लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती
नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है
आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती
श्री हरिवंश राय बच्चन जी के द्वारा लिखी गई यह कविता आज भी लोगों के दिलों को छू जाती है। एक नन्हीं चींटी का उदाहरण देकर यह कविता हमें कभी हार ना मानने की प्रेरणा देती है। परिस्थितियां चाहे जैसी भी हो लेकिन उनका सामना करना ही एक सच्चे योद्धा की पहचान होती है। व्यक्ति विशेष में आज हम एक ऐसे ही कलाकार की बात करेंगे, जिसने अपने मुश्किल समय में हिम्मत ना हार कर संघर्ष किया और सफलता की ऊंचाइयों को छू लिया।
लेकिन उससे पहले हम परिचित होते हैं भारतीय फिल्म जगत और उसके दिग्गजों से। मनोरंजन, दौलत, शोहरत, इज्जत, नाकामी, और ना जाने कई चीजों से बनी यह चकाचौंध वाली दुनिया जैसी बाहर से दिखाई देती है असल में वैसी होती नहीं है। इस दुनिया ने अपने अंदर कई राज समेटे हुए हैं। लेकिन इसके बावजूद भी इस दुनिया से अभिनेता दिलीप कुमार, देवानंद, राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन, जैसे लोग भी निकले हैं जिन्होंने अपनी काबिलियत के दम पर भारत का नाम पूरी दुनिया में मशहूर किया है। ये ऐसे कलाकार है जिनसे मिलने के लिए लोग कतार में खड़े रहते है।
व्यक्ति विशेष में हम बात करने वाले थे मशहूर अभिनेता अक्षय कुमार की। खिलाड़ी, अक्की और एक्शन हीरो के नाम से मशहूर इस अभिनेता ने भारतीय दर्शकों के बीच अपनी एक अलग पहचान बनाई है। हम अक्सर सुनते हैं कि अभिनेता और अभिनेत्री के बच्चों को ज्यादा संघर्ष नहीं करना पड़ता और कहीं ना कहीं यह सच भी है। लेकिन भारतीय फिल्म जगत में अभिनेता या अभिनेत्री के बच्चे ना होने के बावजूद अपनी एक अलग पहचान बनाना और सफलता हासिल करना बहुत बड़ी बात होती है। अक्षय कुमार भी एक ऐसे ही अभिनेता हैं जिन्होंने अपनी काबिलियत के दम पर यह मुकाम हासिल किया है। एक समय ऐसा भी आया था जब अपने करियर की शुरुआत में अभिनेता अक्षय कुमार को अपने ही ससुर से मिलने के लिए घंटों कतार में खड़ा रहना पड़ा था।
अक्षय की नई शुरुआत
यह वाकया तब हुआ था जब मशहूर अभिनेता राजेश खन्ना ने अपनी एक नई फिल्म की घोषणा की थी। उस फिल्म के लिए उन्हें एक नए चेहरे की तलाश थी। यह वह दौर था जब राजेश खन्ना बॉलीवुड में अपनी बेहतरीन पारी खेल चुके थे। 1990 में आई फिल्म ‘जय शिव शंकर’ में नए चेहरे के लिए जब राजेश खन्ना लोगों का इंटरव्यू ले रहे थे तो उस भीड़ में अक्षय कुमार भी शामिल थे। इस फिल्म के लिए राजेश खन्ना ने पहले ही डिंपल कपाड़िया और मशहूर अभिनेता जितेंद्र कुमार को राजी कर लिया था। मौके की तलाश में अक्षय कुमार भी इंटरव्यू देने राजेश खन्ना के ऑफिस पहुंचे और वहां उन्हें लगभग तीन से चार घंटो तक इंतजार भी करना पड़ा था। लेकिन वहां उन्हें असफलता हाथ लगी और उन्हें वहां से यह कहकर निकाल दिया गया कि राजेश खन्ना उनसे नहीं मिल सकते।
यह वह दौर था जब कलाकारों को बॉलीवुड में काम करने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ती थी। उन्हें मशहूर फिल्म निर्माता और दिग्गज अभिनेताओं के दफ्तर के चक्कर भी लगाने पड़ते थे। कई बार ऐसा भी होता था जब कड़ी मशक्कत करने के बाद भी लोग उन अभिनेताओं और निर्माताओं से मिल नहीं पाते थे। सुहाग, केसरी, खिलाड़ी, और ऐसी ही अनेकों फिल्मों से दर्शकों के दिलों में घर करने वाले अक्षय कुमार अनेक लोगों के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं। करीब 100 से ज्यादा फिल्मों में काम कर चुके अक्षय कुमार ने कभी यह नहीं सोचा होगा, कि जिससे मिलने के लिए उन्होंने घंटों कतार में इंतेज़ार किया, एक दिन उन्हीं की बेटी से उनका विवाह होगा। जी हां, यह सत्य है। राजेश खन्ना जैसे अभिनेता से मिलने के लिए जिस अक्षय कुमार को घंटों मशक्कत करनी पड़ी थी, उसी अक्षय कुमार की शादी 2001 में राजेश खन्ना की बेटी ट्विंकल खन्ना से हुई।
प्रेरणा
हम अक्सर अपनी जिंदगी की छोटी-छोटी मुश्किलों से परेशान होकर हिम्मत हार जाते हैं। ऐसे लोगों के लिए अक्षय कुमार एक उदाहरण है। करियर की शुरुआत में अक्षय कुमार के सामने भी अनेक मुश्किलें आई थी लेकिन उन्होंने उनका जमकर सामना किया। अगर उन्होंने साल 1990 में ही घंटों कतार में खड़ा होने के बाद हार मान ली होती तो आज वह इतने सफल नहीं हो पाते। उनका यह संघर्ष सराहनीय है।
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