैं। यह एक ऐसी समस्या हैं जिसका कोई समाधान भी नहीं हैं। क्योकि, अगर हम बाहर से सुविधाएं (medical kit) मंगवाने की कोशिश भी करते हैं, तो उनका यहाँ तक समय पर पहुंचना असंभव हैं। अगर एक बार को मान भी लिया जाए कि वह यहाँ तक पहुंच सकती हैं, तो हर कोई इंसान उसको इस्तेमाल करने के लिए सक्षम नहीं हैं।
जाँच करने की तकनीक
बहुत लोगो को ऐसा लगता होगा की इसकी जाँच करना बहुत आसान हैं। परन्तु, ऐसा नहीं हैं इसके लिए बहुत सारे जतन करने पड़ते हैं। तब जाकर एक टेस्ट सही से हो पता हैं। अगर हम उसे करने के तरीके को आसान भाषा मे समझना चाहे तो वह कुछ इस प्रकार होगा-
- सबसे पहले संक्रमित इंसान के लक्षण देखे जाते हैं जैसे बुखार, खांसी इत्यादि।
- फिर उसका सैंपल उसकी नाक द्वारा लिया जाता हैं।
- नाक से सैंपल इक्कठा करने के बाद उसमे कुछ केमिकल मिलाये जाते हैं। इसमें वायरस की ऊपरी परत हट जाती हैं।
- फिर इस सैंपल की पीसीआर मशीन के द्वारा जाँच की जाती हैं। यह सबसे लम्बा प्रोसेस होता हैं।

सबसे पहले जो सैंपल तैयार हुआ होता हैं। उसमें से राइबो नुक्लेइक एसिड (RNA) निकाल कर एक दूसरी साफ कांच के प्लेट पर रखते हैं। फिर उसमे कुछ केमिकल का इस्तेमाल किया जाता हैं। जिससे की उसके जीनोम का पता चल सके । अगर सब कुछ सही होता हैं तो उसको पीसीआर मशीन मे डाल देते हैं। इसमें वह लाखो टुकड़ो मे टूट जाता हैं। फिर उसमे ढूंढा जाता है की वायरस हैं या नही।
मेडिकल किट
अगर हम मेडिकल किट पर ध्यान दे तो, हर कंपनी अपनी अलग मेडिकल किट बनती हैं। साथ हीं साथ वह अपने हिसाब से 20 अलग केमिकल भी इस्तेमाल करती हैं। इसीलिए यह बात बहुत ज़रूरी होती हैं कि एक किट मे एक हीं कंपनी के औज़ारों का इस्तेमाल किया जाए। अगर ऐसा नहीं होता हैं तो इंसान की जान को भी खतरा हो सकता हैं।
कभी कभी इस बीमारी के लक्षण भी साफ समझ मे नहीं आते। ऐसे मे अपनी जान से खेलना बहुत हीं ज़्यादा बेवकूफी हैं। हर कहीं पर सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। अगर हैं भी तो वहां जाना बिलकुल भी सुरक्षित नहीं हैं। क्योकि अगर आप वहां जाते हैं तो आप संक्रमण की चपेट मे आ सकते हैं। इसीलिए अपने परिवार के साथ घर पर रहिए। खुद भी सुरक्षित रहिए और उनकी भी रक्षा करिये। buy over the counter medicines
It’s really a lengthy process. Good report. Thanks to sender.