समाज में जब भी, स्त्री धर्म का पालन करने वाली नारियों का वर्णन किया जाएगा, तब सीता माता का नाम बड़े आदर से लिया जाएगा। श्री राम की अर्धांगिनी और मिथिला की राजकुमारी सीता माता का जन्म फागुन महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को हुआ था। उनके जन्म से जुड़ी कहानियां आज भी प्रचलित हैं और उसके प्रमाण बिहार के सीतामढ़ी जिले के पुनौरा गांव में देखने को मिलते हैं, जिसे मान्यताओं के अनुसार, सीता माता की जन्म भूमि भी कहा जाता है। जिस भूमि पर सीता माता ने जन्म लिया था वहां के लोग आज भी मानते हैं कि माता सीता यहां निवास करतीं हैं और अपने भक्तों की समस्या दूर करती है।
सीता, मिथिला के नरेश, राजा जनक की बेटी थी इसलिए उन्हें जानकी के नाम से भी पुकारा जाता है। रामायण के अनुसार त्रेता युग में, एक बार मिथिला नगरी में भयानक अकाल पड़ा था। कई सालों तक वर्षा ना होने की वजह से प्रजा बहुत परेशान थी। वहां के राजा जनक अपनी प्रजा से बहुत प्यार करते थे और प्रजा की दुखी दशा उनसे देखी नहीं गई, उन्होंने अपने राजगुरु से इसका उपाय पूछा, तो राजगुरु ने बताया कि राजा जनक को एक खेत पर हल चलाना होगा। जब राजा जनक उस खेत को जोत रहे थे, तभी उसमें से एक मिट्टी का पात्र निकला जिसमें माता सीता शिशु अवस्था में थी और जिस जगह पर माता सीता ने भूमि से जन्म लिया था उस जगह का नाम सीतामढ़ी पड़ गया।
बिहार के सीतामढ़ी रेलवे स्टेशन और बस अड्डे से लगभग 2 किलोमीटर दूर माता सीता का जानकी मंदिर है। यहां एक प्रसिद्ध सरोवर है जिसका नाम जानकी कुंड है और यह मंदिर के दक्षिण में स्थित है। नवरात्रि और राम नवमी के त्योहारों के दौरान भक्त हजारों की संख्या में आते हैं और इस कुंड में स्नान करते हैं। इस सरोवर को लेकर यह भी मान्यता है कि जो महिला संतान प्राप्ति की कामना करती है और इस कुंड में नहाती है, उसे संतान प्राप्ति होती है। जानकी मंदिर से लगभग 5 किलोमीटर दूर माता सीता का जन्म स्थान है और यहां पुनौरा मंदिर है। इस मंदिर में सीता जयंती के दौरान बहुत श्रद्धालु आते हैं। मान्यता के अनुसार यह मंदिर आज से लगभग 500 साल पहले अयोध्या के रहने वाले बीरबल दास नामक एक भक्तों ने माता सीता को समर्पित किया था।
सीतामढ़ी कि उत्तर पूर्व दिशा में, लगभग 8 किलोमीटर दूर पंथ पकार नाम की एक प्रसिद्ध जगह है। जहां यह मान्यता है कि जब सीता माता विवाह के बाद अपनी पालकी में जा रही थी तो उन्होंने कुछ समय के लिए इस पेड़ के नीचे आराम किया था। इस प्राचीन पीपल के पेड़ के नीचे आज भी पालकी बनी हुई है।
सीता माता के जन्म से जुड़ा एक और स्थान है जनकपुर भारत और नेपाल की सीमा के नजदीक बसा जनकपुर सदियों से धार्मिक आस्था का केंद्र है। कहा जाता है कि राजा जनक, जनकपुर में रहा करते थे जहां सीता माता का पालन पोषण हुआ था। माता सीता को समर्पित जनकपुर में एक भव्य मंदिर है। इस मंदिर को 1911 में बनवाया गया था।
यह एक आधुनिक संरचना वाला, काफी बड़ा मंदिर है। मंदिर के प्रमुख देवता श्री राम, सीता और हनुमान हैं। यहां दो प्रसिद्ध तालाब भी है जिनका नाम है, धनुष सागर और गंगा सागर और यह मान्यता है कि यहां राजा जनक शिशु सीता को स्नान करवाते थे। मंदिर में एक बड़ा आंगन है जिसमें सौर ऊर्जा की रोशनी के लिए प्रावधान है। मंदिर का बड़ा प्रवेश द्वार, सभी श्रद्धालुओं का गर्मजोशी से स्वागत करता है। मंदिर के अंदर भक्तों के एक बड़े समूह को समायोजित करने के लिए एक विशाल प्रांगण भी मौजूद है। 2015 में आए भूकंप के कारण इस मंदिर को थोड़ा नुकसान हुआ था और इसके मरम्मत का काम आज भी चल रहा है।
हिंदू धर्म की मान्यताओं का पालन करने वालों पर रामायण का बहुत गहरा प्रभाव है इसलिए इन सभी मंदिरों में, साल के हर समय श्रद्धालुओं का आगमन रहता है।
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