Category: प्रेरक प्रसंग

  • जानिए कैसे एक शिक्षित स्त्री ने सिखाया "फकीरी" का असली मतलब

    जानिए कैसे एक शिक्षित स्त्री ने सिखाया "फकीरी" का असली मतलब

    समाज में फैली जागरूकता उसकी उन्नति एवं प्रगति का प्रतीक है। समाज में जागरूकता विभिन्न तरीकों से फैलाई जा सकती है जैसे स्त्रियों को शिक्षा में प्रोत्साहन, समाज से भेदभाव खत्म करना, सभी नागरिकों को सम्मान देना, आदि। प्राचीन काल में हमारे समाज में स्त्री शिक्षा को अधिक महत्व नहीं दिया, इसलिए आज भी भारत…

  • कर्म ही नही भावना भी चाहिए : दार्शनिक चू लाई

    कर्म ही नही भावना भी चाहिए : दार्शनिक चू लाई

    चीन में बहुत से महान बौद्ध भिक्षु हुए हैं,उन्ही में से एक थे चू लाई । वे लोगो को धर्म और ज्ञान की शिक्षा देते थे। लोग उन्हे बहुत सम्मान देते थे। उनके बहुत सारे भक्तों में से एक महिला भी थी। वह चू लाई को बहुत सम्मान देती थी।  महिला चू लाई की शिक्षा…

  • गेहूं से शिष्यों की परीक्षा

    गेहूं से शिष्यों की परीक्षा

    इंसान के अंदर अनेक प्रकार की प्रवृति होती हैं। कोई ज्यादा गुस्से वाला होता है, तो कोई भावुक, कोई लालची तो कोई दयालु। ऐसी ही एक प्रवृति है कंजूसी, जो अक्सर हम अनेक लोगों में देख सकते हैं। कंजूस प्रवृत्ति के लोग अक्सर अपनी संपत्ति दूसरों में बांटना नहीं चाहते। हर इंसान की प्रवृति उनकी…

  • गौरैया की सीख, बंदर का गुस्सा

    गौरैया की सीख, बंदर का गुस्सा

    कहते हैं कि प्रयत्न करने से कोई भी काम संभव हो सकता है, लेकिन कुछ चीजें ऐसी भी होती हैं जहां हम लाख प्रयत्न करे, सफलता नहीं मिलती। ऐसी ही एक है मंदबुद्धि लोगों को समझाने का प्रयत्न। यह बात उचित है कि अगर किसी इंसान को किसी विषय, वस्तु, स्थान के बारे में जानकारी…

  • सफलता से पहले लक्ष्य से भ्रमित मत होना

    सफलता से पहले लक्ष्य से भ्रमित मत होना

    स्वामी विवेकानन्द ने सत्य ही कहा है “उठो, जागो और तब तक मत रुको, जब तक लक्ष्य की प्राप्ति ना हो जाए”। अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हमें बहुत परिश्रम और निरंतरता की जरूरत होती है लक्ष्य प्राप्ति के मार्ग पर चलना आसान नहीं होता क्योंकि इसकी राह में अनेक तरह की रुकावट होती हैं,…

  • गुरु नानक देव की वह सीख, जिसे सब को अपनाना चाहिए, क्या है वो?

    गुरु नानक देव की वह सीख, जिसे सब को अपनाना चाहिए, क्या है वो?

    सिखों के प्रथम गुरु, श्री गुरु नानक देव जी 15वीं सदी के दार्शनिक, समाज सुधारक और सिख संप्रदाय के संस्थापक थे। सिख संप्रदाय की शुरुआत करने के साथ-साथ उन्होंने समाज में फैले जाति भेदभाव, ऊंच-नीच आदि बुराइयों को दूर करने की कोशिश की, जिसका सबसे अच्छा उदाहरण उनके द्वारा स्थापित ‘लंगर’ की प्रथा देखने में…

  • आखिर क्यों जरूरी है सकारात्मक सोच को अपने आचरण में अपनाना?

    आखिर क्यों जरूरी है सकारात्मक सोच को अपने आचरण में अपनाना?

    हमारी सोच का हमारे व्यक्तित्व पर बहुत गहरा असर होता है। हमारे मन-मस्तिष्क में हमेशा दो तरह के विचार उत्पन्न होते हैं- सकारात्मक और नकारात्मक। यह विचार हमारे अंदर दो तरह के बीज होते हैं, जो आगे चलकर हमारे दृष्टिकोण एवं व्यवहार रूपी पेड़ की आधार शिला बनते हैं। इसलिए जैसा हम सोचते हैं, वैसा…

  • बौना तीरंदाज – जातक कथा

    बौना तीरंदाज – जातक कथा

    बहुत समय पहले की बात है कि एक बार एक गांव में एक बौना रहता था। उसने तक्षशिला के एक महान गुरु से धनुर्विद्या प्राप्त की थी। रोज-रोज अभ्यास से वह खुद भी एक कुशल धनुर्धर बन गया था। लेकिन अपनी जीविका, चलाने के लिए वह जब भी किसी राज्य में जाया करता था, तो…

  • संत ने ऐसे सिखाई अपने शिष्यों को विनम्रता की महानता

    संत ने ऐसे सिखाई अपने शिष्यों को विनम्रता की महानता

    एक आश्रम में एक बूढ़े संत रहा करते थे। काफी दिनों से उनकी तबीयत कुछ ठीक नहीं चल रही थी। उन्हें इस बात का आभास पहले से ही हो गया था कि अब वे ज्यादा दिन नहीं जी सकेंगे। उन्होंने सोचा कि क्यों ना वे अपने शिष्यों को कुछ ऐसा बता कर जाएं, जिससे वे…

  • हमें संतुष्ट रहना चाहिए, तभी हम अपने जीवन में हर हाल में खुश रह पाएंगे।

    हमें संतुष्ट रहना चाहिए, तभी हम अपने जीवन में हर हाल में खुश रह पाएंगे।

    जीवन में संतुष्ट रहना भी अपने आप में एक कला है। बहुत से लोग ऐसे होते हैं ,जिनके पास सब कुछ होता है, पर वे संतुष्ट नहीं रहते। जितना उनके पास है या जितना उन्हें मिल गया है,उन्हें हमेशा उससे ज्यादा पाने की इच्छा बनी रहती है और यह इच्छा , ऐसी होती है कि…