कोरोना महामारी के रोकथाम के लिए पूरे विश्व के वैज्ञानिक लगे हैं। अब तक इस महामारी के कारण पूरी दुनिया में 37 लाख से भी अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं। और तक़रीबन तक़रीबन 2 लाख लोगो की मौत हो चुकी है। भारत में भी ये आंकड़ा करीब 50 हज़ार तक पहुँच चुका है। इस समय दुनिया के अधिकांश देशो में बंदी के हालत है।
ऐसे में एक्सपर्ट्स का मानना है कि कोरोना वायरस के वैक्सीन को लेकर जिस तेजी से शोध कार्य चल रहा है, वो अभूतपूर्व है। हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि किसी भी बीमारी के टीके को बनाने की प्रक्रिया सरल नहीं होती है। कई बार इसमें सालों लग जाते हैं।
किसी भी वैक्सीन का विकास कई चरणों की प्रक्रिया से गुजरता है। पहला चरण प्रयोगशाला में होता है, फिर इसका एनिमल ट्रायल (जानवरों पर परीक्षण) किया जाता है। यदि यह सुरक्षित पाया जाता है तब जाकर इसकी टेस्टिंग आम इंसानों पर की जाती है।
आम इंसानों पर भी यह जाँच तकरीबन तीन चरणों में की जाती है। पहले चरण में थोड़े से स्वस्थ लोगों पर यह टेस्ट किया जाता है। दूसरे चरण में थोड़े से अधिक लोगों का एक कंट्रोल ग्रुप होता है। इस चरण में यह देखा जाता है कि वैक्सीन सुरक्षित है या नहीं। तीसरे चरण में इस बात का पता लगाया जाता है कि वैक्सीन का कितना डोज़(खुराक) किसी शरीर पर सुरक्षित और असरदार होगा।
अब हम उन वैक्सीन पर बात करेंगे जिनके विकास पर काम अभी चल रहा है।
1. mRNA-1273
मॉडर्ना थेराप्यूटिक्स नामक कंपनी इस वैक्सीन को विकसित कर रही है। यह मेसाचुसेट्स स्थित एक अमेरिकी बायो-टेक्नोलॉजी कंपनी है। इस कंपनी का लक्ष्य एक ऐसी वैक्सीन को विकसित करना है जो मानव शरीर में कोरोना वायरस के खिलाफ रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास कर सके। इस वैक्सीन कि खास बात यह है कि इसमें कोरोना विषाणुओं का प्रयोग नहीं किया गया है।
2. INO-4800
पेंसिल्वेनिया स्थित अमेरिकी बायो-टेक कंपनी इनोवियो फार्मास्युटिकल इस वैक्सीन को विकसित कर रही है। इनका लक्ष्य ऐसी वैक्सीन को बनाना है, जिससे रोगी कि कोशिकाओं में प्लाज्मिड के जरिये DNA इंजेक्ट किया जा सके। इससे शरीर में एंटीबाडीज विकसित होने की उम्मीद है।
3. AD5-nCoV
चीनी कंपनी कैसिनो बायोलॉजिक्स इस वैक्सीन पर काम कर रही है। इसमें एडेनोवायरस के एक विशेष वर्जन का इस्तेमाल किया जाता है।
4. LV-SMENP-DC
इस वैक्सीन का विकास चीनी कंपनी शेन्ज़ेन जीनोइम्यून मेडिकल इंस्टिट्यूट के द्वारा किया जा रहा है। इसमें लेटीवायरस से बनायीं गई सहायक सेल्स का प्रयोग किया जाता है।
5. निष्क्रिय वायरस की वैक्सीन
इस वैक्सीन पर वुहान बायोलॉजिकल प्रोडक्ट्स इंस्टिट्यूट में शोध कार्य चल रहा है। इस तकनीक में निष्क्रिय विषाणुओं में कुछ ऐसे परिवर्तन कर दिए जाते हैं जिससे वे अपनी रोगकारक क्षमता खो देते हैं।
6. ChAdOx1
ब्रिटेन में ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी के जेनर इंस्टिट्यूट में इस वैक्सीन पर शोध कार्य किया जा रहा है। कैसिनो बायोलॉजिक्स कि ही तरह ये भी एडेनोवायरस के तकनीक पर काम कर रहे हैं।
इजराइल का दावा
इजराइल के रक्षा मंत्री नफताली बेन्नेट ने सोमवार को दावा किया कि देश के डिफेंस बायोलॉजिकल इंस्टीट्यूट ने कोरोना वायरस का टीका बना लिया है। उन्होंने कहा कि इंस्टीट्यूट ने कोरोना वायरस के एंटीबॉडी को तैयार करने में बड़ी सफलता हासिल की है। बेन्नेट ने बताया कि कोरोना वायरस वैक्सीन के विकास का चरण अब पूरा हो गया है और शोधकर्ता इसके पेटेंट और व्यापक पैमाने पर उत्पादन के लिए तैयारी कर रहे हैं।
भारत की 5 दवाएं अंतिम चरण में, जल्द ट्रायल
कोरोना वायरस से बचाव के लिए दवा बनाने की दिशा में भी उल्लेखनीय प्रगति हुई है। कम से कम 5 दवाएं अंतिम चरण में है। प्रधानमंत्री मोदी ने इन तमाम प्रगतियों की बारीकियों के बारे में समीक्षा ली। उन्होंने इसके जानकारों से सर्वश्रेष्ठ देने को कहा और भरोसा दिलाया कि सरकार उन्हें हर जरूरी संसाधन उपलब्ध कराएगी।
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (SIIPL) ने घोषणा की है कि कोरोनावायरस (COVID-19) के लिए एक वैक्सीन को छह महीने के भीतर मानव परीक्षण चरण में प्रगति की उम्मीद है
SIIPL द्वारा विकसित वैक्सीन उम्मीदवार, अमेरिकन बायोटेक्नोलॉजी फर्म कोडागेनिक्स के साथ साझेदारी में, प्री-क्लिनिकल परीक्षण चरण यानी पशु परीक्षण चरण में प्रगति कर चुका है। быстрые займы на карту
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