सफलता से पहले लक्ष्य से भ्रमित मत होना

स्वामी विवेकानन्द ने सत्य ही कहा है “उठो, जागो और तब तक मत रुको, जब तक लक्ष्य की प्राप्ति ना हो जाए”। अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हमें बहुत परिश्रम और निरंतरता की जरूरत होती है लक्ष्य प्राप्ति के मार्ग पर चलना आसान नहीं होता क्योंकि इसकी राह में अनेक तरह की रुकावट होती हैं, जो हमारा ध्यान हमारे लक्ष्य से अलग करती हैं।

हमें अपने लक्ष्य पर अर्जुन की तरह निशाना साधना चाहिए, जिससे हमें हमारे लक्ष्य के अलावा कुछ और ना दिखे। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि आज संसार में मात्र 2 प्रतिशत लोग ही अपने मनचाहे लक्ष्य की प्राप्ति कर पा रहे हैं, बाकी सारे के सारे बस जिंदगी में धक्का लगा रहे हैं।

जो व्यक्ति अपना लक्ष्य निर्धारित कर उसकी तरफ अग्रसर नहीं होता, उसकी हालत एक जानवर जैसी होती है जिसका उद्देश्य सिर्फ पेट भरना होता है, ऐसे लोग खाते हैं पीते हैं और सो जाते हैं।

आज, हम अपने युवा पीढ़ी को एक कथा के माध्यम से लक्ष्य तक पहुंचने का रास्ता बताएंगे, जिससे वह किसी प्रलोभन में फंसे बिना लक्ष्य तक पहुंच सके।

एक राजा था, जिसकी कोई संतान नहीं थी और वह बूढ़ा हो गया था, जिसके कारण उसे यह चिंता हमेशा सताती थी कि उसके बाद उसके राज्य का उत्तराधिकारी कौन बनेगा। इस समस्या का समाधान ढूंढने वह अपने राज गुरु के पास पहुंचा।

गुरु ने उस राजा से कहा कि वहां अपने राज्य में से किसी योग्य व्यक्ति को अपना उत्तराधिकारी बना दे। राजा ने गुरु की आज्ञा का पालन किया और अपने मंत्री से कहा कि नगर में घोषणा करवा दें कि कल जो व्यक्ति सूर्यास्त से पहले राजमहल के अंदर आकर राजा से मिलेगा उसे उत्तराधिकारी घोषित कर दिया जाएगा।

यह संदेश मिलने के बाद अगले दिन बड़ी संख्या में लोग राज महल के बाहर एकत्रित हो गए। महल के बाहर राजा ने एक भव्य मेले का आयोजन किया था जहां हर तरह की सुख-सुविधाएं थी। पूरी प्रजा उस मेले की तरफ अग्रसर हो गई। लोग अपनी पसंद के हिसाब से मेले का आनंद लेने लगे और वह भूल गए कि उन्हें राजा से भी मिलना है।

परन्तु, वहां एक ऐसा युवक भी था जो इन सब प्रलोभनों में नहीं फंसा और बचते-बचाते राज महल में प्रवेश कर गया। वह राजा से मिलने में सफल रहा और राजा ने उसे अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया।

उस युवक से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि हमें अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए रास्ते में रुकना नहीं चाहिए। सफलता मिलने तक हमें आगे बढ़ता रहना चाहिए। हमारे रास्ते में अनेक रुकावटें आएंगी परंतु हमें लक्ष्य से भ्रमित नहीं होना चाहिए।

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