आखिर चीन से हुई हालिया मुठभेड़ की शुरूआत कहाँ से हुई

आज भारत व चीन के रिश्ते पिछले कई दशकों में सबसे निचले स्तर पर है। हालाँकि पिछले काफी दशकों से इस सीमा पर समझौतों के तहत कभी गोलियां नहीं चली, पर फिर भी कभी अगर विवादित क्षेत्र पर गश्त टुकड़िया आमने सामने आती है तब कई मौको पर झड़प हुई है।  15 जून को, गालवान घाटी में एक पहाड़ी क्षेत्र में भारतीय और चीनी सैनिकों ने छह घंटे तक संघर्ष किया जिसके परिणाम स्वरुप भारतीय सेना के 20  जवान वीरगति को हुए, और चीनी सेना के 43 जवान मारे गए। इस घटना के बाद से ही वास्तविक नियंत्रण रेखा ( लाइन ऑफ ऐक्चुअल कंट्रोल, एलएसी ) पर भारी तनाव जारी है।  दोनों ही पक्षों ने अपनी वायु सेना व थल सेना की टुकड़िया वहां भेज दी है।

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वास्तविक में इस मुठभेड़ की शुरुआत मई के शुरुआत में ही हो गयी थी।  5 मई 2020 के बाद से ही भारतीय एवं चीनी सैनिकों की कार्यवाही शुरू हो गयी थी, सीमा के अलग अलग स्थानों से मुठभेड़ की सुचांए मिलने लगी थी। 5 व 6 मई को लद्दाख के पैंगोंग झील के उत्तरी किनारे पर भारतीय व चीनी सैनिको के एक गश्ती दल में हिंसक झड़प हुई। इसमें दोनों तरफ से काफी सैनिक घायल हुए। इसके बाद तनाव पूर्वी क्षेत्र में भी देखने को मिला।  यहाँ सिक्किम में नाथुला दर्रा के पास भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच टकराव हुआ जिसमे तकरीबन 150 सैनिक आमने सामने आ गए, जिसमे 4 भारतीय और 7 चीनी सैनिक घायल भी हो गए।  भारतीय सेना के अधिकारियों ने पैंगोंग में  झड़प और नाथुला में टकराव की पुष्टि की। 12 मई को गालवान घाटी में तनाव बढ़ने की खबरें भी सामने आईं।  14 मई को, भारतीय सेना के प्रमुख जनरल मनोज नरवाने ने अपने बयान में कहाँ कि सैनिकों के आक्रामक व्यवहार के कारण दोनों पक्षों में टकराव हुआ व कुछ सैनिक घायल भी हुए।

इसके बाद 19 मई को चीन के विदेश मंत्रालय ने कहाँ कि पैंगोंग झील, गैलवान वैली और हॉट स्प्रिंग्स में तनाव के कारण भारतीय सैनिकों के एलएसी पार कर चीन क्षेत्र में घुसने  के कारण, और चीन के सैनिकों द्वारा सामान्य गश्त में बाधा डालने की वजह से बीजिंग को “आवश्यक प्रतिवाद” लेना पड़ा। इसके प्रतिउत्तर में भारत ने 21 मई को चीन के इस तर्क का दृढ़ता से खंडन किया और विदेश मंत्रालय ने बतलाया कि भारतीय सैनिको की गतिविधियाँ पूरी तरह से एलएसी के भारतीय पक्ष की सीमा के अंतर्गत ही रहीं और चीनी सैनिको ने भारतीय सैनिको की सामान्य गश्त में बाधा डालने  प्रयास किया।  इसके पश्चात  22 मई को, जनरल नरवने ने स्थिति का आंकलन करने के लिए लद्दाख में लेह स्थित 14 कोर मुख्यालय का दौरा भी किया।

भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

30 मई को भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत और चीन गतिरोध को हल करने के लिए सैन्य और राजनयिक स्तर पर एक दूसरे से बात करी जा रही है और वह देश को यह भरोसा दिलाते हैं कि सरकार, भारत की गरिमा को ठेस नहीं पहुंचने देगी। इसके बाद 2 जून को दोबारा  रक्षा मंत्री का बयान आता है कि एलएसी के साथ चीनी सेना की एक महत्वपूर्ण संख्या मौजूद है और भारतीय सेना भी जवाब में अपनी टुकड़िया वहां भेज रहा है।

बाद में यह निर्णय लिया गया कि, विवाद को सुलझाने के लिए, दोनों सेनाओं की एक मेजर जनरल रैंक लेवल की बैठक होगी, जिसमे कई विशेष व गंभीर मुद्दों पर बात एवं सहमति होगी जिससे दोनों देशों के बीच शान्ति बहाल हो सके और हालात सामान्य  हो सके।  6 जून को शीर्ष सैन्य अधिकारियों के बीच बैठक हुई जिसमें, लेह-आधारित 14 कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह और दक्षिण शिनजियांग क्षेत्र में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के कमांडर मेजर जनरल लियू लिन ने डी-एस्केलेशन योजना पर चर्चा की।

9 जून को सेना के अधिकारियों ने बतलाया कि चीन ने एलएसी के साथ तीन हॉटस्पॉट से अपने सैनिकों को वापस लेना शुरू कर दिया है, और भारत ने भी उन क्षत्रो से अपने  तैनात सैनिको को भी वापस बुला लिया है।  उनकी तरफ से जारी बयान में यह भी बतलाया जाता है कि गलवान घाटी, पैट्रोलिंग प्वाइंट 15 और हॉट स्प्रिंग्स में “सीमित सैन्य विघटन” शुरू हो गया है।

10 जून को मेजर जनरल-रैंक के अधिकारियों के नेतृत्व में भारतीय और चीनी प्रतिनिधिमंडल, गलवान घाटी क्षेत्र में पैट्रोलिंग पॉइंट 14 पर एक बैठक हुई जिसमे टकराव को सुलझाने के प्रयासों को जारी रखने के विषय पर बात हुई।  गतिरोध व टकराव को रोकने के लिए एवं हालात सुधारने के लिए दो-स्टार जनरलों के बीच बातचीत का यह चौथा दौर था।

13 जून को सेना प्रमुख की तरफ से बयान आता है कि चीन के साथ एलएसी पर  “चरणबद्ध तरीके” से भारतीय और चीनी सेनाओं का विघटन हो रहा है और  स्थिति अब नियंत्रण में है। 15 जून को भी भारत और चीन के सेना के प्रतिनिधियों में फिर से चर्चा होती है। एलएसी के साथ ब्रिगेडियर-रैंक के अधिकारी गलवान घाटी में मिलते हैं  और कर्नल-रैंक के अधिकारी हॉट स्प्रिंग्स में मिलते हैं एवं दो स्थानों पर वार्ता होती है। लेकिन इस ही शाम दोनों सेनाओं सैनिको के बीच संघर्ष होता है जिसमे दोनों पक्ष के सैनिकों की मृत्यु भी होती है।

इस घटना के बाद केंद्र सेना आपातकालीन अधिकार देती है।  भारतीय सैनिको की शहादत पर पूरा देश दुख में है व साथ ही साथ सब मे चीन को लेकर काफी आक्रोश मौजूद है। hairy women


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