यूपी की रायबरेली संसदीय कांग्रेस और गांधी परिवार के लिए देश में सबसे सुरक्षित सीटों में से एक है. लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि इस सीट पर पार्टी के लिए खतरा मंडरा रहा है. ये हालात उस समय हैं जब खुद सोनिया गांधी इस सीट से सांसद (MP) हैं. लेकिन साल 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद और इससे पहले साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद से यहां समीकरण तेजी से बदले हैं.
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विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को यहां से सिर्फ 2 सीटे मिली थीं. लेकिन दोनों ही विधायक (MLA) जिनमें से एक अदिति सिंह अब पार्टी के खिलाफ बयानबाजी कर रही हैं. बात करें लोकसभा चुनाव की तो सोनिया गांधी इस सीट पर एक लाख के आसपास वोटों से जीती हैं. जिसमें अदिति सिंह के पिता अखिलेश सिंह का बड़ा हाथ था.
रायबरेली में सदर विधायक (MLA) अदिति सिंह कांग्रेस के लिए बड़ी मुश्किल बन गई हैं. उनके बागी तेवर पार्टी को खासा नुकसान पहुंचा रहे हैं. हाल ही में प्रियंका गांधी और उत्तरप्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ के बीच हुए बस विवाद में अदिति सिंह ने अपनी ही पार्टी पर सवाल उठा दिए.
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लेकिन आपको बता दें कि उनके बागी रुख की वजह से पार्टी ने बीते साल की उत्तरप्रदेश विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित को पत्र लिखकर उनकी विधानसभा सदस्यता खारिज करने का पत्र लिखा था. लेकिन अभी तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं है. लेकिन एक सच्चाई यह भी है कि कांग्रेस भले ही अदिति सिंह पर कार्रवाई करते हुए पार्टी से निकाल दे लेकिन उनकी विधायक (MLA) पद वाली कुर्सी नहीं छीन सकती है. इसके पीछे दल-बदल कानून (Anti-Defection Law) है.
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क्या कहता है दल-बदल कानून (Anti-Defection Law)
किसी भी सांसद (MP) और विधायक (MLA) की कुर्सी तभी जा सकती या अयोग्य घोषित किया जा सकता है जब वह किसी दूसरे राजनीतिक दल में शामिल हो जाए, कोई निर्दलीय किसी दल में शामिल हो जाए, अगर वह सदन में अपनी ही पार्टी के खिलाफ वोट करे. किसी भी मुद्दे पर सदस्य खुद को वोटिंग से अलग रखे.
कौन कर सकता है अयोग्य घोषित
दल बदल कानून (Anti-Defection Law) के मुताबिक किसी भी विधायक (MLA) या सांसद (MP) को अयोध्य घोषित करने का अधिकार सदन के अध्यक्ष के पास होता है. यदि किसी के खिलाफ शिकायत मिलती है तो सदन का अध्यक्ष इस पर फैसला लेता है.
बीजेपी के पास है चाबी
उत्तरप्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित हैं और वह बीजेपी के नेता भी हैं. इसलिए ऐसा लग रहा है कि जब तक बीजेपी नहीं चाहेगी तब तक कोई फैसला नहीं लिया जाएगा.
कांग्रेस के सामने है बड़ी दिक्कत
मौजूदा समय रायबरेली की 5 विधानसभा सीटों में से दो कांग्रेस, दो बीजेपी और एक समाजवादी पार्टी के पास थी. लेकिन दिनेश सिंह के बीजेपी में जाने के बाद से उनके भाई जो कि हरचंदपुर से विधायक (MLA) हैं वो भी एक तरह से बीजेपी में ही माने जाते हैं. यानी तीन विधायक (MLA) पहले से ही बीजेपी के खाते में हैं. अदिति सिंह के जाने पर विधायकों की संख्या 4 हो जाएगी. इस लोकसभा चुनाव में जीत का अंतर देखते हुए ऐसा लगता है कि अदिति सिंह का बीजेपी में जाना कांग्रेस के लिए सबसे बड़ा खतरा होगा. बीते लोकसभा चुनाव की तस्वीर देखें तो अगर इस सीट पर चुनाव हो जाए तो कांग्रेस के लिए अदिति सिंह को हराना मुश्किल हो सकता है.
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