Oyo Rooms नाम तो सुना ही होगा और आपने कभी ना कभी तो इसको बुक किया ही होगा और इसमें ठहरे भी होंगे लेकिन क्या आपको पता है इसकी शुरुवात कब और कैसे हुई थी चलिए बताते हैं । आज हमको कहीं घूमने जाना होता है या हम किसी यात्रा पर निकलते है तो हमें होटल रूम्स ढूढने की जरूरत नहीं पड़ती क्यों की हम पहले से ही रूम बुक कर चुके होते हैं वो भी काफी सस्ते दामों में । ओयों रूम्स का काम ट्रैवेलर्स को बहुत ही सस्ते दामों में , सभी सुविधाओं के साथ बड़े बड़े शहरों में होटल रूम्स उपलब्ध कराना है। आज ओयाे रूम्स भारत ही नहीं बल्कि भारत के बाहर भी अपनी चमक बिखेर रहा है।
रितेशअग्रवाल की मेहनत और लगन ने आज उनकी छोटी सी उम्र में करोड़ों का बादशाह बना दिया है। कैसे एक सिम बेचने वाले लड़के ने करोड़ों की कंपनी खड़ी कर दी कैसे 21 साल की आयु में जब हम पढ़ रहे होते हैं और दुनिया को समझने की कोशिश में लगे रहते हैं उसी 21 साल की आयु में एक पतला दुबला लडके ने करोड़ों की कंपनी खड़ी करके सबको हैरत में डाल दिया । रितेश ने 21 साल की उम्र में एक आसाधारण काम करके दिखा दिया और युवाओं के लिए एक इंस्पिरेशन बन गए ।
कैसे शुरू हुआ सफर
रितेश का जन्म 16 नवंबर 1993 को उड़ीसा के कटक के एक साधारण परिवार में हुआ था । उन्होंने 12वी तक की पढ़ाई उन्होंने जिले के ही एक स्कूल (scared heart school) से पूरी की ,उसके बाद उनकी इच्छा आईआईटी की तैयारी करने की हुए जिसकी तैयारी के लिए वे राजस्थान के कोटा में आ गए और रितेश यहां पर खूब पढ़ते थे लेकिन जब भी उन्हें अपनी पढ़ाई से छुट्टी मिलती तो वे घूमने के लिए निकल पड़ते थे । कोटा में ही रितेश को ट्रैवलिंग का बहुत शौक हो गया और वे अपनी ज़िन्दगी में कुछ बड़ा करना चाहते थे।
रितेश को मुंबई के टीआईआरएफ में हुई एशियन साइंस कैंप में चुना गया यह एक ऐसा मंच है जहां एशिया से आए हुए छात्र किसी प्रांत की समस्या पर विचार विमर्श करते हैं और उसको विज्ञान के ज्ञान और तकनीकों की सहायता से दूर करने का हल खोजते हैं। यहां मुंबई में रितेश ठहरने के लिए बहुत ही सस्ते होटल्स खोजते थे और उसमे ठहरते थे। वे इसी तरह कोटा से दिल्ली भी कई आयोजनों में चले जाया करते थे जिसमे वे बिजनेस से जुड़े सम्मेलनों में भाग ले सके और वहां आए हुए उद्यमियों से मिल सके और इससे उन्हें स्टार्टअप कैसे शुरू करें के बारे में काफी जानकारी मिल गई।
वे जब मुंबई और दिल्ली के सस्ते होटल्स में रुकते थे तो उन्हें वहां के खराब अनुभव भली भांति पता थे ,की कैसे उन्हें पैसों की कमी की वजह से होटलों में कितनी परेशानियों का सामना करना पड़ा था उन्होंने इसी का निवारण करने और लोगो को सस्ते दामों में अच्छे और उत्तम रूम्स देने की ठानी। रितेश अग्रवाल ने मन में आए हुए इसी विचार को बिज़नेस के रूप में ढालने के बारे में विचार किया।
Oravel Stays: रितेश का पहला स्टार्ट-अप
रितेश ने 2012 में अपने सपने को साकार करने और लोगो की समस्या को दूर करने के लिए अपना पहला स्टार्ट अप (Oravel Stays) शुरू किया । Oravel stays के रूम्स को लोग ऑनलाइन बुक कर सकते थे और रितेश का उद्देश्य लोगों को कम दाम में छोटी अवधि के लिए रूम उपलब्ध कराना था । उन्हें स्टार्ट अप के कुछ ही समय के उपरांत उन्हें वेंचर नर्सरी एक ऐसी कंपनी जो नए स्टार्टअप्स में निवेश करती है से रितेश को 30 लाख का फंड मिल गया और इससे रितेश काफी उत्साहित हो गए।
कुछ समय बाद उन्होंने अपने इस आइडिया को एक वैश्विक प्रतियोगिता के सामने रखा और वे प्रतियोगिता में 10वा स्थान पाने में सफल रहे और 66 लाख रुपए जीते इससे रितेश को अपना बिज़नेस बढ़ाने के लिए पर्याप्त धन राशि मिल चुकी थी। उन्होंने पैसों को बिजनेस बढ़ाने मै लगाया लेकिन उनको सफलता हाथ नहीं लगी और उनकी कंपनी दिन बा दिन घाटे में जाने लगी और मजबूरन उन्हें Oravel stays को बंद करना पड़ा।
Oravel Stays बना Oyo Rooms
Oraval Stays की असफलता से रितेश का मनोबल नहीं टूटा ,रितेश एक ऐसे व्यक्ति थे जो गिर कर उठना जानते थे। उन्होंने पहले स्टार्ट -अप की गलतियों को बारीकी से समझा और क्या क्या कमी रह गई थी उसको समझा। तो उनको इस बात का पता चला की भारत में सस्ते दामों में कमरा मिलना बड़ी बात नहीं है, यहां समस्या हैं कम दामों में लोगो को अच्छी सुविधाओं के साथ कमरा मुहैया कराना।
सच्चा मनुष्य वहीं है जो कभी हार नहीं मानता और जब तक सफलता नहीं मिलती तब तक काम करता रहता है। रितेश ने भी ऐसा ही किया और अपने बीते हुए कल से सीख ली और उसे अपने आज में ढाला।
उन्होंने 2013 में oraval Stays को Oyo rooms का नाम दिया और oyo rooms की शुरूआत की और इस बार वे कोई गलती नहीं करना चाहते थे। इस बार Oyo का उद्देश्य लोगों को सिर्फ कमरा ही मुहैया कराना नहीं था बल्कि उनको रूम्स में सारी सुविधाएं भी देना था, उनका हर चीज का खयाल रखना था।
रितेश को अपने बीते दिनों के अनुभव याद थे जब वे कम दामो में कमरा लेते थे और वहां के गंदे कमरों में रुकते थे। जहा साफ सफाई का कोई नमो निशान नहीं होता था। उन्होंने अपने उस अनुभवों से सीख लेकर अपने आज के Oyo rooms में लगाया और सफलता उनको मिलने लगी।
रितेश के सपने हुए सच
रितेश अग्रवाल ने यह साबित कर दिया कि अगर हम पूरी लगन और मेहनत से कुछ करने के ठान ले तो हम इस दुनिया में कुछ भी हासिल कर सकते हैं। लोगो का ओयो पर भरोसा बढ़ने लगा और उनको सस्ते दामों पर पूरी सुविधाओं के साथ कमरे मिलने लगे। अब लोगो के लिए रूम्स का मतलब oyo rooms होने लगा।
लोग बिना किसी संकोच के इसको बुक करने लगे और रितेश की मेहनत रंग ला चुकी थी। ये लोगो के मन में एक सवाल था कि 21 साल की उम्र में इतनी सफलता किसी को कैसे मिल सकती है। 2014 में दो बड़ी कंपनियों ने Oyo में 4 करोड़ का निवेश किया और वर्ष 2016 में जापानी कंपनी ने 7 अरब रुपए का निवेश किया जिसने रितेश को भारत का एक नामी जानी बिजनेस मैन बना दिया और उनको आत्मविश्वास से भर दिया।
आज oyo rooms भारत में रोज़ लाखों बुकिंग्स करता है। Oyo rooms भारत में couple friendly rooms भी उपलब्ध कराता है। Oyo कंपनी में जहां कर्मचारियों की संख्या 2 या 3 थी उसी oyo कंपनी में आज हजारों कर्मचारी काम कर रहे हैं। भारत में oyo कंपनी आज अपने पैर पसार चुकी है। रितेश अग्रवाल आज भी रुके नहीं है और वे रोज़ सफलता की सीढ़ी पर चढ़े जा रहें हैं। займ онлайн на карту без отказа
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