कहते हैं कि प्रयत्न करने से कोई भी काम संभव हो सकता है, लेकिन कुछ चीजें ऐसी भी होती हैं जहां हम लाख प्रयत्न करे, सफलता नहीं मिलती। ऐसी ही एक है मंदबुद्धि लोगों को समझाने का प्रयत्न। यह बात उचित है कि अगर किसी इंसान को किसी विषय, वस्तु, स्थान के बारे में जानकारी नहीं है, तो हमे उसे बताना चाहिए। उसके ज्ञान को बढ़ाना चाहिए। लेकिन कभी कभी ऐसा भी होता है कि हमारी बातों से सामने वाले इंसान को ठेस पहुंच जाती है। चाहे वो बातें सही ही क्यों ना हो। ठेस पहुंचने के बाद वह इंसान अपना आपा खो बैठता है, और ऐसी हरकतें भी करने लगता है जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते। उसकी ऐसी हरकतों से हमें भी नुकसान पहुंचता है। इस वजह से हमारा उसे समझाने का प्रयत्न और समय दोनों व्यर्थ हो जाता है। आइए इस बात को सिद्ध करने के लिए एक कहानी सुनते हैं।
उपदेशो हि मूर्खाणां, प्रकोपाय न शान्तये।
पयःपानं भुजडाग्नां केवल विषवर्धनम्।।
पंचतंत्र की कथाओं में इन पंक्तियों का अपना एक अलग ही महत्त्व है। इन पंक्तियों का तात्पर्य यह है कि जिस प्रकार सांप को दूध पिलाने से उसके विष में वृद्धि होती है और वह और भी ज्यादा खतरनाक हो जाता है, ठीक उसी तरह मंदबुद्धि लोगों को ज्ञान देने से उनके पुरुषार्थ को ठेस पहुंचती है और उन्हें क्रोध आता है। जिसकी वजह से हमें भी हानि पहुंचती है। पंचतंत्र की कथाओं में ऐसी ही एक कथा प्रचलित है।
गौरैया की सीख
एक समय किसी जंगल में एक बहुत बड़ा पेड़ था। उस पेड़ पर एक गौरैया अपने पूरे परिवार के साथ घोसला बनाकर रहती थी। वह अपने बच्चों के साथ खुशी पूर्वक अपना जीवन व्यतीत कर रही थी। एक दिन अचानक बहुत ही तेज बारिश शुरू हो गई। बारिश से बचने के लिए गौरैया अपने बच्चों के साथ अपने घोसले में जाकर बैठ गई। कुछ ही समय बाद एक बंदर भागता हुआ उस पेड़ के नीचे आया। वह बंदर बारिश में भीगने की वजह से ठंड से कांप रहा था। गौरैया को उस पर बहुत दया आई, लेकिन वो उसकी मदद नहीं कर सकती थी।
उसने बंदर से कहा कि क्यों नहीं तुम अपना एक घर बना लेते हो, जैसे मैंने अपना बनाया हुआ है। अगर तुम ऐसा करोगे तो तुम्हें इधर-उधर भटकना नहीं पड़ेगा और बारिश में भीगने से बच भी सकते हो। तुम बलवान हो और नौजवान भी। मुझे पूर्ण विश्वास है कि तुम ऐसा कर सकते हो। मुझे देखो, मैं बहुत छोटी और कमजोर हूं, लेकिन फिर भी मैंने मेहनत करके अपना घर बना लिया। अगर तुम भी मेहनत करोगे तो मुझे विश्वास है कि तुम अपना घर बना सकते हो।
बंदर का गुस्सा
गौरैया ने बात उचित कही लेकिन बंदर को उसकी बात बुरी लग गई। उसे लगा कि गौरैया के पास घर है इसलिए वह उसका मजाक उड़ा रही है। गौरैया की बात सुनकर बंदर के पुरुषार्थ को ठेस पहुंची और वह गुस्से में आ गया। उसने आव देखा ना ताव और गुस्से में गौरैया का घोंसला तोड़ दिया। गौरैया चाह कर भी कुछ नहीं कर पाई, और वह बेघर हो गई।
सीख
इस कहानी से हमें यही शिक्षा मिलती है कि मूर्खों को ज्ञान देने से कोई फायदा नहीं होता। हालांकि अज्ञानी को ज्ञान देना पुण्य का काम है, लेकिन कभी-कभी यह काम हमारे लिए नुकसानदायक भी हो सकता है। पंचतंत्र की ऐसी ही मजेदार और रोचक कहानियों को सुनने के लिए बने रहे हमारे साथ। займ срочно без отказов и проверок