कहावत है कि मनुष्य की जरूरतें पूरी हो सकती हैं लेकिन इच्छाएं नहीं। इच्छाओं की पूर्ति के लिए मनुष्य हर संभव कोशिश करता है लेकिन असफल होने के बाद मन बेचैन हो जाता है। इच्छाओं की पूर्ति का लालच हजारों सालों से चला आ रहा है। पुराणों में अशांत मन से घिरी हुई ऐसी अनेक कथाएं प्रचलित हैं। ऐसी ही एक कथा एक अमीर सेठ की है जिसके पास सब कुछ रहते हुए भी उसका मन अशांत रहता था।
वह सेठ उस क्षेत्र का सबसे अमीर व्यक्ति था। उसके पास जरूरत की सभी चीजें उपलब्ध थी, लेकिन फिर भी उसका मन अशांत रहता था। एक दिन उसके गांव में एक संत पहुंचे। गांव के लोग उनका आशीर्वाद लेने उनके पास पहुंचने लगे। वे संत लोगों को उनकी परेशानियों को दूर करने का उपाय भी बताते थे। सेठ को जब संत के बारे में पता चला तो वह भी उनसे मिलने पहुंचा। उसने संत के सामने स्वर्ण मुद्राओं से भरी हुई थैली रखी और हाथ जोड़ते हुए संत को अपनी सारी परेशानियां बताई।
महात्मा ने कहा कि यह स्वर्ण मुद्राएं तुम वापस रख लो, मैं गरीबों से कोई दान नहीं लेता। सेठ ने हैरान होते हुए कहा कि मैं इस क्षेत्र का सबसे अमीर व्यक्ति हूं। आप मुझे गरीब क्यों कह रहे हैं? तब महात्मा ने पूछा कि अगर तुम सबसे अमीर हो, तो मेरे पास क्यों आए हो? सेठ ने कहा कि मुझे आपका आशीर्वाद चाहिए। आपका आशीर्वाद पाकर मैं और भी ज्यादा अमीर हो जाऊंगा, जिससे मेरे मन को शांति मिलेगी। संत ने जवाब दिया, कि मनुष्य के अशांत मन का यही कारण है। हमारे पास जो चीजें उपलब्ध रहती है, हम उनमें खुशियां ना ढूंढ कर दूसरी चीजों को पाने की इच्छा रखते हैं। जब यह इच्छाएं पूरी नहीं होती तब हम परेशान हो जाते हैं, और हमारा मन अशांत हो जाता है।
सीख
हर मनुष्य के अंदर इच्छाएं होती हैं। कोई सबसे धनवान बनना चाहता है, तो कोई सबसे बलवान। इच्छाएं पूरी ना होने पर मन अशांत हो जाता है। जरूरत की सभी चीजें रहते हुए भी हम तब तक खुश नहीं रह सकते, जब तक हम अपनी इच्छाओं का त्याग नहीं कर देते। भविष्य में ज्यादा पाने की इच्छा रखने से हम वर्तमान में उपलब्ध वस्तुओं का आनंद नहीं ले पाते। जब इच्छाएं पूरी नहीं होती तब हम बीते हुए समय में वापस नहीं जा सकते। अर्थात जिस समय जो चीजें उपलब्ध है, उनमें अपनी खुशियां ढूंढने और अपने मन को शांत रखते हुए चीजों का आनंद लें। सांसारिक सुख का त्याग करें। एक खुशी जीवन व्यतीत करें। hairy girls