भारत की युवा जनसंख्या की बात संसार में हर कोई ठीक उसी तरह जानता है जिस तरह भारत में बिखरी परेशानियों जैसे भीड़, गरीबी, प्रदूषण आदि की। प्रति वर्ष भारत में कई लाख इंजीनियर पासआउट होते हैं। और इतने इंजीनियरों को नौकरी मिल पाना असंभव सा होता है।
इंजीनियर शब्द के हमारे समाज में परस्पर विरोधाभासी अर्थ हैं यदि आप इंजीनियरिंग सकुशल कम्पलीट करने के बाद रेप्यूटेटड हाई पेईंग जॉब पा लेते हैं तो समाज आपको सम्मान भाव से देखेगा, इसके विपरित अगर आप नौकरी पाने में असमर्थ या नौकरी से असंतुष्ट होकर जॉबलेस होने का रास्ता चुनते हैं तो आपकी ओर समाज तुच्छ निगाहों से देखेगा।
समाज की प्रतिक्रिया के अलावा इंजीनियर शब्द की एक और परिभाषा भी है। वह इस प्रकार है – हमारे आस-पास कई छोटी मोटी परेशानियां होती हैं, पर क्या कभी आपने गौर किया कि हममें से कुछ एक – दो ही उस परेशानी को भांप कर मौजूद रिसोर्स का उपयोग कर, उसे सोल्व कर देते हैं। यही नींव होती है इंजीनियर की। परेशानी को पता कर उसका हल निकालने का कौशल।
भारत के मशीन मैन – उद्धव भराली
जरा सोचिए अगर वर्तमान में मौजूद हर वह व्यक्ति जो इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा है या इंजीनियरिंग कर चुका है, इन परेशानियों को भांप कर इनका सोल्युशन निकालने की ठान लें तो संसार में भारतीय को देखने का नजरिया ही बदल जायेगा। हमें प्रौब्लम सोल्वर की तरह जाना जायेगा। इन्हीं प्रौब्लम सोल्वर में से एक हैं उद्धव भराली। उद्धव भराली अभी तक 118 नये इन्नोवेशन कर चुके हैं। उनका इन्नोवेशन के लिए मोटीवेशन मोटी रकम कमाने के लिए नहीं बल्कि लोगों की परेशानी को दूर कर सामान्य जिंदगी मुहैया कराना है।
उद्धव भराली का जन्म असम के लखीमपुर जिले में 7 अप्रैल 1962 को हुआ था। भराली काफी ब्राइट स्टुडेंट थे। पढ़ाई में इतने तेज की इन्हे 2 बार प्रोमोट किया गया, पहली बार कक्षा 1 से 3 में और दूसरी बार कक्षा 6 से 8 में। अपने टीचर्स से किताब से बाहर सवाल पूछने के कारण इन्हें कक्षा के बाहर ही सजा काटनी पढ़ती थी और इसके बावजूद प्रारंभिक पढ़ाई में दो बार प्रमोशन अपने आप में एक अचीवमेंट था। साइंस में इनके प्रशन होते थे कि “ये ऐसा क्यूं है? और “इससे क्या होता है?” भराली जी कक्षा 8 में अपनी ही कक्षा के बच्चे को ट्यूशन पढ़ाते थे, भराली जी कहते हैं कि 50 रू मिलते थे जिससे मेरा गुज़ारा आराम स चल जाता था। अब आप ही बताईए अपनी ही क्लास के बच्चों को ट्यूशन कौन पढ़ाता है?
बीच में ही पढ़ाई छोड़नी पड़ी
भराली जी ने प्रारम्भिक पढ़ाई के बाद इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए जोरहाट इंजीनियरिंग कॉलेज में मैकेनिकल इंजीनियरिंग ब्रांच को चुना परन्तु आर्थिक परेशानी की वजह से फीस न भर पाने के कारण इन्हें बीच में पढ़ाई छोड़नी पड़ी।
कुछ लोग जीरो से शुरू करते हैं पर भराली जी को नीगेटिव से शुरू करना पड़ा। भराली जी को पता चला कि परिवार पर 18 लाख का कर्ज है, और बैंक वालों ने बताया कि यदि लोन नहीं भरा गया तो घर खाली करना पड़ेगा। भराली जी बहुत अच्छे से जानते थे कि किसी रेग्युलर जाब से तो कर्ज भरा नहीं जा पायेगा। अत: इन्होनें कोई जुगाड़ सुझाने की ठानी।
5 लाख की मशीन 70 हजार में बना डाली
उस समय असम में ही एक कम्पनी पॉलीथीन कवर बनाने की मशीन जो उस समय 4-5 लाख तक की थी, को कम कीमत में बनाने की तरकीब ढूढ रही थी। अत: भराली जी लग गये मशीन का सोल्यूशन ढूंढने में। कुछ समय की कड़ी मेहनत के बाद इन्होंने उसी तरह की मशीन महज 67,000 में बना डाली। उस समय ही इन्होंने मशीनों को खरीदने के बजाय बनाने का निशचय किया।
असहाय लोगों की जिंदगी सबारने में समर्पित
कुछ अलग करने का रास्ता इतना आसान नहीं होता, आज जहां भारत या फिर यूं कहिए संसार में हर कोई हर काम में अपना फायदा ढूँढता है और इसके विपरित भराली अपने इंनवेंशन और इन्नोवेशन से डीफरेंटली एबल्ड और किसानों की जिंदगी सबारने में ही अपना जीवन समर्पित करने के कारण लोग इन्हें फालतू और पागल कहते हैं।
भराली जी ने अपने कौशल और टेलेंट को सबके सामने लाने का निश्चय किया। इन्होंने ऐसे प्रौजेक्ट ढूंढे जिन्हे बहुत लम्बे समय से पूरा न किया जा सका हो। इनमें से एक उन्होंने पाया नासा का एक प्रौजेक्ट – अनार के दानों को बिना नुकसान पहुचाये छिलके को अलग करने की मशीन जो कि पिछले 30 सालों से कोई नहीं बना पाया। इन्होने वह मशीन भी बना डाली और अपने आप को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा से सभी को परिचित कराया।
अब फालतू और पागल जैसे शब्दों की कोई जगह ही न रही थी। बल्कि भराली जी का कहना है कि पैसे की चाहत इंसान को पागल बना देती है और वे किसानों व डिफरेंटली एबल्ड लोगों के लिए मुफ्त में ही काम करते हैं, यहां तक की उनका रहना, खाना मशीन बनाने के दौरान, वह ही उठाते हैं।
इंवेंशन और इन्नोवेशन भराली जी का प्रोफेशन बन गया है। उनके पास आज भारत से नहीं बल्कि विदेशों से भी काम आता है। उनका कहना है कि मैं अनकम्फर्टेबल जोन में कम्फरटेबल रहने में विश्वास करता हूं और लगातार असंभव को संभव बनाकर लोगों की जिंदगी आसान बनाना मेरा लक्ष्य है।
भराली जी का उद्देश्य अपने अविष्कारों से भारत देश में ही यहां की आम जनता के जीवन को उत्कृष्ट बनाने का है। भराली जी मुख्य रूप से फीजिकली डिसेबल और कृषि के लिए बिना इलेक्ट्रीसिटी और आसानी से आपरेट होने वाली मशीनों का अविष्कार करते हैं। उनका कहना है कि लोग बड़ी-बड़ी बातें करते हैं कि रोबोटिक्स मशीनें बनायेंगे पर जब आम किसान और आदमी इन मशीनों को खरीद ही नहीं पायेगा तो क्या फायदा?
इसलिए भराली जी द्वारा बनी मशीनें आसानी से उपयोग करने और बिना इलेक्ट्रीसिटी से काम करने वाली होती हैं और वो भी बहुत ही लो कोस्ट या फिर मुफ्त। अपनी जीविका को चलाने और मशीनों को बनाने के लिए कुछ ही कमर्शियल प्रोजैक्ट भी करतें हैं।
उनका परेशानी का समाधान हर एक व्यक्ति तक पहुंचाने का जुनून इसी बात से समझ जाएंगे कि उन्होने अनार के दाने निकालने की एक बड़ी ही आसान युक्ति भी दुनिया के सामने उपलब्ध करायी जिससे हर कोई बिना मशीन के अनार के दानों को छिलके से अलग कर दे, जबकि इससे उनके द्वारा बनायी मशीन की बिक्री में हानि होने के वावजूद भी। इस बात पर उन्हें दुख नहीं बल्कि गर्व है कि उनके समाधान की पहुंच हर आम आदमी तक है।
39 पेटेंट और 98 अविष्कार
भराली जी की कहानी एक ही आर्टिकल में लिखना असंभव सा प्रतीत होता है। तो आईए संक्षिप्त में हम भराली जी के इंवेंशन और इन्नोवेशन व पुरस्कारों पर प्रकाश डालते हैं।
अभी तक भराली जी के नाम 39 पेटेंट और 98 अविष्कार हैं। उनमें से कुछ महत्वपूर्ण इंवेंशन और इंन्नोवेशन निम्नलिखित हैं।
नासा कंटेस्ट के लिए-
- अनार के दानों को छिलकों से अलग करने की मशीन
- मानसिक रुप से विसंगत व्यक्ति के लिए डिटेंसन चेयर
- बिना हाथ के व्यक्ति के लिए खाना खाने की मशीन
वर्ल्ड टेक कंटेस्ट के लिए –
- मिनी टी प्लांट का अविष्कार
ऐसी कई नयी मशीनें और अविष्कार कियें हैं भराली जी ने जो बिना हाथ के व्यक्ति को खाना खाना में मदद करे और पैर से अपंग व्यक्ति को चलने में; वो भी बिना इलेक्ट्रीसिटी के। इससे बड़ी कोई बात हो भी नहीं हो सकती मन को सुकून देने वाली।
भराली जी के पुरस्कारों की लिस्ट उतनी ही लम्बी है जितनी लम्बी उनके अविष्कारों की। अत: हम कुछ लोकप्रिय और बहुचर्चित पुरस्कारों को जानकारी आपको उपलब्ध कराते हैं।
- पद्मश्री अवार्ड – 2019
- राष्ट्रीय एकता सम्मान – 2013
- नासा – क्रिएट द फ्यूचर डिजाइन – द्वितीय पुरस्कार
- मेरिटोरियस इनोवेशन पुरस्कार
- राजीव गांधी लीडरशिप पुरस्कार
- नेशनल मेरिटोरियस इन्वेंशन अवॉर्ड
- मशीन मैन उपाधी
उद्धव भराली जी भारतीय विधार्थी, अध्यापक या यह कहिए हर उस व्यक्ति को जो बेहतर भारत की कल्पना करता है, के लिए जीता जागता उत्साहित करने वाला और प्रेणना देने वाला एक मजबूत व्यक्तित्व है। वे केवल इंवेंशन और इंन्नोवेशन ही नहीं उपयोग करते जरूरतमंदों की मदद करने के लिए बल्कि प्रति माह कई जरुरत मंदो जैसे विधवा, विकलांग आदि को आर्थिक मदद भी देते हैं।
हमारे देश में टेलेंट की कमी नहीं है, कमी है तो टेलेंट को सम्मान देनें की। हमारे देश में कई ऐसी हस्तियां रही हैं जिन्होंने साबित कर दिया कि हम भारत को अच्छा नहीं बल्कि एक सबसे अच्छा देश बना सकते हैं। पर हमारे बैस्ट मांइड तो ऊपरी चमक और पैसे की रौशनी में चकाचौंध होकर विदेश जाकर काम करना पसंद करते हैं।
साथ ही साथ अगर आप आपके कालेज में स्टुडेंट्स को इस महान हस्ती से इंस्पायर कराना चाहते हैं तो मशीन मैन को मोटीवेशनल टोक के लिए जरुर इन्वाइट कीजिए, Ted Talk और आई आई टी जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों पर मरावी जी अपना अनुभव शेयर कर चुके हैं।
अगर आप भी उद्धव भराली की तरह समाज के हित में काम करना चाहते हैं तो इस पून्य के काम को शुरू करने में एक क्षण भी न बर्बाद कर श्रीगणेश कर दीजिए। यदि आप स्टुडेंट हैं और आप भराली जी से ट्रेनिंग लेना चाहते हैं तो आपके लिए बहुत ही बढ़िया न्यूज यह है कि मशीन मैन ट्रेनिंग भी देते हैं। अगर आप भराली जी की तरह ही लोगों की समस्यायें सुलझाने के लिए नयी-नयी तकनीक इजाद करने में लगे रहते हैं तो अपने इंनवेशन जरुर शेयर कीजिए। साथ में भराली जी का ऐसा कौन सा इंनवेशन है जिससे आप बहुत अचम्भित हुए, जरुर शेयर कीजिए।
बेहतर जगह शिफ्ट हो जाना आसन काम है जो आजकल हर पढ़ा लिखा व्यक्ति करता है, पर अपने आस पास के समाज को बेहतर कर बेहतर परिस्थिति बना देना टेढ़ी खीर है। रिस्क तो लेना पड़ेगा, आज नहीं तो कल। займ онлайн на карту без отказа
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