जिस सख्स ने व्हीलचेयर पर बैठकर ही बना दिया कोटा को 'कोचिंग सिटी'

अगर आप या आपके परिवार से कोई, आपका दोस्त, पड़ोसी या कोई रिश्तेदार इंजीनियरिंग करना चाहता है तो निशचित ही आपको व विधार्थी से संबंधित सम्पूर्ण लोगो को आई आई टी के बारे में जानकारी जरूर होगी और आई आई टी की तैयारी कराने वाली कोचिंग की जानकारी भी। कुछ कोचिंग संस्थान का नाम तो इतना विश्वसनीय है कि छात्र का कोचिंग संस्थान में एडमिशन होने भर से ही उसका आई आई टी में प्रवेश कंफर्म माना जाता है। इन्ही कोचिंग संस्थानों में से एक है “बंसल क्लासेज” । यहां से प्रति वर्ष आई आई टी में टॉप 10 रैंक पाने वालो में से विधार्थी जरूर होते हैं।

इस अग्रणी संस्थान की नींव डाली थी “विनोद बंसल जी ने” सन् 1981  में राजस्थान के शहर कोटा में। आज कोटा, भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी इंजीनियरिंग और मेडिकल कोचिंग के लिए मशहूर है। कोटा का नाम सुनते ही केवल एक ही बात दिमाग में आती है- इंजीनियरिंग और मेडिकल कोंचिग स्थान। तो आईए बंसल क्लासेज के संस्थापक विनोद बंसल जी की एजुकेशन बिज़नेस स्टोरी के बारे में विस्तार से जानते हैं।

बंसल जी का जन्म उत्तर प्रदेश के झांसी जिले में सन् 1949 ई. में हुआ था। इनके पिताजी की सरकारी नौकरी थी। 1954 में इनके पिताजी का उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में ट्रासंफर हो गया। यहां घर से 1 किलोमीटर दूर श्री दुर्गो गीता विधालय पाठशाला में इनका एडमीशन हुआ।  उस समय बंसल जी के घर बिजली नहीं थी इसलिए बंसल जी मीट्टी के तेल की लालटेन की रोशनी में पढ़ते थे। लालटेन के धुंए से बंसल जी को बड़ी दिक्कत होती थी।

अत: एक दिन अपने पिताजी को पूछा कि हमारे घर बिजली क्यो नहीं है?, पड़ोस वालों के घर पर तो है। पिताजी ने बंसल जी को बड़ी ही होशियारी के साथ मोटीवेट करने के लिए कहा- “तुम्हारी वजह से नहीं है। अगर तुम क्लास में टॉप आओ तो बिजली हमारे घर भी होगी।” बस बंसल जी को जुनून चढ़ गया कि अब तो बिजली होगी हमारे घर पर। इन्होने फिर हर क्लास में टाप किया, लगातार तीन बार टाप करने के बाद 372 रू की स्कोलरशिप मिली जो कि उस समय एक बड़ी राशी थी जिसकी सहायता से इनके घर पर बिजली लग गयी।

बंसल जी को पढ़ाई का जो जुनून शूरू से था, वह आज तक जारी है। इन्होने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (बी एच यू) से इंजीनियरिंग की। इंजीनियरिंग करने के बाद एक कैमीकल कम्पनी जे के सिनथेटिक्स में जॉब की।

सन् 1974 में मस्कुलर डिस्ट्रॉफी बीमारी से डायग्नोसिस हुये। इस  बीमारी में मसल्स कमजोर होने लगती है और व्यक्ति चलने में असमर्थ हो जाते हैं। न्योरोलोजिस्ट ने इन्हे भविष्य में इंडस्ट्रियल सेक्टर में काम कर पाने में  असमर्थ हो जाने के कारण, टीचिंग करने की सलाह दी। बंसल जी को बचपन से ही पढ़ने का शौक था और अब पढ़ाने का जुनून।

इन्होंने सन् 1981 में 1 बच्चे को पढ़ाना शुरू किया और कुछ समय बात स्टुडेंट्स की संख्या 25,000 तक पहुंच गयी। इन्होंने 1991 में बंसल कोचिंग की नींव डाली।

बंसल जी कहते है कि उन्होने बंसल कोचिंग को बिज़नेस की तरह नहीं देखा, इन्हे पढ़ाने में मोहब्बत है और इससे समय बड़ी ही आसानी से कट जाता है और ये मोहब्बत व जुनून बड़ी से बड़ी रूकावटों को रास्ते से हटाते गए। यही सकारात्मक सोच बंसल जी की बंसल क्लासेज की सफलता का मूलमंत्र है।

बंसल जी ने “बंसल कोचिंग” शुरू कर शिक्षा के क्षेत्र में एक नये प्लेटफार्म की शुरुआत की। आज बंसल कोचिंग की शाखा देश के हर शहर में है। आनलाइन टीचिंग की सुविधा जैसे कुछ इनीशिएटिव कोचिंग में समय के साथ उपलब्ध कराने के साथ जरुरी परिवर्तन भी किये। स्टूडेंट्स को अप टू डेट टीचिंग देने के लिए बंसल कोचिंग हर समय मेहनत में लगा रहता है।

अगर आप भी बंसल क्लासेज में पढ़ने की इच्छा रखते हैं तो आपको क्लासेज शुरू करने में एक क्षण भी नहीं गवाना चाहिए। लगातार मेहनत करते रहना ही सफलता की एकमात्र सीढ़ी है, परिस्थितियों से हारने की जगह डटकर इनका सामना कर, अपने लक्ष्य को पाना खुद बंसल जी और बंसल कोंचिग एक जीता जागता उदाहरण हैं। जैसे कि बंसल जी कहते हैं कि यह बिजनेस उन्होने पैसा कमाने की मंशा से नहीं बल्कि उनके पढ़ाने के जुनून और टीचिंग में मोहबब्त की वजह से किया। ये बात आप इस बात से भी समझ सकते है कि एक समय बंसल जी भारत में सबसे अधिक इनकम टैक्स भरने वाले व्यक्ति रहे। एक समय इन्होनें 40 करोड़ रूपये का टैक्स भरा और ये बात उन्हे खुशी देती है।

पैरालाइज्ड शरीर भी बिज़नेस में कोई रुकावट ना डाल सका क्योंकि सफल होने के लिए सबसे जरूरी दृढ़ शक्ति और लक्ष्य के प्रति समर्पण होना जरूरी होता है। अगर आप भी आपकी बिजनिस स्टोरी सफल बनाना चाहते हैं तो बंसल जी से सीख लेकर दृ संकल्प और लक्ष्य के प्रति समर्पित हो जाऐं, सफलता आपके कदम चूमेंगी।

कुछ विधार्थियों की पढ़ाई में पैसे के अभाव के कारण भी रुकावटें आती हैं, इस समस्या का समाधान भी बंसल क्लासेज ने किया है। बंसल क्लासेज ने 1.5 करोड़ तक की स्कोलरशिप की व्यवस्था की है। बंसल कोचिंग के स्टूडेंट्स ने सन 2000, 2002, 2007, 2008, 2015 में IITJEE में  आल इंडिया रैंक (AIR) 1 प्राप्त कर एक नया परचम स्थापित किया|

सफलता कदम चूमती है, जब आप अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित होतें हैं। बंसल जी अभी भी व्हीलचेयर से पढ़ा कर यही सीख देते है: काम के प्रति मोहब्बत और जूनून के आगे तो डिसेबिलिटी भी डिसेबल हो जाते है| पैसे की कोई बात ही नहीं थी और न है, बंसल जी द्वारा कही बात बिल्कुल सच है। अगर आप में पढ़ाई या बिजनेस या फिर कोई भी प्रोफेशन के लिए लगन है तो मुकाम तक पहुंचने के लिए पढ़ाई के लिए स्कोलरशिप और बिजनेस के लिए फंडिग जैसे कई रास्ते खुल जायेंगे। बंसल जी अपनी काम करते रहने की आदत से सभी स्टुडेंट्स और समाज के प्रति व्यक्ति को इंस्पायर करते हैं।

अगर आप बंसल जी से प्रभावित हुए और आपने अपने जीवन में किस तरह का बदलाव किया, कमेंट जरूर कीजिए। स्टुडेंट्स, टीचर्स और एडुकेशनलिस्ट्स का हौसला बढ़ाने के लिए अधिक से अधिक शेयर कीजिए। hairy girl


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One response to “जिस सख्स ने व्हीलचेयर पर बैठकर ही बना दिया कोटा को 'कोचिंग सिटी'”

  1. BHUPENDRA Avatar
    BHUPENDRA

    यह काफी प्रेरणादायक था ।

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