भारत में “दाल” सभी तरह की दालों के लिए एक नाम है, जैसे बिना छिलके वाली या छिलके वाली, बिना छिलके वाली मूंग, चना आदि। शाकाहारियों के लिए दालें बहुत महत्वपूर्ण होती है क्योंकि वे प्रोटीन और ऊर्जा देती हैं। विभिन्न यूनिवर्सिटीज में हुए रिसर्च ने दिखाया है कि पौष्टिक शाकाहारी आहार में, दूध के उत्पाद और दालें, लोगों के लिए सबसे स्वास्थ्यवर्धक आहार है।
इस प्रकार के आहार को इस्तेमाल करने वाले लोगों का स्वास्थ्य अच्छा रहता है और सामान्यतया आधुनिक समय की बीमारियों से ज्यादा सुरक्षित रहते हैं। शाकाहारी लोगों को पर्याप्त ऊर्जा मिल रही है यह सुनिश्चित करने के लिए उन्हें दिन में एक बार कोई भी दाल या खिचड़ी खानी चाहिए। इसके अलावा मिनरल्स जैसे कि आयरन और विटामिन बी ग्रुप से भरपूर होने के साथ, कुछ किस्म की दालों में मीट से ज्यादा प्रोटीन होता है और, यदि उन्हें सही से पकाया जाय तो उन्हे पचाना आसान होता है।
चावल में 60 प्रतिशत इस्तेमाल योग्य प्रोटीन होता है, दाल में यह लगभग 65 प्रतिशत होता है। अध्ययनों ने दिखाया है कि यदि दाल और चावल को एक साथ परोसा जाता है तो इस्तेमाल योग्य प्रोटीन की मात्रा को 85 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है।
इसीलिए, जिस दिन आपके पास समय की कमी हो, तो खिचड़ी बनाना लाभदायक होता है। यह आपकी पौष्टिक संबंधी जरुरतों को पूरा करेगा और आपकी ऊर्जा के भंडार को भी भर देगा।
सबसे ज्यादा लोकप्रिय दाल की किस्में
- मूंग दाल: ये छोटे, पीले दाले पचाने में आसान होते हैं, पौष्टिक होते हैं और वात को केवल थोड़ा सा बढ़ाते हैं। केवल छिलके वाली मूंग को इस्तेमाल करें। बिना छिलके वाली मूंग से पेट फूलने की समस्या हो सकती है और पकने में दुगना समय लगता है। यह दाल हल्की, स्वाद में थोड़ी सी कसैली होती है। मैं इस दाल के साथ खूब सारे मसाले इस्तेमाल करने की सिफारिश करता हूं।
- उड़द दाल: इन छोटे-छोटे, भूरे-सफेद दानों में मीट जितना प्रोटीन होता है और, इसीलिए, हफ्ते में केवल एक या दो बार ही खाना चाहिए। इनसे लाजवाब पैनकेक्स बनते हैं। मिसी हुई उड़द दाल सूप और सॉसेस को गाढ़ा करने के लिए अच्छी रहती है। इस दाल का अपना लगभग कोई स्वाद नहीं होता है, लेकिन मसालों के स्वाद को ग्रहण कर लेती है और इसलिए स्वाद को स्थानांतरित करने के लिए अच्छी रहती है।
- तूर दाल: संतरे रंग, गोल और चना दाल से बड़ी होती है। इस दाल में अक्सर तेल की परत चढ़ी होती है। इसे झाग बनना बंद होने तक धोना चाहिएं यह बहुत चटपटी दाल है।
- चना दाल: इसे छोटी, स्पिलिट चिकपी भी कहते हैं और चना जाति का हिस्सा है। इसका बहुत चटपटा स्वाद होता है और खासतौर से पौष्टिक होती है। इसे लंबे समय तक पकाना पड़ता है – कम से कम डेढ़ घंटे तक – तब तक यह खाने के लिए तैयार नहीं हो जाती है।
- मसूर की दाल: इसे लाल मसूर भी कहा जाता है। यह सबसे मशहूर दालों में से है। यह छोटी-छोटी, लाल, छिलके वाली दाल है और सभी दालों में से सबसे जल्दी पकती है। यह बहुत स्वादिष्ट होती है।
- काले चने की दाल: यह पूरे, छिलके वाले काबुली चने होते हैं। यह खासतौर पर पौष्टिक और बेहद स्वादिष्ट होती है। वेदों में इसे “पवित्र दाल” कहा गया है। यह भगवान विष्णु को समर्पित है। इसे बेसन बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। रातभर भिगोने के बावजूद इसे पकने में लगभग 2 घंटे लगते हैं।
इस्तेमाल करने के लिए टिप्स:
दाल को हमेशा इस्तेमाल करने से पहले धो लेना चाहिए। दाल को पकने के लिए इसकी मात्रा का तीन गुना पानी चाहिए होता है। दानों के नर्म होने पर यह तैयार हो जाती है। जब दाल पूरी तरह पक जाती है तो आपको ध्यान रखना चाहिए कि दाल आपस में चिपके नहीं, इसीलिए पकाने के दौरान इसे नियमित रुप से चलाते रहें। पकना शुरु होने पर इसमें झाग बनता है और इसे कड़छी से हटा देना चाहिए। जैसे ही यह “दाल का पानी” उबलना शुरू होता है, आंच को कम कर दें और इसे उबलने दें। बर्तन का ढक्कन पूरी तरह बंद न करें क्योंकि दाल आसानी से जल सकती है। दाल का स्वाद तब और भी बेहतर हो जाता है जब इसमें नमक और थोड़ा सा सेंधा नमक मिलाया जाता है।
दाल बनाने के दो तरीके
- थोड़ा सा घी गर्म करें और मसाले डालें। बड़े मसालों को पहले भूने उसके बाद छोटे। आखिर में घी डालें और थोड़ी देर तक भूनें। थोड़ा सा पानी उबालें और उसके बाद इसे मिश्रण के ऊपर डाल दें और दाल के तैयार होने तक हल्का का पका लें। यह तरीका केवल तब इस्तेमाल किया जा सकता है जब दाल अच्छे से धुली हो, साफ हो और सूखी हुई हो।
- दाल को साफ करें और बहते हुए पानी के नीचे झाग बनना बंद होने तक धोते रहें। गहरे बर्तन में पानी में मध्यम आंच पर पकायें। जब यह लगभग पक जाये, तो अलग बर्तन में थोड़ा सा घी गर्म करें, मसाले भूने, एक कड़छी दाल डालें और कुछ देर तक पकायें। आखिर में इसे दाल वाले पतीले में डाल दें और स्वाद अनुसार नमक और हर्ब्स मिलायें। पित्त और कफ प्रकृति वाले लोगों के लिए बहुत अच्छी होती है। जिन लोगों का वात हावी होता है उन्हें दाल केवल थोड़ी सी खानी चाहिए।
सात्विक चना दाल
तैयार करने में लगने वाला समय – 1 घंटा
वा+ पि-क-
2 व्यक्तियों के सामग्रियां:
- 2 कप चना दाल (छोटी, टुकड़ा, छिलके वाले चने)
- 5 कप पानी
- 3 चम्मच घी
- 3 पके हुए टमाटर (प्यूरी बनायी हुई)
- आधा कप फूलगोभी
- आधा चम्मच बारीक कटा हुआ अदरक
- आधा-आधा चम्मच सरसों के दानें,
- साबुत धनिया और सौंफ चौथाई चम्मच काली मिर्च,
- चौथाई चम्मच हल्दी चौथाई चम्मच हींग, चौथाई चम्मच शाही जीरा
- नमक और 3 चुटकी सेंधा नमक
- 1 चम्मच दही
- थोड़ी सी बारी कटी हुई धनिया की पत्तियां
सलाहः
स्वाद को और भी लाजवाब बनाने के लिए, आखिर में 1 चम्मच दही डालें, लेकिन केवल दोपहर के खाने के समय!
बनाने की विधि
- दाल को रात भर इसके चार गुना पानी में भिगोकर रख दें। सुनिश्चित करें कि आपने इसमें से कंकड़ आदि बीन लिए हैं।
- दाल को कम से कम 8 घंटे तक भिगोना चाहिए।
- भीगने के बाद, एक छननी लें और पानी छान लें, फिर बहते पानी के नीचे अच्छी तरह से धो लें और पूरा पानी निकल जाने दें।
- एक गहरे बर्तन में घी गर्म करें, सरसों के दाने तले और उसके बाद बाकी के पिसे हुए मसालों और कटा हुआ अदरक मिलायें।
- चना दाल डालें और 5 मिनट्स तक, लगातार चलाते हुए मध्ययम आंच पर तलते रहें।
- अब सब्जियों के छोटे-छोटे टुकड़ें डालें और 5 मिनट्स और भूनें।
- पांच कप गर्म पानी डालें, अच्छी तरह से चलायें और ढक्कन बंद कर दें।
- पकाना जारी रखें और हर 5 मिनट में घुमाते रहें।
- चने पकने तक पकाते रहें।
- दाल के पकने पर इसमें ताजी कटी हुई धनिया पत्तियां डालें यदि जरुरी हो तो और गर्म पानी मिलायें।
- गर्मागर्म चावल के साथ परोसें।
मिक्स दाल
तैयार करने में लगने वाला समय – 40 मिनट्स
वा+ पि-क-
4 व्यक्तियों के सामग्रियां:
- 1-1 मुट्ठी लाल मल्का, छिलके वाली उड़द, चना और तुअर दाल
- 5-6 कप पानी
- 3 चम्मच घी
- 2 पके हुए टमाटर (प्यूरी बनायी हुई)
- 1 छोटा प्याज लम्बाई में काटा हुआ
- आधा चम्मच बारीक कटा हुआ अदरक
- आधा-आधा चम्मच सरसों के दानें,
- साबुत धनिया और सौंफ
- चौथाई चम्मच सब्जी मसाला,
- चौथाई चम्मच हल्दी
- चौथाई चम्मच हींग,
- चौथाई चम्मच शाही/ सामान्य जीरा
- नमक और 3 चुटकी सेंधा नमक
- बारीक कटी हुई धनिया की पत्तियां
बनाने की विधि
- सभी दालों को एक साथ मिलाकर आधे घंटे के लिए इसके चार गुना पानी में भिगोकर रख दें।
- सुनिश्चित करें कि आपने इसमें से कंकड़ आदि बीन लिए हैं।
- भीगने के बाद, एक छननी लें और पानी छान लें, फिर बहते पानी के नीचे अच्छी तरह से धो लें और पूरा पानी निकल जाने दें।
- अब दालों को प्रेशर कुकर में डालें और 1 लीटर के करीब पानी डालें साथ ही इसमें थोड़ा सा नमक और एक चम्मच तेल डालें।
- आंच को मध्यम पर रखते हुए करीब 2-3 सीटी आने दें।
- अब एक गहरे बर्तन में घी गर्म करें, सरसों के दाने डालें जब दाने तड़कने लगें तो, शाह जीरा, हींग, साबुत धनिया और सौंफ डालें खुशबू आने पर कटा हुआ प्याज और कटा हुआ अदरक डालें इसे लगातार चलाते हुए मध्ययम आंच पर पकाते रहें,
- प्याज सुनहरे होने पर इसमें टमाटर की प्यूरी, सब्जी मसाला और हल्दी मिलायें,
- मसालों के अच्छी तरह पकने पर प्रेशर कुकर से दाल इसमें डालें। यदि दाल गाढ़ी है तो इसमें थोड़ा गर्म पानी मिलायें और यदि दाल पतली है तो थोड़ी देर और पकने दें।
- अब इसमें बारीक कटा हुआ धनिया मिलायें और कुछ देर के लिए ढक कर रख दें।
- गर्मागर्म चावल के साथ परोसें।
अनेक जगहों पर आप इन शब्दों को पायेंगे: V, P, K। इनका पूरा विवरण नीचे दिया गया है।
V= वात, P = पित्त, K = कफ।
यदि किसी रेसिपि के सामने V- P+ K-लिखा है तो इसका अर्थ है, वात को घटाता है, पित्त को बढ़ाता है और कफ को घटाता है। (-) का अर्थ है घटाना और (+) का अर्थ बढ़ाना। займы без отказа
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