बजट हर वर्ष हमारे देश मैं पेश किया जाता है। इस बार करोना काल में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण दूसरी बार बजट पेश करने जा रही हैं। ऐसे में हमें बजट से जुड़े कुछ टर्म वा प्रक्रिया जानना बेहद जरूरी है।
इस बार हलवा सेरिमनी का कार्यक्रम नहीं हुआ है, आपको बता दें कि यह हलवा सेरिमनी हर साल बजट पेश होने से पहले की जाती थी, जो इस बार करोना महामारी के चलते नहीं हो पाई है।
31 जनवरी 2022 के दिन इस साल का संसद का बजट सत्र शुरू होने जा रहा है। इस सत्र का, आम लोग बेहद इंतजार करते हैं, कि टैक्स बढ़ेगा या घटेगा, क्या-क्या नई योजनाएं आई हैं, और क्या-क्या उनके फायदे और नुकसान है।
केंद्र सरकार की दी गई जानकारी के अनुसार इस बार का बजट भी डिजिटल होगा क्योंकि करोना महामारी के चलते इस बार के डॉक्यूमेंट की छपाई नहीं हुई है । यानी इस बार का बजट भी हमें डिजिटल फॉर्म में ही मिलेगा। इस दिन हमारी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद में केंद्र सरकार का बजट पेश करेंगी।
केंद्रीय बजट इसे वार्षिक वित्तीय विवरण भी कहा जाता है। इस विवरण में आने वाले वर्ष का पूर्ण लेखा-जोखा तैयार किया जाता है व सरकार की प्राप्तियां और व्यय का विवरण भी होता है और आगे की योजनाओं की सूचना भी दी जाती है।
अब हम जान लेते हैं कि आखिर अंतरिम बजट, आउटकम बजट और बजट ऐस्टीमेट व उनकी प्रक्रियाएं क्या है :-
अंतरिम बजट
एक प्रकार से इसे अस्थाई बजट के रूप में भी जाना जाता है। पूर्ण बजट में सरकार पूरे वित्त वर्ष के लिए खर्च व आमदनी का लेखा-जोखा पेश करती है और अंतरिम बजट में सरकार के बचे हुए कार्यकाल की अवधि के लिए खर्च का लेखा-जोखा होता है।
अंतरिम बजट में शामिल खर्चों के लिए संसद से मंजूरी लेना अनिवार्य है। मान लीजिए कि अगर एक सरकार का कार्यकाल अगस्त 2022 में खत्म होगा तो सरकार अप्रैल से अगस्त तक का ही बजट पेश करेगी, इसे ही अंतरिम बजट कहा जाता है। 26 नवंबर 1947 को तत्कालीन वित्त मंत्री R K Shanmukham Chetty ने पहली बार अंतरिम बजट पेश किया था ।
बजट ऐस्टीमेट
स्टीमेट यानी अनुमान जैसा कि नाम से ही पता लग रहा है ,बजट एस्टीमेट यानी “बजट का अनुमान लगाना”। इसमें सरकार के आने वाले पूरे वित्त वर्ष में होने वाले खर्च व कमाई का अनुमान पेश करती है। बजट ऐस्टीमेट में सरकार कमाई के साथ-साथ उसके खर्च के बारे में भी जानकारी या अनुमान पेश करती है, कि किस मंत्रालय या उनसे जुड़े कामों व इंफ्रास्ट्रक्चर मैं कितना खर्च होगा। यानी सरकार को चलाने के लिए कितनी आमदनी और कितना खर्च होगा उसका अनुमान बताती है। इसी से जुड़ा एक महत्वपूर्ण टर्म है, संशोधित अनुमान इसमें सरकार की बची हुई अवधि में सरकार का कितना खर्च और उसकी कमाई कितनी होगी उसका अनुमान संशोधित अनुमान कहलाता है ।
आउटकम बजट
इसे परिणाम बजट भी कहा जाता है। भारत में इस बजट की शुरुआत पी चिदंबरम ने वर्ष 2005 में की थी। इस बजट के अनुसार सरकार की जवाबदेही तय होती है। हर मंत्रालय के बजट से पहले वित्त मंत्री को एक आउटकम बजट देना होता है। यह मंत्रालयों और विभागों का रिपोर्ट कार्ड होता है। इसमें सरकार के मंत्रालयों विभागों में कितना काम हुआ है व काम कहां तक पहुंच गया है, कितने पिछले लक्ष्य को पूरा किया गया है ,कितने लक्ष्य को पूरा करने में कार्यरत हैं। यानी यह एक जटिल बजट है जिसमें सरकार के सभी विभागों को जनता को जवाबदेही तय होती है।
बजट के मायने आम लोगों के लिए
इस साल का बजट आने वाला है आम आदमी इससे कई उम्मीद लगाए हुए हैं, कि इस बार सरकार ने उनके फायदे के लिए क्या-क्या नई नीतियां बनाई हैI आम आदमी की नजर इस साल के बजट पर टिकी हुई है। कि इस साल का सरकार का बजट उनके घर की बजट पर क्या असर डालेगा किन-किन सामानों की कीमतें बढ़ेंगी, आने वाले समय में उन्हें कितना टैक्स भरना होगा। करोना महामारी के कारण सरकार का कोश व आम आदमी के घर का दोनों ही चुनौतीपूर्ण समय से गुजर रहे हैं । केंद्रीय सरकार के सामने अर्थव्यवस्था की रफ्तार बढ़ाने की एक जटिल चुनौती है।
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