रायबरेली मे रहने वाले लेमनमैन ऑफ इंडिया आनंद मिश्रा की कहानी

हमारे देश की लगभग 70 लोग किसान हैं, जो खेतों से जुड़े है और फसलें उगा रहें हैं। वह हमारे लिए भगवान से कम नहीं हैं। हमारे लिए वह कड़ी से कड़ी मेहनत करके अनाज उगाते हैं। चाहे वह गर्मी हो या सर्दी हर मौसम मे बिना हार माने काम करते हैं। अगर वह इन सब कामों से मुँह मोड़ ले तो पता नहीं पूरे विश्व का क्या होगा। साल भर वह एक क्षण भी बिना रुके अपना सब कुछ त्याग कर मेहनत करते हैं। आज हम आपके सामने ऐसी हीं एक किसान की कहानी लेकर आए हैं। जिन्होंने खेती के माध्यम से एक बहुत बड़ा अविष्कार कर दिखाया हैं।

लेमनमैन ऑफ़ इंडिया

हम बात कर रहे हैं रायबरेली के एक छोटे से गांव कचनावां मे रहने वाले किसान आनंद मिश्रा जी की। उन्होंने अपनी नीम्बू की खेती से खाली उत्तर प्रदेश मे हीं नहीं। बल्कि पूरे भारत मे अपना नाम रोशन कर दिया हैं। आज हर क्षेत्र का किसान उनके नाम से परिचित हैं। उन्होंने एक ऐसी तकनीक की खोज की हैं, जिससे की हर किसान को फायदा होगा हीं होगा। इसी वजह से आज उत्तर प्रदेश के ज़्यादातर किसान उनसे मदद लेने के लिए संपर्क कर रहे हैं।और आज की दिनांक तक 60 किसान उनसे संपर्क बना चुके हैं।

क्या तकनीक बताई उन्होंने?

उनके हिसाब से नीम्बू की खेती हर किसान के लिए बहुत ज़रूरी हैं। उसको एक बार हीं सही पर नीम्बू की खेती तो करके देखना हीं चाहिये। उन्होंने साथ मे यह भी बताया कि हर किसान को कम से कम 3 बीघा नीम्बू उगा कर ज़रूर देखना चाहिए। लेकिन आपको बतादे कि एक समय पर वह भी अन्य किसानो की हीं तरह, अनाज की खेती किया करते थे। फिर उन्होंने बागवानी की तरफ एक कदम रखने की सोची। और इस प्रयास मे वह सफल हो गए।

थाईलैंड वाले नीम्बू की खेती

इस प्रजाति के नीम्बू के पेड़ का बहुत फायदा होता हैं। असल मे इस पेड़ की एक खासियत हैं। वो यह हैं कि यह जितना पुराना होता जाता हैं, उतनी हीं इसका उत्पादन भी बढ़ता जाता हैं। इसी फायदे का लाभ उठाने के लिए उन्होंने इसको अपनाया था। उन्होंने पहले कुछ पेड़ो से शुरुआत की थी। आज कम से कम उनके पास 900 पेड़ तो होंगे हीं। आज के समय मे उन्हें नीम्बू का एक पेड़ कम से कम 50 किलो तक का उत्पादन देता हैं। और जैसा हमने आपको पहले हीं बताया था कि पुराने होने के साथ-साथ इस पेड़ का उत्पादन भी बढ़ता जाता हैं। तो इस समय जो भी पेड़ उनके पास पुराने होंगे, वह उन्हें तकरीबन 100 से 150 किलो तक नीम्बू देते होंगे। कुछ समय बाद जब यही पेड़ दस साल तक पुराने हो जाएंगे, तो यह लगभग 300 किलो नीम्बू का उत्पादन करनें लगेंगे।

खाली नीम्बू हीं क्यों चुना??

हमने उनसे इस सवाल का उत्तर जानने का इसीलिए प्रयत्न किया क्योकि वह और भी किसी फल या सब्जी को चुन सकते थे। उन्होंने सिर्फ यही क्यों चुना?। तो उन्होंने इस बात का बहुत उम्दा जवाब दिया। इसका कारण उन्होंने यह बताया कि वह एक ऐसी पेड़ कि खेती करना चाहते थे,जिससे कि उन्हें अधिक से अधिक फायदा हो सके। उन्होंने ये भी बताया कि साल भर नीम्बू कि मांग रहती हैं। नीम्बू का दाम कभी भी नहीं गिरता और ज़्यादा से ज़्यादा 80 या 120 रुपये किलो के हीं बीच मे रहता हैं। एक पेड़ से ज़्यादा से ज़्यादा फायदा भी मिलता हैं और इसको लम्बे समय तक संभाला भी जा सकता हैं। इससे उनकी एक पक्की आमदनी बन जाती हैं। जो कि हर किसान का सपना होता हैं।

नीम्बू जैसी प्रजाति वाले फलो को भी फायदा

उन्होंने यह भी बताया कि इस तकनीक को अपनाकर नीम्बू वाली प्रजाति यानि संतरा,मौसमी इत्यादि जैसे पेड़ो का भी उत्पादन बढ़ाया जा सकता हैं। आज हर देश मे इस प्रजाति कि बहुत हीं ज़्यादा मांग हैं क्योकि यह पोषण से भरी होती हैं। इसके साथ हीं यह इंसान के शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी अति आवश्यक हैं। इसी वजह से वह इस काम के लिए पूरे देश भर मे मशहूर हो चुके हैं। और आज हर किसान उनसे मिलना चाहता हैं। और उनकी इस तकनीक को अपनी खेती के तरीके मे अपनाना चाहता हैं।

35 साल तक का फायदा

अगर किसान इसकी फसल को संभालने मे समर्थ रहता हैं। तो उसको कम से कम 35 साल तक का फायदा हो सकता हैं। परन्तु, इसके लिए उसको इस बात का ध्यान रखना होगा कि वह उन पौधों को अच्छे से गोबर वाली खाद के साथ पोशण पहुँचाये, कीड़े मकोड़े का भी ध्यान रखे और समय समय पर पानी से सींचते रहे। तभी यह फसल उतने सालो तक सही से टिक पाएगी। हालांकि, यह हर किसान के बस मे तो नहीं हैं। परन्तु, जो उतने सामर्थ है यानि जिसके पास उतनी ज़मीन हैं। वह इसको आराम से अपना सकते हैं और इसका फायदा उठा सकते है। इससे एक इंसान के साल भर का खर्चा आराम से निकला जा सकता हैं। इसी वजह से यह बहुत लोकप्रिय भी हैं।

किसानो के लिए सलाह

अंत मे जनता तक वह सिर्फ यही सीख पहुंचना चाहते है कि जितना हो सके उतना आप इसको केमिकल से बचाए। क्योकि जितना केमिकल आप इस्तेमाल करेंगे उतनी हीं ज़्यादा आपकी ज़मीन और आपके अनाज या किसी भी अन्य उगाई हुई वस्तु को हानि पहुंचेगी। वह सिर्फ यह नहीं कहते कि आप नीम्बू हीं नीम्बू उगाए।उदहारण के लिए अगर आपके पास 4 बीघा ज़मीन हैं। तो उसमे से 3 बीघा पर नीम्बू उगाये और बाकी बची हुई ज़मीन पर अन्य किसी भी अनाज को उगा ले। इसके अलावा उसमें वर्मीकम्पोस्ट वाली खाद का इस्तेमाल करें। अगर कोई दिक्कत भी होती हैं तो उसके लिए वह किसानो के साथ हमेशा खड़े रहते हैं। वह उनको काम करने का तरीका भी समझाते हैं।

आज भारत मे ऐसी हीं किसानो की बहुत ज़्यादा जरुरत हैं जो और किसानो को रास्ता दिखाए, उनको समझाये, और हमेशा उनकी मदद करें। क्योकि जब तक पूरा देश ऐसी हीं एक जुट होकर एक दूसरे की मदद करने के लिए खड़ा हैं। तब तक उसे कोई भी नहीं हरा सकता। किसी फसल का भी नाश नहीं हो सकता और इसी कारण से किसान आए दिन अपनी जान देना भी कम कर देंगे। займ онлайн


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