कर्म ही नही भावना भी चाहिए : दार्शनिक चू लाई

चीन में बहुत से महान बौद्ध भिक्षु हुए हैं,उन्ही में से एक थे चू लाई । वे लोगो को धर्म और ज्ञान की शिक्षा देते थे। लोग उन्हे बहुत सम्मान देते थे। उनके बहुत सारे भक्तों में से एक महिला भी थी। वह चू लाई को बहुत सम्मान देती थी। 

महिला चू लाई की शिक्षा और उनकी बातों से बहुत प्रभावित थी।लेकिन महिला का पति चू लाई की बातों पर जरा भी विश्वास नहीं करता था। महिला का पति एक विद्यालय में अध्यापक था। एक दिन अध्यापक ने चू लाई का अपमान कर दिया। जब यह बात महिला को पता चली तो वह अपने पति पर बहुत नाराज हुई उसने उसे समझाया कि चू लाई एक धर्मात्मा व्यक्ति हैं उसे उनका अपमान नहीं करना चाहिए था। लेकिन पति किसी भी तरह चू लाई को अच्छा मानने को तैयार नहीं था। पति-पत्नी मे बहस होने लगी। पत्नी का कहना था कि अध्यापक को चू लाई से जाकर माफी मांगनी चाहिए। विवाद ज्यादा बढ़ने पर अध्यापक माफी मांगने के लिए राजी हो गया । वह मन से माफी नहीं मांगना चाहता था लेकिन पत्नी की झिक झिक से बचने के लिए वह ऐसा करना चाहता था। 

वह चू लाई के आश्रम पहुंचा और और सीधे चू लाई को बोला मुझे माफ कर दो। चू लाई उसकी भावनाओं को पढ़कर बोले जाओ अपना काम करो मैं तुम्हें माफ नहीं करता। यह सुनकर अध्यापक को कुछ भी समझ नहीं आया वह उल्टे पैर घर लौट आया। और सारी घटना अपनी पत्नी को बताई। पत्नी को भी कुछ समझ नही आया, वह चू लाई के पास गयी और शिकायत भरे शब्दों में बोला कि आपको मेरे पति को माफ कर देना चाहिए था। मेरे पति अपने किए पर शर्मिंदा हैं। आपको उनको उलटे पैर नहीं लौटा देना चाहिए।

महिला की बातें सुनकर चू लाई बोले-” मुझे तुम्हें बता देना चाहिए कि मुझे पता है कि तुम्हारा पति वास्तविक रूप से शर्मिंदा नही हैं बल्कि वह तुम्हें खुश करने के लिए मुझसे झूठी माफी मांगने आया। ऐसा करने से हमारा और तुम्हारा संबंध अच्छा होता लेकिन इससे तुम्हारे पति का मेरे प्रति क्रोध बढ़ जाता।  займ срочно без отказов и проверок


Posted

in

by

Tags:

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *