राजेश खन्ना ने फ़िल्मों से प्रसिद्ध होने के बाद सियासत में क़दम रखा। साल 1991 में एक ओर राम मंदिर प्रतिवाद चल रहा था और दूसरी ओर लोक सभा के चुनाव भी चल रहे थे और इसी वर्ष राजीव गांधी की हत्या हुई थी जिसके बाद कोंग्रेस को जनता की सहानुभूति भी मिल रही थी।
राजेश खन्ना दिल्ली की सीट के लिए खड़े हुए और स्वयं को राजीव गांधी का क़रीबी बता कर लोगों की सहानुभूति का पात्र बने । परंतु इनके विरूद्ध बीजेपी ने लालकृष्ण आडवाणी को खड़ा किया। नतीजा तय ही था क्योंकि लालकृष्ण आडवाणी बहुत पॉपुलर थे। वोट मे ज़्यादा अंतर नही था । राजेश खन्ना 1589 वोटों से हारे। इस तरह लालकृष्ण आडवाणी दिल्ली के चुनाव मे जीते पर क़िस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था।
लालकृष्ण गुजरात के चुनाव में भी अव्वल वोटों से जीते। इन्हें अब दो शहरो मे से किसी एक को चुनना था और इन्होंने गुजरात को चुना। ऐसा होने पर राजेश खन्ना को फिर एक मौक़ा मिला। चुनाव के इस समय राजेश की मुलाक़ात एक पुलिसकर्मी से हुई जो उसी जगह के डीसीपी थे जिसके सीट के लिए राजेश चुनाव के लिए खड़े हुए थे । जान पहचान से ये मित्र बने और राजेश यूँही इनके घर जा कर इनके परिवार से भी मिले।
कुछ हफ़्तों तक इनकी मित्रता ख़ूब जमी और इसके बीच राजेश दिल्ली के लिए फिर चुनाव मे खड़े हुए । इस बार बीजेपी ने भी एक मशहूर अभिनेता को इनके विरुध उतारा , वे थे शत्रुघ्न सिंहा । इनके मध्य मुक़ाबला एक दम टक्कर का था किंतु राजीव गांधी के मृत्यु पर सहानुभूति के कारण वे चुनाव जीत गए।
राजेश खन्ना के किताब “राजेश खन्ना: कुछ तो लोग कहेंगे” मे लेखक ने इनके और पुलिस अधिकारी के मित्रता पर भी लिखा। उनकी किताब मे केवल इनकी मित्रता पर ही नही बल्कि इनकी दुश्मनी के बारे मे भी लिखा है।
जी हाँ ! इनके हफ़्तों के मित्रता के बाद एक दिन राजेश ने इन्हें फ़ोन करके कहा की वे लाजपत नगर मे जिस बिल्डिंग को तोड रहे है उसे ना तोड़े क्योंकि वे बिल्डिंग इनके पहचान में ही किसी की थी। पर डीसीपी के जाँच के अनुसार वह बिल्डिंग गैर क़ानूनी थी और नियम के अनुसार उसका टूट जाना अनिवार्य था। जब उन्होंने राजेश को यह बताया तो उन्होंने इसे अपना अपमान समझा और डीसीपी को धमकी दी की इसका अंजाम बुरा होगा।
एक रात कुछ तीन बजे नशे मे होने के कारण राजेश ने कमिश्नर, मुकुंद कौशल (दिल्ली पुलिस) को फ़ोन किया और उनसे पूछा की दिल्ली से सबसे दूर और सबसे कठिन तबादला कहा हो सकता है?
कमिश्नर ने उन्हें टालने के लिए कहा -“मिजोरम में सैयाद नाम की एक जगह है, जो सबसे दूर और कठिन पोस्टिंग मानी जाती है।”
इसके बाद राजेश खन्ना पूर्ण रूप से प्रयास करने लगे की किसी तरह डीसीपी का तबादला सैयाद मे करा दे पर असफल रहे।
राजेश खन्ना अपने जीवन मे फ़िल्मों से अधिक इन विवादों से चर्चा मे रहे और कई लोग कहते भी है कि कुछ हद तक यदि ये जीवन में असफल रहे तो उसका कारण इनका दुर्व्यवहार भी है। hairy women