लाखों की नौकरी होने के बावजूद कर रहें है मनरेगा में दिहाड़ी मजदूरी

दिन पर दिन देश की हालत बिगड़ती जा रही है। जहाँ एक तरफ लाखों लोगों की मौत हो रही है। वही दूसरी तरफ लाखों लोग बेरोजगार भी हो रहे हैं। पैसे ना होने की वजह से अच्छे खासे परिवार सड़कों पर आ गए हैं। इस महामारी की वजह से देश की आर्थिक स्थिति भी नष्ट होती जा रही है। इसकी वजह से बड़े-बड़े दफ्तरों में काम करने वाले अफसर भी अपने घर में बैठे हैं।

लेकिन यह बात तो आप भी जानते हैं कि घर पर बैठने से घर कभी नहीं चल सकता। अगर इंसान को अपनी ज़िन्दगी काटनी हैं तो उसको पैसा कामना ही पड़ेगा। और आज इसी वजह से कुछ लोग मनरेगा के तहत मजदूरी करने के लिए मजबूर हो चुके हैं। भले ही उनको इस काम के लिये बहुत कम पैसे मिलते है। फिर भी वह इस कम को करने के लिए तैयार हैं।

एक वो भी समय था जब देश के युवा लाखों रुपए कमा रहे थे। एक आज का समय हैं जहाँ उनको दिहाड़ी पर मजदूरी करके अपना घर चलाना पड़ रहा है। इसी के उदहारण के लिए अब आप तेलंगाना शहर में रहने वाले दो युवा,पदमा और चिरंजीवी को ही देख लीजिये। वो भी इसी समस्या के साथ जूझ रहे हैं। जबकि एक ने बी ऐड कर रखा है और दूसरी प्राइमरी के बच्चों कों पढ़ाती थी।

जो हज़ारो रूपए कमाते थे, वो आज वह सिर्फ 300-400 रूपए में ही अपना गुजारा करने पर मजबूर हैं। उन्होंने मीडिया तक अपना सन्देश पहुंचाते हुए यह बताया कि काफी समय से वह कुछ कमा नहीं पा रहे थे। इसका कारण यह था कि उनको रोजगार मिलना बंद हो गया था। इसके चलते उनके पास घर चलाने के लिए भी पैसे नहीं थे। उनके ऊपर  अपने पूरे परिवार की ज़िम्मेदारी थी। काम करने के बाद उन्हें जो भी दिहाड़ी मिलती है, उससे वह अपने परिवार के लिए राशन-पानी की व्यवस्था कर लेते हैं। उसके अलावा वह कोई भी अन्य साधन का वहन नहीं कर पाते हैं।

यह तो रही एक आम आदमी की जिंदगी की बात। इसी प्रकार अन्य दफ्तरों पर भी ताला पड़ चुका हैं। अगर हम आई टी सेक्टर की बात करें, तो उसके उदहारण के लिए हम स्वप्ना की कहानी ले सकते हैं। उनकी आमदनी 1 महीने में ₹100000 थी। परंतु, जब से लॉकडाउन हुआ, तब से सबको काम मिलना बंद हो गया। उनकी नौकरी अभी शुरुआती दौर पर ही थी और इसी वजह से उन्होंने ज्यादा पैसे भी नहीं बचा रखे थे।

समय के साथ उनके पास पैसे कम होने लग गए थे और उनको डर लगने लग गया था कि कही सारे पैसे खत्म ना हो जाए। इस वजह से उन्होंने मनरेगा के तहत रोज़गार कमा कर अपने घर को चलाने की सोची। उनका मानना यह है कि वह उन पेसो पर ज्यादा दिन तक नहीं टिक सकती थी। वह चाहती थी कि उन पेसो को भविष्य में आपातकालीन समय के लिए बचाया जाए। ताकि अगर आगे ज़रुरत पड़े तो वह उनके काम आ सके।

Cover Photo: Indian Express

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