भचक्र को राशिचक्र भी कहा जाता है।राशिचक्र या भचक्र को ZODIAC भी कहा जाता है। वास्तव में भचक्र या राशिचक्र एक ऐसी पेटी अथवा क्षेत्र है जिसके भीतर-भीतर ही सर्य आदि ग्रह भ्रमण करते हैं, अथवा इस चक्र से बाहर जा ही नहीं सकते। अतः भचक्र एक कलिपत वृत है। अंतरिक्ष में सूर्य जिस मार्ग से भ्रमण करते हुए हमें दिखता है। उसे क्रान्तिवृत ECLIPTIC कहा जाता है। सब ही ग्रह इस मार्ग से या इसके नजदीक सूर्य की परिक्रमा करते हैं. इसे सूर्य का पद भी कहा जाता है। क्योंकि सूर्य 12 राशियों में एक वर्ष में एक बार इसी पथ में भ्रमण करता है। सच तो यह है कि क्रान्तिवृत वास्तव में पृथ्वी का परिक्रमा करने का पथ अथवा मार्ग है और पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा एक वर्ष में सभी राशियों में कर लेती है। आमतौर पर यह ही कहा जाता है कि सूर्य क्रान्तिवृत की 12 राशियों में एक वर्ष में परिक्रमा करता है। वास्तव में जो दिखाई देता है वह है नहीं!
संक्षेप में क्रान्तिवृत के उतर दक्षिण 90-9 की चौड़ाई का एक कल्पित पेरी, पट्टा या क्षेत्र माना जाता है जिसे भचक्र राशिचक्र कहते हैं क्योंकि समस्त ग्रह इन कल्पित पेरी, यहाँ के भीतर-क्रान्तिवृत पर या इसके उतर दक्षिण होकर ही घूमा करते हैं। यह खगोल मंडल भचक्र को 12 भागों में बाँटा गया है। यह वृत 360° अंश का विस्तार रखता है। इस तरह इसके 30 अंश के 12 भाग माने गए हैं। प्रत्येक भाग को एक राशि का नाम दिया गया है। राशि स्थिर मानी गयी है परन्तु ग्रह इसमें घूमते हैं। यदि इसी पट्टे के 27 समान भाग किए जाएं तो 27 नक्षत्र होते हैं। राशि चक्र को नापने के लिए जो स्थान नियत किया गया है वह मेष राशि का आदि स्थान है,यह राशिचक्र अपनी धूरी पर दिन में एक बार पूर्व से पश्चिम की ओर घूमता है। इसी भ्रमण के कारण राशियों का उदय और अस्त भी होता है।
जितने समय में किसी ग्रह का भचक्र का एक चक्कर पूरा होता है उसे भंगण कहा जाता है। यह भगण प्रत्येक ग्रह का अलग-अलग होता है जैसे सूर्य यह चक्कर (अर्थात 30 अंश) एक महीने में और गुरू 13 मास में पूरा करता है। चन्द्रमा इस एक क्षेत्र को 21/4 दिन में ही पूरा कर लेता है। इस क्षेत्र एवं राशियों की संक्षेप जानकारी इस तरह हैं।
राशियों के नाम
जैसे पहले बताया गया है कि खगोल मंडल भचक्र को समान 12 भागों में बांटा गया हैं। प्रत्येक भाग को एक राशि कहते हैं। पूरा विस्तार 360 अंश का है, अतः एक राशि 30 अंश की होती है। इस तरह भचक्र के 30 अंश तक एक भाग को राशि कहा जाता है, और जो नापने का बिन्दु स्थान नियत किया गया है वह मेष राशि का स्थान है। अतः राशियां मेष से आरम्भ होती हैं। राशियां 12 होती हैं जो इस प्रकार हैं।
संक्षेप राशि ज्ञान
क्रम के अनुसार राशियों के नाम दिए गये हैं। ! जैसे बताया गया है कि राशिचक्र अपनी धुरी पर चलता रहता है अतः प्रत्येक राशि को रात-दिन में एक बार सामने आने अथवा उदय होने का अवसर मिलता है।
- उदय होने वाली राशि अथवा लग्न- हमारा भचक्र सदैव चलता रहता है, चौबीस घंटे में बारह राशियों को उदित होने अर्थात चढ़ने अथवा सामने आने का अवसर मिलता है। आमतौर की एक राशि लगभग दो घंटे रहती है और फिर उससे अगली राशि क्रमानुसारी आ जाती है। जो कार्य किसी दिए गए अथवा विशेष समय पर उदय हो रही हो वह लग्न राशि कहलाती है तथा उसे कुण्डली के पहले भाव में लिखा जाता है। सारांश यह कि जो राशि इष्टकाल समय उदय होती है वह लग्न राशि होती है। .
- जन्म राशि- जन्म समय राशि में चन्द्रमा होता है वह जन्म राशि कहलाती है। जैसे यदि जन्म की समय चन्द्र धन राशि में होगा तो जन्म राशि धन होगी। चन्द्रमा राशि ही जन्म राशि कहलाती है।
- जन्म नक्षत्र- एक राशि 30 अंक की होती है और एक राशि में लगभग 211 नक्षत्र होते हैं। एक नक्षत्र 13 अंश 20 कला का होता है। जिस नक्षत्र में जन्म के समय चन्द्रमा होता है। वह जन्म नक्षत्र कहलाता है। यदि किसी व्यक्ति की राशि (चन्द्रमा राशि) धन है तो उसकी जन्म राशि धन हुई तथा यदि चन्द्रमा इस राशि में 13 अंश 20 कला जन्म नक्षत्र मूल जानना चाहिए।
- सूर्य राशि- जिस राशि में जन्म के समय सूर्य होता है, वह सूर्य राशि कहलाती है। जातक की कौन सी सूर्य राशि होती है, सारणी वाले भाग में दे दिया गया है।
- नाम राशि- किसी भी व्यक्ति के नाम के पहले अक्षर से यह राशि जानी जाती है। यहां जो चक्र दिया है, उससे यह पता लगाया जा सकता है कि कौन सा अक्षर यदि नाम की आरम्भ में होगा तो कौनसी राशि होगी। जन्म राशि तथा नाम राशि को लेकर कई बार भ्रम पड़ जाता है। यदि किसी का नाम चन्द्र राशि के अनुसार रखा गया है तो उसकी चन्द्र एवं नाम राशि एक हो सकती है।
सर्वाधिक महत्वपूर्ण लग्न राशि होती है इसके द्वारा ही जीवन सम्बन्धी सम्पूर्ण विस्तार पूर्वक हाल जाना जा सकता है। दूसरे स्थान पर चन्द्र राशि आती है। यद्यपि यह भी लग्न की तरह महत्वपूर्ण के फिर भी यदि लग्न ज्ञात है तो लग्न राशि को ही प्रमुखता देनी चाहिए । । यदि लग्न एवं चन्द्र राशि ज्ञात नहीं है तो सूर्य राशि के अनुसार भी जीवन का हाल देखा जा सकता है। सारणी वाला भाग देखने के सूर्य राशि व अन्य जानकारी सहज ही मालूम हो जाएगी।
लग्न, चन्द्रमा राशि, सूर्य राशि आपको तभी मालूम हो सकेगी याद आपके पास जन्म समय, स्थान, तारीख, माइ व सन् आदि का विवरण होगा। यदि आपकों यह सब ज्ञात नहीं तो फिर नाम राशि से फल देखा जा सकता है, ऐसा फल साधारण व आम ही होता है परन्तु … कई स्थितियों में यह भी बड़ा समीचीन होता है।
पुरूष/स्त्री राशि
राशियों का परिचय और प्रभाव
मेष
यह राशि, राशिचक्र का प्रारम्भ स्थान की बिन्दु है अतः यदि यहां लिखा ही मेष राशि सूचित करती है। क्रम से यह प्रथम राशि है। खगोल मंडल में इसकी दिशा पूर्व दिशा है। मेष चर एवं अग्नि तत्व राशि है। यह पिछले भाग से उदित होने वाली राशि है। इस राशि का रंग लाल, स्वभाव उग्र तथा प्रभाव गर्म शुष्क है। यह विषम व पुरूष तथा क्षत्रिय जाति राशि है। यह दिन वली और उसका वास पर्वत वन है। मंगल इसका स्वामी ग्रह है। सूर्य इसमें उच्च का तथा शनि नीच का होता है। गेहँ अलसी, मसूर इस राशि के धान्य हैं। यह ऊनी वस्त्र, भूमि पर होने वाली औषधियों की सूचक हैं।
कद मझला, शरीर पतला किन्तु सुगठित, रंग गेहुंआ व साफ परन्तु रंगरूप अधिक चिकना चुपड़ा नहीं होगा। गला एवं मुँह कुछ लम्बा भवों पर घने बाल, सिर के बाल कुछ रूखे-रुखे होते हैं। मेष राशि वाले अच्छे दवदवे वाले होते हैं और दृष्टि तेज होती है।
यह तेज़ मिजाज़ फुर्तीले व क्रोधी होते है। यह बहुत महत्वकांक्षी होते हैं। इनमें साहस कूट-कूट कर भरा होता है। हिम्मत तथा शक्ति कमाल की होती है। यह किसी के आधीन रहकर कार्य करना पसन्द नहीं करते। यह निडर एवं निर्भय होते हैं तथा जोखिम के कार्य बड़ी कुशलता से करते हैं। इनकी इच्छा शक्ति प्रबल होती है। जिस कार्य के पीछे पड़ जाए पूरा करके ही छोड़ते हैं। स्वतंत्र रूप से कार्य करना ही ठीक समझते हैं। खुशामद इन्हें खूब अच्छी लगती है तथा आलोचना का बुरा मानते हैं। हर कार्य में जल्दबाज करते हैं। क्रोध जल्दी आता है और धीरे-धीरे ही जाता है। कुल मिलाकर इनमें चतुराई, कुशलता, नयायिक कुशलता दृढ़ण एवं दूसरों का सामना करने का पूर्ण साहस होता है। यह पुलिस, सेना, स्वास्थ्य विभाव, डाक्टर, इन्जीनियर सफल होते हैं।
इस राशि की स्त्रियां जिद्दी होती हैं। यह चतुर, स्पष्टवादी, अनुशासन प्रिय, साहसी तथा वह सत्य के लिए संघर्ष करने को प्रयत्नशील रहती हैं। यह कुछ मनमानी भी करती हैं। जीवन में संघर्ष करना पड़ता है। यह आत्मनिर्भर भी बन जाती हैं। यह अपनी प्रशंसा सुनने की बहुत इच्छुक होती हैं। यह व्यवहार कुशल होती हैं। परन्तु जिद्धी स्वभाव के कारण हानि उठाती हैं। यह डाक्टर सर्जन बनती हैं।
वृष
इस राशि का क्रमांक 2 है। खगोल मंडल में इसकी दिशा दक्षिण मानी गई है। इसकी आकृति बैल जैसी तथा यह सम, स्त्री, स्थिर एवं पृथ्वी तत्व राशि है। इसका स्वभाव सौभ्य, बात वित प्रकृति, वैश्य जाति, रंग दही जैसा सफैद है। यह राशि रात्रि वली मनी गई है। यह सरल भूमि में विचरण करने वाली एवं इसका प्रभाव सर्द शुष्क है। इस राशि का स्वामी शुक्र ग्रह हैं। इस राशि में चन्द्रमा उच्च का होता है।
कद औसत, ललाट चौड़ा, गर्दन सुगठित, कन्धे चौड़े, सुगठित एवं मोटे, आंखे चमकदार, बाल काले तथा कई बार आगे से धुंघराले होते हैं। कई बार मुँह पतला, शरीर भारी-भरकम होता है। दुःस्वप्न, आंखों के विकार, ऊपरी वृषा का प्रकोप इसका प्रभाव माना है। ज्वार, चावल तथा बाजरा इसका धान्य है।
वृष राशि स्थिर एवं पृथ्वी तत्व राशि है। इसलिए इनमें सहनशीलता बैर्य बहुत होता है। यह परिश्रमी होते हैं तथा लम्बे समय तक कार्य लगे रहते हैं। यदि इनको अधिक छेड़ा जाए तो ये क्रोधित हो जाते ऐसी स्थिति में यह सब किया-धरा बिगाड़ देते हैं और फिर जल्दी में नहीं आते। वे जिद्धी व अड़ियल भी होते हैं। इनकी स्मरणशक्ति होती है। यह इर्षालू होते हैं। भौतिक जगत में विचरण करके ये प्रसन्न रहते हैं। किसी बात को यह वर्षों तक मन में रखते हैं और मन की बात किसी को नहीं बताते जब तक इनका उद्देश्य पूरा न गए। सांसारिक सुखों तथा धन एकत्र करने की ओर अधिक रूचि हैं। यह विलासी एवं कार्य व्यवहार में कुशल होते हैं। घमण्डी, पानी, हठधर्मी, भड़क पड़ने वाले, पेटू, अपने आप में मस्त, पीने के शौकीन तथा अपनी ही धुन में मस्त रहना इनका विशेष व होता है। यह दयालु, भोगी, दृढ़ प्रतिज्ञ एवं ईमानदार होते हैं।
वृष राशि की स्त्रियां प्रायः सुन्दर होती है। यह मेहनती होती हैं। दी होती है और संघर्ष करने को तत्पर रहती है। यह कुशल सहनशील, मितव्ययी और व्यवहार कुशल होती है। यह आत्मनिर्भर बन जाती है। इनका प्रेम निष्कपट होता है। यह भावक भी होती है।
अभिनेता, संगीतकार, कला, नर्सिंग, शिक्षा, व्यापार, बैकिंग आदि में सफल होते है।
मिथुन
इस राशि की क्रमांक तीन है। यह विषम, पुरूष एवं द्विस्वभाव राशि है। वायु तत्व, क्रूर स्वभाव तथा खगोल मंडल में इसकी दिशा पश्चिम मानी गयी है। इसी आकृति युगल, पुरूष स्त्री तथा रंग हरा है। इसका प्रभाव उष्णतर, जाति शूद्र, दिन वली द्विपद एवं वन में विचरण करने वाली है। उसका स्वामी ग्रह बुध होता है। राहू इस राशि में उच्च फल का और केतू नीच फल का माना गया है।
इसका कद लम्बा परन्तु साधारणतया कई बार कद छोटा भी देखा गया है। शरीर संतुलित होता है तथा साधारणतया बाहें शरीर के अनुपातानुसार लम्बी होती हैं। इसके प्रभाव से रंग न अधिक गोरा होता है और न ही काला, इसके प्रभाव मे चेहरा गोल एवं नाकार से कई बार तोते जैसी होती है। आंखें छोंटी परन्तु दीख व दष्टि तीज होती है। जल्दी-जल्दी चलना इनका स्वभाव होता है। बाल घने काले होते हैं तथा कान छोटे होते हैं। परन्तु आकर्षक होते हैं। इसका धान रूई, कपास् तथा शरद के धान्य व जंगली फल आदि माने गए हैं।
ये बुद्धिमान, ज्ञानी, बलवान तथा दूसरों के साथ काम करने वाले होते हैं। यह विद्या प्रेमी, अध्ययनशील, न्यायिक बुद्धि, संगीत प्रिय, शायर, कविता लिखने आदि के प्रेमी होते हैं। इनमें विश्लेषण करने की पूर्ण सार्मथ्य होती है। यह बड़े ही प्रतिभाशाली, फुर्तीले. चतुर, राजनीतिज्ञ, व्यापारी, बहुत अच्छे वक्ता, विनम्, विनोदी, व्यंग करने व लिखने वाले होते हैं। ये समाज की ओर से सम्मानित भी होते हैं। ये मस्तिष्क पर बोझ अधिक डालते हैं तथा दिमागी चिन्ता के कारण बेचैन रहते हैं। ये हर वस्तु को शंका की दृष्टि से देखते हैं।
इस राशि के प्रभाव से स्त्रियां प्रायः चतुंर, कार्यदक्ष होती है। वे अत्यधिक परिश्रमी होती है। ये काम क्रीड़ा की शौकीन व क्रोधी होती हैं उनके जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं परन्तु ये सुख चैन चाहती है।
यह वकील, बक्ता, प्रिंसीपल, मैजिस्ट्रेट, जज, नेता, व्यापारी, कुशल, अभिनेता, सम्पाद, जासूस क्लर्क, एकांउटैंट, साहित्य, सेहस तथा अर्द्ध-सरकारी संस्थाओं में सफल होते हैं। ये प्रायः स्थान तथा पद परिवर्तन करते रहते हैं और इसी कारण कई बार असफल भी रहते हैं । इनको तंतु विकार का डर रहता है।
कर्क
इस राशि का क्रमांक 4 है। यह सम, स्त्री, चर एवं जल तत्व राशि है। इनकी आकृति केकड़ा का सांकेतिक चिन्ह है। इसका स्वभाव सौम्य, दिशा उत्तर को सूचित करती है। इसका प्रभाव सर्द तर तथा यह कफ प्रधान राशि है। इसकी जाति, ब्राह्मण, रंग दूधिया सफेद, रात वली और जलचर में विचरण करने वाली है। इस राशि का स्वामी ग्रह चन्द्रमा है। इस राशि में गुरू उच्च फल का तथा मंगल नीच फल का माना गया है।
इसके प्रभाव में जातक का कद मझला तथा कई बार छोटा ही होता है। शरीर एवं शारीरिक शक्ति कोमल होती है। पुरूष जातक स्त्री की तरह कोमल होते हैं एवं स्त्री जातक अधिक कोमल व सुन्दर होती है। रंग साफ, गोरा तथा मखडा गोल होता है। इनकी चाल मस्तानी होती है शरीर का ऊपरी भाग कुछ बडा तथा निचला भाग कुछ छोटा होता है। आयु बढ़ने के साथ-साथ ये मोटे हो जाते हैं और कई बार तोंद भी निकल आती है। चन्द्रमा हस्त नक्षत्र का भी स्वामी है जो हाथा का सूचक है, इस तरह इनका पंजा काफी मजबूत होता है। इसका असर छाती पर रहता है। ये कुँए, बाबड़ी, तालाब, जल-प्रदश का सूचक हैं।
इनकी कल्पना शक्ति बड़ी अच्छी होती है। कल्पना में बहुत दूरदूर की उड़ाने भर आते हैं। उनका चित चलायमान, परिवर्तनशील एव क्रियाशील होता है। पवित्र आदर्शों पर चलने वाले होते हैं परन्तु यमन की बात किसी को कम बताते हैं। हवाई किसे बनाना भी इनका स्वभाव होता है। स्वभाव में एवं मानसिक स्थिति में चंचलता होने के कारण दूसरों के साथ एक-सा व्यवहार करना इनके वश की बात नही होता। यह विवेकशील स्वतन्त्र विचारों के स्वामी तथा अनेक कार्यों में निपुण होते हैं ये दयाल. परिश्रमी. न्यायशील. ज्ञाता तथा परिवर्तनशील होत हैं।
इस राशि की स्त्रियां परिश्रम करने वाली, शासन करने की इच्छा रखने वाली तथा घर एवं बच्चों में अत्यधिक प्रेम करने वाली होती है। ये कलात्माक एवं सौन्दर्यमुक्त वस्तुएँ बनाने में भी निपुण होती है। य चतुर भावुक, संवेदशील, विचारशील, जिद्धी तथा क्रियाशील होती है। यदि इनकों उचित समय पर प्रेरित किया जाए तो जल्द समझ जाती हैं।
डाक्टर, प्राध्यापक, नाविक, न्यायधीश, व्यापारी, राजनेता, सफल होते हैं। ये धन प्राप्ति में लगे रहते हैं। सरकारी नौकरी, तरल पदार्थों के व्यवसाय, स्वास्थ्य, जमीन-जायदाद क्रय व विक्रय तथा कपड़ा व्यापारा भी सफल होते हैं।
सिंह
इस राशि का क्रमांक 5 है। यह विषम, पुरूष स्थिर तथा अग्नि तत्व राशि है। स्वाभाव क्रूर माना गया है। खगोल मंडल में इसकी दिशा पूर्व है। इसकी आकृति सिंह पर सांकेतिक चिन्ह है। दिन बली तथा पर्वत आदि ने विचरण स्थान है। इसका स्वामी सूर्य है।
इसके प्रभाव के अधीन जातक का शानदार एवं दबदबे वाला व्यक्तित्व, मस्तक चौड़ा तथा कद औसत होता है। इनका शरीर सुगठित होता है। और हड्डियां मज़बूत होती हैं, आमतौर पर देखा गया है। यदि सूर्य कमजोर होगा तो अस्थिभंग होते रहते हैं। इसके प्रभाव में जातक के कन्धे भरे हुए व पठे मज़बूत होते हैं। आंखे चमकदार तथा दृष्टि तीक्ष्ण होती है। रंग गेहुँआ एवं सिर पर बाल कम होते हैं। आंखों की भवों के बाल भी साधारणता कम ही होते हैं। इनका स्वास्थ्य अच्छा होता है तथा जीवन शक्ति भरपूर होती है। शरीर का ऊपरी भाग कुछ स्थूल तथा निचला अर्द्धभाग कुछ पतला होता है।
सिंह राशि के जातक उदार, निडर, स्वाभिमानी, इरादे, के पक्के, साहसी, उत्साही, उच्य अभिलाषी, धैर्यवान् महत्वाकांक्षी, स्नेही, कृपालु, निष्ठावान, समय तथा ड्यूटी के बड़े पाबान्द होते हैं। ये उतम प्रबन्धक, आगू एवं विशाल हृदय होते हैं। यह अपने विचारों पर दृढ़ रहते हैं। ये दूसरों की सहायता करके बड़े प्रसन्न रहते हैं। अपने लक्ष्य प्राप्त हेतु दृढ़ इरादे एवं मजबूती के साथ चलते हैं। अपने लक्ष्य प्राप्ति हेतु सही ढंग अपनाते हैं। इन्हें क्रोध जल्दी आता है। किन्तु आन्तरिक्ता से किसी को हानि नहीं करना चाहते। बुराई का बदला भलाई में देते हैं। ये कुछ जल्दबाज होते हैं। प्रत्येक कार्य शीघ्रता से करना चाहते हैं तथा दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करते हैं। नेता होने की उनमें पूरी सार्मथ्य होती है। इनकी आवाज़ भारी होती है। ये तेजस्वी होते हैं। प्रभावशाली व्यक्तित्व, रोबदार आवाज़ के कारण से घर, सुसाइटी या दफ्तर में आम पहचाने जा सकते हैं। इसी राशि की स्त्रियां दयाल जिद्धी, अनुशासन प्रिय, गृहकार्य में दक्ष व संघर्षशील होती हैं. ये सन्तान का अच्छा पालन करती हैं। पति और पुत्र पर अंकुश रखना पसन्द करती हैं। ये सामाजिक एवं धार्मिक कार्यों में अग्रणीय रहती है। ये स्वाभिमानी होती हैं।
ये नेता, अभिनेता, अभियन्ता, डाक्टर, सैनिक, वकील राज कर्मचारी, अधिकारी तथा व्यापारी सफल रहते हैं।
कन्या
इस राशि का क्रमांक 6 है। खगोल मंडल में इसकी दिशा दक्षिण . होती है। यह सम, स्त्री एवं द्विस्वभाव राशि है। पृथ्वी तत्व, सौम्य . स्वभाव को सूचित करती है। उसकी प्रकृति रात है तथा प्रभाव सर्द शुष्क है। इनकी जाति अथवा वर्ण, वैश्य, रंग पांडुरंग, हरा, चितकबरा, राशि बली, द्विपद एवं सरल भूमि में विचरने वाली है। इसका स्वामी बध है तथा यह अस्थिर स्वभाव की मालिक है।
इसके प्रभाव के अधीन पतला, कद लम्बा परन्तु कई जातक छोटे कद के भी देखे गए हैं। बाल घने होते हैं, आंखें छोटी-छोटी और नज़र तेज़ होती है। रंग साफ गेहुँआ तथा यह जल्दी-जल्दी चलते हैं शरीर चिकना व कोमल होता है। ये बड़े चुस्त होते हैं तथा सही आयु से इनकी आयु कम ही प्रतीत होती है। ये बड़े फुर्तीले और सूझवान होते हैं।
ये न्यायप्रिय दयालु होते हैं और प्रत्येक कार्य को बहुत ठण्डे दिमाग में सोचते हैं। यह बुद्धिमान, विचारशील, विवेकशील, चिंतक, ज्ञानी, ध्यानी तथा सूझवान होते हैं। उलझनों तथा समस्ताओं की गुत्थी सलझाने की इनमें पूरी सार्मथ्य होती है। स्वभाव परिवर्तनशील होने के कारण कई बार परिजन नाराज़ हो जाते हैं। ये अति चतुर होते हैं और तुरन्त अवसर संभाल लेते हैं। इनमें सर्वगुण पाए जाते हैं। परन्तु स्वार्थ एवं भोग की प्रकृति के कारण ये अधिक मानसम्मान, प्रतिष्ठा पाप्त नहीं कर सकते। यह मानसिक रूप से बहुत उन्नत होते हैं। ये विपत्तियों में बुद्धि से काम लेते हैं और सफलता पाते हैं। इनका व्यक्तित्व हस्मय होता है। ये जीवन की व्यवाहारिकता से जीना चाहते हैं। ये .. सांसारिक एवं सामाजिक कार्य में अधिक रूचि लेते हैं। ये धैर्यवान, सन्नसित, सहनशील, आत्मविश्वासी व चतुर होते हैं। कन्या राशि वालों को कैसी भी चिन्ता हो परन्तु इनके चेहरे पर हर समय मधुर कान देखने को मिलेगी।
इस राशि की स्त्रियाँ उधार, परिश्रमी, चतुर, सरल व धार्मिक है। ये सम्मान प्राप्त करती है। ये शंकालु एवं अविश्वासी प्रवृति के रण चिन्ता में रहती हैं। ये व्यवहार कुशल होती हैं तथा अच्छी माता व पत्नी बनती हैं।
ये व्यापारी, कवि, चित्रकार, ऑटितर, पत्रकार, राजदूत, लेखक, यापक, डॉक्टर, एकांउटैंट, वकील, ज्योतिष नर्स, फार्मासिस्ट, क व सैक्रेटरी सफल होते है।
तुला
इस राशि का क्रमांक 7 है। यह विषम, पुरूष एवं चर राशि है। यह वायु तत्व राशि है तथा इसका स्वभाव क्रूर माना गया है। इसकी जाति अथवा वर्ण शद्र एवं रंग दही जैसा सफेद है। यह दिन में बजी मानी गयी है तथा इसका विचरण स्थान बन है। इसकी आकृति तराजू, प्रभाव उष्णतर व वादी है। इसका स्वामी ग्रह शुक्र होता है। इस राशि ने शनि उच्च फल का तथा सूर्य नीच फल का होता है। इसकी दिशा पश्चिम मानी गयी है।
इस की प्रभाव की अन्तर्गत कद लम्बा, एक-सा शरीर, देखने में शानदार व आकर्षक, हाथ, पैर, बाहें कुछ पतले होते हैं। रंग साफ सुन्दर, रूपवान होते हैं। सुन्दर आंखे एवं नाक कई बार तोते जैसी होती है। चेहरा गोल तथा कई वार चकौर भी होता है। इस राशि की स्त्री जातक बहुत सुन्दर होती है तथा कश्यों की आंखें नीली व बाल घुघराले होते हैं इस राशि के जातक आयु की बढ़ने के साथ कई बार अधिक लम्बे हो जाते हैं। यह कमर पर प्रभाव डालती है। इससे सुनसान चौराहा का बोध होता है।
तुला राशि फलों में समता, दयालुता व स्नेहशीलता बहुत होती है तथा इनके विचार शुद्ध होते हैं। ये बड़ी ऊँची आशाएँ, उम्मीदें रखने वाले होते हैं और बातुनी भी होते हैं। ये सन्तुलित मस्तिष्क के होते हैं और निर्णय सोच-विचार उपरान्त करते हैं। ये न्यायप्रिय, लोकप्रिय, कलाप्रेमी, निपुण, मृदुभाषी, निडर, समाज सुधारक, ऐश्वर्यवान तथा बलिदान करने की भावना रखते हैं एवं सार्मथ्य होते हैं। ये शान्ति प्रेमी होते हैं। परन्तु अनुचित दबाव सहन नहीं करते। धमकी देकर इनमें । कोई भी वस्तु प्राप्त नहीं की जा सकती। ये आलोचना रचनात्मक ढंग की करते हैं। ये शौकीन तबीयत के होते हैं। इनकी कल्पाना शक्ति भी .. बहुत होती है परन्तु उन विचारों को वास्तविक रूप देना इनके वश की बात नहीं होती।
इस राशि की स्त्रियां अति सुन्दर होती हैं। ये सौन्दर्य एवं स्वच्छता से बहुत लगाव रखती हैं। संगीत व ललित कलाओं में विशेष रूचि लेती है। ये सब को समान भाव से देखती है। जीवन में कई उतार चढ़ाव भी आते रहते हैं। यह शान्ति एवं न्यायप्रिय होती है।
ये व्यापारी, वकील, अभिनेता, नेता, आर्कीटैक्ट सेलमैन, लेखन प्रापर्टी डीलर, अर्दशास्त्री, न्यायाधीश व ठेकेदार सफल होते हैं।
वृश्चिक
इस राशि का क्रमांक 8 है। यह सम, स्त्री तथा स्थिर राशि है। जल तत्व, स्वभाव सौम्य एवं खगोल मंडल में उत्तर दिशा सूचित करता है। ब्राह्मण जाति अथवा वर्ण होता है तथा इसका रंग सुर्ख लाल माना गया है ये रात वली तथा इसका विचरण स्थान जल एवं कीटक है। इसका प्रभाव सर्द तर तथा सांकेतिक चिन्ह बिन्दु है। इसका स्वामी ग्रह मंगल है । चन्द्रमा इस राशि में नीच का होता है। इसका प्रभाव गह्य शद्रय पद होता है। बिल खडडे उजाड प्रदेश इसके सूचिक है. तथा नागदोष बुद्धिमान. दाय इत्यादि इसके लक्षण माने गए हैं।
इसक प्रभावाधीन कद औसत. कई बार छोटा परन्तु सुगठित एवं । शरार होता है। पठे मज़बूत, लम्बा व चौड़ा चेहरा होता है। । माटी गर्दन,पैर, टांगे कुछ बेढंगे, बाल काले और कई बार घुंगराले होते हैं। इस राशि के प्रभावाधीन जातक का रंग काला, सावला व पीला अथवा गेहंआ होता है। जातक रौबदार होता है। दीख आकर्षक होती है। वृश्चिक राशि वालों का व्यक्तित्व प्रभावी होता है।
इनकी बुद्धि तीक्षण, चंचल स्वभाव होता है, ये आदर्शवादी होते हैं। अथवा अपनी धुन के पक्के होते हैं। इनकी इच्छा शक्ति प्रबल होती है । ये जोशिले होते हैं। तथा इनके विचार स्वतन्त्र होते हैं। इनमें साक्ष्यता अधिक मात्रा में होता है। ये अपनी जिद्ध अथवा हठ पूरा करने बाले होते हैं तथा दूसरों के समझाने पर भी नहीं समझते। ये धैर्य से कार्य करने वाले होते हैं परन्तु स्वभाव कुछ कड़वा होता है, इनकी कल्पनाशक्ति तथा अफ्रज्ञान प्राप्त होता है। ये परिश्रमी, आत्मविश्वासी पता तथा झगड़ालू होते हैं। इनकी अपनी ही रूचि एव ” । बदला लेने की प्रबल भावना होती है।
इस राशि की स्त्रियां जिद्धी एवं हठी होती हैं। ये दूसरों के भेद जानकर लाभ लेने में निपण होती हैं। अपने स्वार्थ के लिए ये दूसरों का हित नहीं देखती। इनमें उतावलापन अधिक होता है। ये किसी के नियंत्रण में रहना पसन्द नहीं करती, ये चतुर होती हैं और व्यवसाय में सफल रहती हैं।
वृश्चिक राशि वाले राजनैतिक, आलोचक, डॉक्टर, सर्जच, सेना, अभियन्ता, हर्वाजिस्ट, रसायन शास्त्री बीमा, पुलिस रजिस्ट्रार सफल होते हैं।
धनु
इस राशि का क्रमांक 9 है। खगोल मंडल में इसकी दिशा पूर्व मानी गयी है। यह विषय, पुरूष एवं द्विस्वभाव राशि है। अग्नि तत्व तथा इसका स्वभाव क्रर है। इसकी जाति अथवा पूर्ण क्षत्रिय, पित प्रधान राशि मानी गयी है। इसका विचरण स्थान तथा निर्जल खुला मैदान है। इसका प्रभाव उष्ण तर, रंग पीला है। अंगरोग, गुप्तरोग, योगिनीदोष तथा फीकापन इसका लक्षण है। इस राशि का स्वामी ग्रह गुरू है। ज्योतिष शास्त्र के विद्वानों के अनुसार केतू इसमें उच्च फलदायक एवं राहू नीच फलदाता होता है।
इसके प्रभावाधीन कद साधारणतया लम्बा तथा शरीर सुगठित ‘ होता है। मस्तक लम्बा, नाक, कुछ लम्बी, रंग साफ व गोरा, बाल काले, भूरे, हल्के भूरे तथा व्यक्तित्व शानदार होता है। इस राशि वालों की आखों में चमक साधारणतया अधिक है। ये जातक सुन्दर स्वरूपवान होते हैं।
धन राशि वाले बुद्धिमान, ईमानदार, सत्यवादी होते हैं। ये साहसी, न्यायप्रेमी, परिश्रमी तथा महत्वाकांक्षी होते हैं। इनमें शक्ति, उत्साह एवं आत्मविश्वास उत्तम होता है। ये सतपुरूष,,धनवान होते हैं और धार्मिक कार्यों में रूचि लेते हैं। आध्यात्मिक पक्ष से भी ये सुघड़ होते हैं, यो कठिन समस्याओं की अपने धैर्य, संतोष साहस एवं परिश्रम से सुलझाते हैं। ये निर्णय लेने से पहले काफी सोच विचार करते हैं। ये ईश्वर को मानने वाले होते हैं तथा साधारणतया सच बोलते हैं। इसी कारण जीवन में इन्हें परेशानी भी झेलनी पड़ती है। उनको भविष्य की चिन्ता एवं कल्पित दुःख सताते रहते हैं। धनु राशि वाले अध्यनशील तथा स्वतन्त्र प्रेमी होते हैं तथा इनकी स्मरणाशक्ति तीव्र होती है। यह दयालु, प्रतिभावान व कर्तव्य निष्ठ होते हैं।
धनु राशि की स्त्रियां परिश्रमी व मधुर व्यवहार की होती हैं। ये दयालु एवं बुद्धिमान होती है। तथा किसी विपत्ति में कम ही घबराती हैं। ये धुन की पक्की व संवेदनशील होती है। इनका व्यक्तित्व आकर्षण होता है। ये धार्मिक एवं सामाजिक कार्यों में अधिक रूचि लेती है. ये कुछ हठी एवं जिद्दी स्वभाव की होती हैं।
धनु राशि वाले वकील, सेनापति, पुलिस, शिक्षा बैंकिग, प्रकाशन तथा राज्य सेवा में सफल रहते हैं। ये प्रोफेसर, अध्यापक, ज्योतिष लेखन तथा सफल नेता होते हैं।
मकर
इस राशि का क्रमांक 10 है। यह सम, स्त्री तथा चर राशि है। पृथ्वी तत्व एवं स्वभाव सौम्भ है। ये बात प्रधान है तथा खगोल मंडल में इसकी दिशा दक्षिण है। वर्ण अथवा जाति वैश्य, तथा रंग स्याह काला है। यह रात्रि बजी और इसका विचरण स्थान भूमि है। इसका प्रभाव सर्द शुष्क है तथा सांकेतिक चिन्ह मगरमच्छ माना गया है। इस राशि का स्वामी धनि होता है। इस राशि में मंगल उच्च फल की तथा गुरू नीचा फलदायक होता है।
इसके प्रभावाधीन जातक दुबले-पतले होते हैं और धीरे-धीरे बढ़ते फूलते हैं। युवा होते ही कद भी लम्बा हो जाता है। इनका शरीर पतला है तथा यह कोई विशेष सुन्दर नहीं होते। मुखड़ा लम्बा पतला होता है। एवं ठुड्डी कुछ बंड़ी एवं कुछ बाहर की होती है। इनका शरीर इतना सुगठित नहीं होता। इनकी गर्दन पतली एवं कुछ मोटी होती है। इनके बाल घने काले होते हैं।
साधारणतया इनके घुटने दुर्बल अथवा कमजोर होते हैं। ये अनुशासनप्रिय, कुछ घमण्डी, अपने सम्बन्ध में ही सचिन वाले, मितव्ययी तथा प्रत्येक कार्य में सावधानी के साथ धीरे-धीर परन्तु फुर्ति से करते हैं। ये प्रत्येक कार्य में व्यावसायिक दृष्टि से देखत हैं। पूरी तरह सोच-विचार के पश्चात ही कोई निर्णाय लेते हैं। ये शान्त चित, सहनशील, गहरी सोच विचार माने एवं सता के भूखे रोते हैं। य आज्ञाकार एवं विश्वासपात्र होते हैं परन्तु इसका दिखावा नहीं करता ये त्यागी, संयमी, ईमानदार चतर परिश्रमी सतर्क तथा धैर्यवान होते हैं। । ये राजनीतिक के दाव-पेच खब जानते हैं तथा अपने हित क लिए पलटे मारते रहते हैं। इनकी इच्छाशक्ति प्रबल होती है। एकाधिक कार्यों में ये समान रूप में माहिर होते हैं। यह बिना सोचे समझे काइ कार्य नहीं करते। एक मत के अनुसार ये कायर व लोभी होते हैं।
इस राशि की स्त्रियां महत्वाकांक्षी विचारशील व दरदर्शी होता हैं। ये परिश्रमी होती हैं और परिश्रम में विश्वास रखती हैं। ये पुरूषों को मूर्ख बनाने में भी पूरी चतुर होती है। ये कल्पनाप्रिंया, भावुक जल्दबाज वफादार होती हैं। इनके जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहत हैं। आत्मनिर्भर होती है।
मकर राशि वाले प्रायः सरकारी, शुद्ध सरकारी सेवा, व्यापार, राजनीति, खेती, पुलिस. सेना. ठेकेदारी में सफल रहते हैं। ये कर्मचारी, अधिकारी, टीचर, इन्जीनियर व सफल डॉक्टर होते है।
कुम्भ
इस राशि का क्रमांक 1 1 है। यह विषम, पुरूष एवं स्थिर राशि है। यह वायु तत्व है तथा इसका क्रूर स्वभाव है। इसका वर्ण अथवा जाति शूद्र तथा खगोल मंडल में इसकी दिशा पश्चिम है। इसका रंग स्याह तथा प्रभाव उष्णतर है। यह दिन बली है तथा इसका वियरता स्थान बन है। इसका असर पाँच के तले पर होता हैं। अपुत्र स्त्री का दोष, प्रेत-पीड़ा इसके लक्षण हैं। गली, गटर, जलाश्य इसके सूचित है।
कुम्भ राशि वालों का रंग साफ व गोरा होता है कद लम्बा तथा शरीर बढ़ियां एवं अकर्षक होता है। इनके दांत कुछ खराब होते हैं परन्तु ये सुन्दर रूपवान होते हैं। इनके बाल काले तथा चेहरा गोल होता है। कईयों का कद औस्त दर्जे का होता है। साधारणतया कुम्भ राशि वाले गोल-मोल पुष्ट शरीर वाले होते हैं।
ये एकान्तप्रिय होते हैं। ये धैर्यवान एवं परिश्रमी होते हैं। इनकी इच्छाशक्ति मज़बूत व प्रबल होती है। ये बड़े समझदार होते हैं। परन्तु इन्हें अपनी बात को समझने एवं स्पष्ट करने में कठिनाई आती है। किसी भी कार्य का निर्णय यह सोच विचार कर सकते हैं। ये अच्छे चरित्र की स्वामी होते हैं। तथा इनका स्वभाव गम्भीर होता है। चूँकि ये गम्भीर होते है, इसी लिए इनके मेल-जोल का क्षेत्र कम होता है। ये चापलूसी पसन्द नहीं करते और न ही चापलूसी का उस पर कोई प्रभाव पड़ता है। यह अपने सिद्धान्तों पर दृढ़ रहते हैं। सोसायटी, सभा में यह हर बात नाप तौल कर करते हैं तथा लोग इनकी बात बड़े ध्यान एवं श्रद्धा से सुनते हैं। यह पारखी, ज्ञाता, चतुर, दार्शनिक अथवा बुद्धिमान होते हैं। ये बड़े परिश्रमी होते हैं तथा प्रत्येक कार्य मेहनत से करते हैं। ये ज्ञानी होते हैं तथा गढ़ ज्ञान समझने का प्रयास करते हैं। इनमें बलिदान की भावना होती है। ये एकान्त प्रेमी होते हैं तथा ऐसी लगन इन्हें साधू-स्वभाव बना देती है। एक मतानुसार ये निम्न वृति के तथा चुगली करने वाले होते हैं।
इस राशि की स्त्रियां बुद्धिमान, गम्भीर शान्त, साहसी व धैर्यवान् होती हैं। ये अपने उतरदायित्व को अच्छी तरह समझती है। यह प्रेम की भूखी तथा सरल स्वभाव की होती है। ये मान-सम्मान पाती है।
यह सरकारी, अर्द्ध सरकारी, कर्मचारी, अधिकारी, नेता, । अध्यापक, वैज्ञानिक, डॉक्टर, कर्मकाण्डी, ज्योतिषी, व्यापारी कला . साहित्य, बिजली, अभियन्ता तथा कम्प्यूटर में सफल होते है।
मीन
इस राशि का क्रमांक 12 है। यह सम, स्त्री एव द्विस्वभाव राशि है। ये जल तत्व राशि है और इसका स्वभाव है। यह कफ प्रधान तथा खगोल मंडल में यह उतर यह उतर दिशा को संचित करती है। इसका वर्ण अथवा जाति ब्राहाण तथा रंग पिंगल भुरा, पीला है। यह रात्रि बलि है और इसका विचरण स्थान जल है। इस राशि का संकेतिक चिन्ह मछली है। इसका प्रभाव सर्द तर है। इसमें शुक्र उच्च फल का तथा बुध राहू नीचा फलदायक माने जाते है।
इस राशि के जातकों का कद मझला होता है। इनका रंग साफ एवम मस्तक चौडा होता है। इनकी आंख बडी तथा कुछ बाहर होती हैं । मीन राशि वालों के प्राय: ये शरीर के पट्टे अच्छे मज़बूत होते है । ये शरीर के अच्छे मज़बूत होते है । परन्तु देखा गया है कि कई जातक ढीले व कुछ मोटे एवं निचला भाग कुछ पतला इनकी अथवा व्यक्तित्व अच्छा होता है। इनकी बाणी मधुर होती है।
मीन राशि के जातकों का आमतौर पर मन बेचैन रहता है। बिचारों में परिवर्तन होता रहता है। विलासी होते हैं। ये कल्पनाशील एव्ं विलासी होते है। ये अपने सम्मान का भी पूरा ध्यान रखते हैं। इनमें हकूमत करने की प्रबल भावना होती है । ये मिलनसार होते है तथा इन्है बातचीत करने का सलीका होता है इनमें प्रतिशोध की भवना बहुत कम होती है ये बडे दयालू अथवा उदार होते है ये बड़ दिल खोल कर दान देते हैं। साहित्य में इनका पूरा लगाव होता है
इस राशि की स्त्रियां स्नेहमयी, नीति-निपुण व गुणावन्ती ह दश पत्नी व माँ साबित होती है। ये कुशल गृहणी होती है । प्राप्त करती है तथा कला एवं लेखन में मान-सम्मान पाता तथा सामाजिक संस्थाओं में भी योगदान देती है।
ये अभिनेता संगीतकार, डॉक्टर, मन्त्री, नेता, मैनेजर, बैंक मैनेजर, अध्यापक, जल, तरल पदार्थों के व्यापारी तथा नेवी, परिवहन आदि में सफल होते है। займ на карту
Leave a Reply