जीवन में संतुष्ट रहना भी अपने आप में एक कला है। बहुत से लोग ऐसे होते हैं ,जिनके पास सब कुछ होता है, पर वे संतुष्ट नहीं रहते। जितना उनके पास है या जितना उन्हें मिल गया है,उन्हें हमेशा उससे ज्यादा पाने की इच्छा बनी रहती है और यह इच्छा , ऐसी होती है कि ये उनके जीवन में कभी शांति और सुख नहीं रहने देती।
एक बार की बात है कि एक गाँव में एक ग़रीब किसान रहता था। वह अपने खेतों में बहुत मेहनत करता था पर फिर भी उसकी फसल इतनी अच्छी नहीं हो पाती थी जितनी कि होनी चाहिए। परिवार के भरण-पोषण की जिम्मेदारी भी उसके ऊपर ही थी इसलिए वह कुछ चिंतित रहता था।
एक दिन उसके गाँव मे एक प्रसिद्ध संत का आगमन हुआ। बाकी गाँव वालों की तरह वह किसान भी उनसे मिलने गया। संत के पूछने पर उसने भी अपनी सारी परेशानियां कह सुनाई। उसकी सारी बातें सुनने के बाद संत ने उसे एक मंत्र दिया और उसे जपने की बिधि भी बताई।
इसके बाद संत के कहे अनुसार किसान मंत्र का जाप करने लगा।
किसान ने सच्चे मन से उस मंत्र का जाप किया और कुछ ही दिनों बाद किसान की प्रार्थना से खुश होकर उसके सामने एक देवी प्रकट हुई।
देवी ने कहा -“मैं तुम्हारी प्रार्थना से बहुत खुश हूं। तुम जो चाहो वह वर मुझसे मांग लो।” किसान थोड़ी देर तक अचंभे से उनको देखता रहा फिर कुछ सोच कर बोला कि -“मैं अभी कुछ समझ नहीं पा रहा हूँ । अगर आप सही समझे तो मैं यह वर आपसे कल मांग सकता हूँ?”
देवी उसकी बात मान जाती हैं और गायब हो जाती है। देवी के जाने के बाद किसान चिंता में डूब जाता है कि वह कल देवी से माँगेगा तो क्या माँगेगा?उसने सोचा कि उसे देवी से यह वर माँगना चाहिए कि उसकी फसल अच्छी पैदा हो या उसे गाँव का मुखिया बना दिया जाए।
उसके पास रहने के लिए अच्छा घर नहीं है उसे देवी से एक घर मांग लेना चाहिए।
कुछ इसी तरह के विचारों में वह दिन-रात बेचैन और परेशान रहता है। इस कारण ना तो वह चैन से खाना खा पाता है और ना ही रात भर उसे नींद आती है। ऐसा उसके जीवन में, अब तक पहली दफ़ा हुआ था पर फिर भी जैसे -तैसे रात कटी, सुबह हुई और देवी प्रकट हुई।
देवी ने किसान से वर मांगने को कहा तो किसान ने कहा -” हे देवी! मेरा मन कभी भटके ना। मेरे पास जितना है, मैं हमेशा उतने में ही संतुष्ट रहूँ। आप मुझे बस इतना वरदान दीजिए कि मेरा मन हमेशा भगवान की भक्ति में लगा रहे। देवी ने तथास्तु तो कह दिया। पर किसान से यह पूछा कि तुमने मुझसे कोई धन संपत्ति क्यों नहीं माँगी? देवी के यह कहने पर किसान ने जो, उत्तर दिया अगर हम उसे अपने जीवन में अपना लें तो लाख मुसीबत आने पर भी हमसे हमारा सुकून कोई नहीं छीन सकता।
किसान ने कहा कि – “देवी मेरे पास पैसा जरूर नहीं है पर मेहनत करके इतना तो कमा ही लेता हूँ कि अपना और अपने घर वालों का पेट भर सकूँ और रात को थक हार कर सो सकूँ। धन आने की उम्मीद भर से मैं कल इतना परेशान रहा कि ना तो मैनें कल खाना खा पाया और ना ही रात में सो पाया इसलिए मुझे ऐसे धन की अभिलाषा नहीं है । जो मुझसे मेरा मानसिक चैन छीन ले । मैं ऐसे ही ठीक हूं मेरे पास जितना है मैं उतने में ही संतुष्ट हूँ।
सीख
इस कहानी से हमे यह सीख मिलती है कि हमें संतुष्ट रहना चाहिए, तभी हम अपने जीवन में हर हाल में खुश रह पाएंगे। быстрые займы на карту
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