आज के परिदृश्य में रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग से भूमि जीवांश कार्बन का स्तर लगातार कम होता जा रहा है। साथ ही ऐसे सूक्ष्म जीव जो कृषि के लिए उपयोगी माने जाते है, रासायनिक कीटनाशकों के कारण नष्ट होते जा रहे हैं। यही नहीं इन रासायनिक खादों एवं कीटनाशकों के कारण उत्पादन लागत भी अधिक लगता है। अपेक्षाकृत उपज भी अब उतनी अच्छी नहीं मिलती है। और हमारे किसान भाई दिन-प्रतिदिन कृषि क़र्ज़ के जाल में फंसते चले जा रहे हैं। रसायनों का निर्माण करने वाली कंपनियां अलग-अलग तरह के जहर कृषि के लिए आवश्यक पोषक तत्व का टैग चिपकाकर मार्केटिंग कर रही हैं। किसान भाई इन मुनाफाखोर कंपनियों के चंगुल में फंसकर अपने मेहनत की गाढ़ी कमाई को इन्हे सौंप देते हैं।
इन सबसे बचने का एक आसान सा उपाय है कि किसान जैविक खेती कि ओर लौटे। और अपने खेतों में भी जैविक खादों एवं कीटनाशकों का उपयोग करे। इससे न सिर्फ उत्पादन लागत में कमी आएगी बल्कि उपज भी अधिक होगी। मृदा की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी। साथ ही उपज भी जहरीले रसायनों से मुक्त होगी।
क्या है वर्मी कम्पोस्ट खाद
बात जब जैविक खादों की हो तो पहला नाम है वर्मी कम्पोस्ट का। क्योंकि इसे बनाने की विधि काफी सरल है। और बाकि खादों की तुलना में इसकी गुणवत्ता भी काफी अच्छी है। किसान भाई इसे अपने घर पर ही बना सकते हैं। यह खाद केंचुए से तैयार की जाती है।
केंचुए गोबर, घास-फूस, पत्तियां, इत्यादि जैव अपघट्य पदार्थों को खाकर मल द्वारा एक चायपत्ती जैसा काले-भूरे रंग का पदार्थ उत्सर्जित करते हैं। इसे ही वर्मी कम्पोस्ट खाद कहते हैं।
वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाने की विधि
वैसे तो खाद बनाने की कई विधियां प्रचलित हैं किन्तु वर्मी कम्पोस्ट विधि अधिक प्रचलन में है। इस विधि में खाद अपेक्षाकृत कम समय में बनकर तैयार हो जाती है। इसकी गुणवत्ता भी अच्छी होती है। साथ ही इस विधि से बनायीं गयी खाद का भण्डारण काफी सुगमता से किया जा सकता है।
सही केंचुए का चुनाव
भारत में केंचुओं की 500 से भी अधिक प्रजातियां पायी जाती हैं। परन्तु सभी केंचुए खाद बनाने के लिए उपयुक्त नहीं होते हैं। इसलिए वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाने के लिए ऐसे केंचुए का चुनाव करना चाहिए जो 90 प्रतिशत कर्बनिक पदार्थ और 10 प्रतिशत मिटटी खता हो। इन केंचुओं की लम्बाई 4-5 इंच होती है। ये केंचुए भूमि में केवल सवा से डेढ़ फ़ीट ही सुरंग बनाते हैं। इसलिए इन्हे सतही केंचुए कहा जाता है।
केंचुआ खाद में जाल में घुलनशील पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। जो पौधों द्वारा आसानी से अवशोषित कर लिए जाते हैं। यह उन्नत किस्म की जैविक खाद मृदा अनुकूलक है। केंचुए मिटटी में सूक्ष्म जीवों की मात्रा को बढ़ा देते हैं।
खाद बनाने के लिए सही स्थान का चुनाव
केंचुए प्रकाश के प्रति संवेदनशील होते हैं। जैसे ही इनके शरीर पर प्रकाश पड़ता है ये जमीन के अंदर चले जाते हैं। वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाने के लिए छायादार एवं नम स्थान की आवश्यकता होती है। नम वातावरण में केंचुओं की वृद्धि अधिक होती है। और ये अधिक क्रियाशील हो जाते हैं। साथ ही उचित जल निकास का भी प्रबंध होना चाहिए।
आवश्यक सामग्री
वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाने के लिए हमें निम्नलिखित वस्तुओं की आवश्यकता पड़ती है-
- प्लास्टिक की शीट
- पांच से सात दिन पुराना गोबर
- फसलों, सब्जियों आदि के अवशेष
- नीम के पत्ते
- खेत की मिटटी
- साफ पानी
बनाने की विधि
- सबसे पहले प्लास्टिक की शीट को लेकर उसे जमीन पर बिछाएं।
- प्लास्टिक की शीट इसलिए बिछाते हैं ताकि पानी डालने पर पोषक तत्व बहकर नीचे न चले जाएँ।
- अब सर्वप्रथम इसके ऊपर फसलों के अवशेष की एक चार इंच मोटी परत बिछाएंगे।
- इसके बाद पानी का छिड़काव करेंगे।
- अब इसके ऊपर नीम की पत्तियां डालकर फैला दें।
- गोबर और मिटटी को मिला लें और इसकी भी एक चार इंच मोटी परत बिछा दें और इसके ऊपर पानी छिड़क दें।
- अब केंचुओं को ऊपर से छोड़ दें। और समान रूप से सब तरफ बिखेर दें।
- केंचुआ 28-32 डिग्री का तापक्रम और तकरीबन 50-60% नमी वाले वातावरण में अधिक क्रियाशील होता है।
- अब हम वापस गोबर की एक परत लगाएंगे जो 4-5 इंच मोटी होगी।
- अब पुनः इसके ऊपर हल्का-हल्का पानी का छिड़काव करेंगे।
- मुर्गी, चूहे, नेवला, मेढक, लाल चींटी, सांप, गिरगिट आदि केंचुए के प्राकृतिक दुश्मन हैं। अतः केंचुओं को इनसे बचाकर रखें।
- अंत में बचे हुए नीम के पत्तों, फसलों एवं सब्जियों इत्यादि के अवशेष को चार इंच की मोटाई में इसके ऊपर फैला दें। पर ध्यान रखें कि पूरे बेड की ऊंचाई सवा डेढ़ फ़ीट से अधिक नहीं होनी चाहिए।
बेड में नमी बनाये रखने के लिए प्रतिदिन सर्दियों में एक बार तथा गर्मियों में दो बार पानी का छिड़काव करते रहें। तकरीबन 40-50 दिनों के अंदर केंचुए गोबर तथा अन्य कार्बनिक पदार्थों को खाद में बदल देंगे।
जब यह चायपत्ती के समान नज़र आने लगे तो दो-तीन दिन तक इसमें पानी का छिड़काव बंद कर देना चाहिए। इसके बाद किसी खुली जगह में जहाँ सूर्य की रौशनी आ रही हो वहां इसका ढेर लगा दें। जैसे-जैसे ढेर सूखेगा केंचुए तली में चले जायेंगे। फिर आप ऊपर से वर्मी कम्पोस्ट खाद को अलग लें। और इस प्रकार वर्मी कम्पोस्ट खाद बनकर तैयार हो जाती है।
खाद का संग्रह करना
खाद का भंडारण करने के लिए सर्वप्रथम ढेर में ऊपर से धीरे-धीरे खाद को अलग करें। ध्यान रहे कि खाद को अलग करने के लिए गैंती कुदाली खुरपी इत्यादि का उपयोग न करें। बल्कि हाथ से ही खाद को अलग करें। निचली परत जिसमे केंचुए हैं उसे अलग करके नए बेड में डालने के लिए रख लें। बाहर निकाली गयी केंचुआ खाद को छानकर बोरियों में भरकर किसी छायादार स्थान पर रख दें।
केंचुआ खाद के गुण
वर्मी कम्पोस्ट विधि से बनायीं गयी इस खाद में पारम्परिक सड़ी हुई गोबर की खाद की तुलना में पांच गुना नाइट्रोजन छह गुना फास्फोरस और चार गुना पोटाश होता है। जिस जगह पर 10 टन सड़ी हुई गोबर की खाद की आवश्यकता होती है, उस जगह वर्मी कम्पोस्ट खाद की तीन टन मात्रा पर्याप्त होती है। आप इस वर्मी कम्पोस्ट खाद का फल-फूल और सब्जी वाली फसलों के साथ-साथ अनाज वाली वाली फसलों में भी उपयोग में लाया जा सकता है।
इसके अलावा कुछ अन्य रासायनिक गुण इस प्रकार हैं-
- नाइट्रोजन – 0.50-10%
- फास्फोरस – 015-0.56%
- पोटैशियम – 0.06-0.30%
- कैल्सियम – 2.0-4..0%
- सोडियम – 0.02%
- मैग्नीशियम – 0.46%
- आयरन – 7563 PPM
- जिंक – 278 PPM
- मैंगनीज़ – 475 PPM
- कॉपर – 27 PPM
- बोरोन – 34 PPM
- एल्युमीनियम – 7012 PPM
खेत में केंचुए के खाद की प्रयोग विधि
- फसल लगाने से पूर्व 2.5-3.0 टन प्रति हेक्टेयर की दर से केंचुए की खाद को मिटटी में मिलाना चाहिए।
- यदि खाद को बगीचे में डालना है तो 1.0-10.0 किलो प्रति पेड़ उसकी अवस्था के अनुसार डालना चाहिए।
- फूल वाली फसलों के लिए 50-100 ग्राम खाद प्रति वर्ग फ़ीट की दर से डालना चाहिए।
- अगर आप किचन गार्डनिंग करते हैं तो 100 ग्राम केंचुआ खाद प्रति गमले के लिए पर्याप्त होगी।
- सब्जी वाली फसलों के लिए वर्मी कम्पोस्ट खाद 5-8 टन प्रति हेक्टेयर के हिसाब से डाली जा सकती है।